स्टालिन के घर सीबीआइ छापे से भूचाल
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। संप्रग से समर्थन वापसी के 36 घंटों के भीतर ही द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके.स्टालिन के चेन्नई स्थित घर पर सीबीआइ ने छापा मारकर देश की सियासत में गरमी ला दी। केंद्र सरकार की प्रतिशोध की राजनीति का संदेश जाने से सांसत में आए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वित्त मंत्री पी. चिदंबरम से लेकर पूरा सरकारी अमला सफाई देता नजर आया। पीएम ने छापे के समय को दुर्भाग्यपूर्ण बताया तो चिदंबरम ने सारी मर्यादाएं तोड़ते हुए छापों की निंदा कर दी। इतना ही नहीं, सरकार की तरफ से ही सीबीआइ के छापों के पीछे 'साजिश' की आशंका भी जताई जा रही है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। संप्रग से समर्थन वापसी के 36 घंटों के भीतर ही द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके.स्टालिन के चेन्नई स्थित घर पर सीबीआइ ने छापा मारकर देश की सियासत में गरमी ला दी। केंद्र सरकार की प्रतिशोध की राजनीति का संदेश जाने से सांसत में आए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वित्त मंत्री पी. चिदंबरम से लेकर पूरा सरकारी अमला सफाई देता नजर आया। पीएम ने छापे के समय को दुर्भाग्यपूर्ण बताया तो चिदंबरम ने सारी मर्यादाएं तोड़ते हुए छापों की निंदा कर दी। इतना ही नहीं, सरकार की तरफ से ही सीबीआइ के छापों के पीछे 'साजिश' की आशंका भी जताई जा रही है।
स्टालिन के खिलाफ कार्रवाई का कारण व उद्देश्य चाहे जो रहा हो, लेकिन इसके बाद सरकार को आंखें दिखा रही सपा के नरम रुख ने एक बार फिर सीबीआइ के राजनीतिक इस्तेमाल की धारणा को मजबूत कर दिया। स्टालिन के घर छापे, फिर पूरे घटनाक्रम से बेहद विचलित चिदंबरम की कड़ी टिप्पणी के बाद जांच अधिकारी कार्रवाई बीच में ही छोड़ कर लौट आए। इससे छापों के राजनीतिक होने का आरोप और पुख्ता हो गया।
तमिलनाडु की शिवगंगा सीट से सांसद चिदंबरम ने सुबह 8.30 बजे ही छापों की जानकारी मिलते ही बेहद तीखी प्रतिक्रिया दी। सीबीआइ को हमेशा स्वायत्त संस्था बताने वाली मनमोहन सरकार के वित्त मंत्री ने कार्रवाई के सियासी नतीजों को समझते हुए कहा, 'वजह चाहे जो हो, मुझे डर है कि इसे गलत समझा जाएगा।' सीबीआइ के प्रभारी मंत्री वी.नारायणसामी से भी उन्होंने नाराजगी जताई और कहा, वह दूसरे विभागों पर टिप्पणी नहीं करते हैं,लेकिन इस मामले में प्रतिक्रिया देने को मजबूर थे।
बमुश्किल ही तमाम मुद्दों पर बोलने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह खुद इस मुद्दे पर सफाई के लिए संसद में मीडिया के सामने रुक गए। उन्होंने कहा,'हम इस घटनाक्रम से खिन्न हैं। सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है। हम इसके ब्योरे का पता लगाएंगे। ऐसा नहीं होना चाहिए था। छापे का समय बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।' पीएम के बयान के लगभग साथ ही सरकार ने सीबीआइ से भी इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण जारी करने को कहा। सीबीआइ के अधिकृत प्रवक्ता ने बयान भी जारी किया कि ये छापे एक प्रक्रिया के तहत थे। किसी व्यक्ति-विशेष को निशाना बनाना इनका उद्देश्य कतई नहीं था।
प्रधानमंत्री ने जहां इस पूरे घटनाक्रम की जांच कराने के संकेत दिए, वहीं दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने छापों के पीछे साजिश की आशंका जताते हुए कहा, सियासी हालात देखते हुए किसी ने मौके का फायदा उठाने की कोशिश की है। संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस प्रवक्ता संदीप दीक्षित ने छापों को राजनीति से जोड़ने को नकारा। हालांकि, इस बात का जवाब किसी के पास नहीं था कि सीबीआइ अगर स्वायत्त संस्था है तो उसकी किसी कार्रवाई पर केंद्र सरकार कैसे आपत्ति जता सकती है?
पता नहीं था कि यह स्टालिन का घर है
नई दिल्ली। एमके.स्टालिन के घर छापों पर सीबीआइ ने विचित्र सफाई दी है कि उसे पता ही नहीं था कि यह किसका घर है? जांच एजेंसी ने आधिकारिक बयान में कहा, उनका इरादा स्टालिन के घर की तलाशी लेना नहीं, बल्कि आयात शुल्क की चोरी कर विदेश से लाई गई मंहगी कार को ढूंढना था।
सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, स्टालिन के घर की तलाशी के बारे में उन्हें कोई जानकारी ही नहीं थी, क्योंकि एफआइआर में उनका या उनके पुत्र उदयगिरी का नाम नहीं था। सीबीआइ के पास इसका कोई जवाब नहीं है कि कार के पंजीकृत मालिक का नाम जानने और घर की तलाशी का वारंट हासिल करने के बाद भी यह अहसास नहीं हुआ कि वे जिन कारों की तलाश कर रहे हैं, उनमें एक द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष के बेटे के नाम पंजीकृत है और वे स्टालिन के घर की तलाशी लेने का जा रहे हैं।
दिल्ली से फटकार के बाद सीबीआइ स्टालिन के घर से कार बरामद किए बगैर भले ही बैरंग वापस लौट गई हो, लेकिन इस बीच उसने 17 अन्य गाड़ियां जब्त करने का दावा किया है। इनमें सात गाड़ियां अकेले रामचंद्रा मेडिकल कालेज के चांसलर के घर से बरामद हुई हैं,पांच गाड़ियां जीके सेट्टी रमन्ना, दो एमजीएम ग्रुप आफ कंपनीज, दो राजा शंकर और एक जानसन जेआरए टावर्स के ठिकाने से बरामद की गई।
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