CDS जनरल रावत बोले, उत्तर और पश्चिमी सीमाओं पर ही नहीं सभी मोर्चों पर सुरक्षा मजबूत करेगा भारत
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि भारत उत्तर और पश्चिम सीमाओं पर ही नहीं अन्य रणनीतिक मोर्चों पर भी अपनी सुरक्षा को मजबूत करेगा।
नई दिल्ली, पीटीआइ। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (Chief of Defence Staff, CDS) जनरल बिपिन रावत (Gen Bipin Rawat) ने कहा है कि भारत उत्तर और पश्चिम सीमाओं पर ही नहीं अन्य रणनीतिक मोर्चों पर भी अपनी सुरक्षा को मजबूत करेगा। रक्षा निर्यात विषय पर एक संबोधन में उन्होंने कहा कि विस्तारित पड़ोस के रणनीतिक स्थान पर भी भारत की सुरक्षा कायम रखी जाएगी। अमेरिका के साथ भारत अपने उभरते संबंधों को महत्व देता है। वह रूस के साथ अपने पारंपरिक संबंधों को भी मजबूती दे रहा है। भारत दोनों विश्व शक्तियों के साथ एक परिपक्व सुरक्षा तंत्र साझा करता है।
रावत ने कहा, 'सुरक्षा का आयाम जिस तरह से बदल रहा है, उसमें भारत की सुरक्षा का ध्यान अंतरराष्ट्रीय सीमा, नियंत्रण रेखा (एलओसी) और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ही रखना पर्याप्त नहीं है बल्कि रणनीतिक रूप से अहम विस्तारित पड़ोसी देशों तक इसका ध्यान रखना जरूरी है। मालूम हो कि भारत विस्तारित पड़ोसी की श्रेणी में इंडोनेशिया, सिंगापुर समेत कई ऐसे देशों को रखता है, जिनसे सीमाएं नहीं लगती हैं, लेकिन इनके साथ भारत के अच्छे संबंध हैं। जनरल रावत ने इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं कहा।
रक्षा निर्यात पर एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए जनरल रावत ने हाल के वर्षों में भारत ने इनसे रक्षा एवं अन्य क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। रावत ने अमेरिका एवं रूस के साथ भारत के संबंधों का भी उल्लेख किया। रक्षा खरीद के मामले में उन्होंने कहा कि सेनाओं को बजट सीमा के भीतर सर्वश्रेष्ठ समाधान पर काम करना होगा। सैन्य संरचना में प्रस्तावित सुधारों का का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत सैन्य क्षेत्र में बड़े सुधार के तहत कई थिएटर कमान स्थापित करने पर काम कर रहा है।
उन्होंने बताया कि सेना के तीनों अंगों की कुछ कमानों को एकीकृत किया जाएगा ताकि सुरक्षा चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके। प्रत्येक थिएटर कमान में सेना, नौसेना और वायुसेना की इकाइयां शामिल होंगी। ये सभी किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए एक अभियान कमांडर के नेतृत्व में इकाई की तरह काम करेंगी। मौजूदा वक्त में नई तकनीकों पर ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि खुद को शत्रुओं से आगे रखा जा सके। बता दें कि केंद्र ने सेना के तीनों अंगों में समन्वय के लिए पिछले वर्ष 31 दिसंबर को जनरल रावत को भारत का पहला प्रमुख रक्षा अध्यक्ष नियुक्त किया था।