ICICI Bank case: दस्तावेजों की जांच के बाद ही संदिग्धों को पूछताछ के लिए बुलाएगी सीबीआइ
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली की नसीहत के बाद सीबीआइ ने आइसीआइसीआइ बैंक मामले में जब्त दस्तावेजों की जांच-पड़ताल के बाद ही संदिग्धों को पूछताछ के लिए बुलाने का फैसला किया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली की नसीहत के बाद सीबीआइ ने आइसीआइसीआइ बैंक मामले में जब्त दस्तावेजों की जांच-पड़ताल के बाद ही संदिग्धों को पूछताछ के लिए बुलाने का फैसला किया है। इस मामले में दर्ज एफआइआर में बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर को आरोपित बनाया गया है, जबकि बैंकिंग क्षेत्र के कई दिग्गजों के नाम संदिग्धों के तौर पर शामिल किए हैं।
अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि वीडियोकॉन कार्यालयों के अलावा चंदा कोचर के पति दीपक कोचर द्वारा संचालित न्यूपावर रिन्यूबल्स और सुप्रीम एनर्जी के कार्यालयों पर पिछले हफ्ते मारे गए छापों में जब्त दस्तावेजों की सीबीआइ जांच-पड़ताल कर रही है। जब उनसे पूछा गया कि एफआइआर में आरोपित चंदा कोचर के आवास पर छापा क्यों नहीं मारा गया? इस पर उन्होंने कहा कि यह फैसला करने का विशेषाधिकार जांच अधिकारी का है कि किन परिसरों पर छापे मारे जाएंगे।
मालूम हो कि 22 जनवरी को एफआइआर दर्ज किए जाने के एक दिन बाद ही अंतरिम सीबीआइ निदेशक एम. नागेश्वर राव ने इस मामले का प्रभार सुधांशु धर मिश्रा से लेकर एसपी मोहित गुप्ता को दे दिया था। सुधांशु का तबादला उसी दिन रांची कर दिया गया। तबादले को न्यायोचित बताते हुए सीबीआइ ने उन्हें बेवजह मामले की प्रारंभिक जांच लंबित रखने का दोषी ठहराया। साथ ही आरोप लगाया कि छापों से संबंधित सूचनाएं लीक करने में उनकी भूमिका संदिग्ध थी। उन्होंने कहा कि मामला दर्ज किए जाने के तुरंत बाद ही छापों की कार्रवाई प्रस्तावित थी।
आरोपों के मुताबिक, चंदा कोचर के कार्यकाल में वीडियोकॉन समूह और उसकी सहयोगी कंपनियों के लिए 1,875 करोड़ रुपये के छह लोन मंजूर किए गए थे। इनमें से दो मामलों में चंदा कोचर स्वयं मंजूरी समितियों में शामिल थीं। जबकि बैंकिंग क्षेत्र के अन्य दिग्गजों पर आरोप लगाया गया है कि वे भी मंजूरी समितियों में शामिल थे, इसलिए उनकी भूमिका भी जांचने की जरूरत है।
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