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सीबीआइ अधिकारियों को घपले की आरोपित कंपनियों से रिश्वत मिली, प्राथमिकी में लगाया आरोप

आठ पृष्ठों की प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों को एजेंसी द्वारा छापेमारी की कार्रवाई पूरी होने के बाद शुक्रवार को सार्वजनिक किया गया। इसमें कहा गया कि अधिकारी कंपनियों की ओर से अपने साथियों को भी रिश्वत दे रहे थे।

By Neel RajputEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 11:01 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 11:01 PM (IST)
सीबीआइ अधिकारियों को घपले की आरोपित कंपनियों से रिश्वत मिली, प्राथमिकी में लगाया आरोप
कंपनियों की ओर से अपने साथियों को भी रिश्वत दे रहे थे अधिकारी

नई दिल्ली, प्रेट्र। सीबीआइ द्वारा अपने जिन अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में मामले दर्ज किए गए हैं वे जांच से समझौता करने के लिए न केवल रिश्वत प्राप्त कर रहे थे बल्कि बैंकों से जनता के करोड़ों रुपये का घपला करने की आरोपित कंपनियों की ओर से अपने साथियों को रिश्वत पहुंचाने का जरिया भी बने हुए थे। ये आरोप उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में लगाए गए हैं।

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आठ पृष्ठों की प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों को एजेंसी द्वारा छापेमारी की कार्रवाई पूरी होने के बाद शुक्रवार को सार्वजनिक किया गया। इसके अनुसार, इंस्पेक्टर कपिल धनखड़ को अपने उन वरिष्ठ अधिकारियों, पुलिस उपाधीक्षकों आरके सांगवान और आरके ऋषि से कम से कम 10-10 लाख रुपये प्राप्त हुए जो 700 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी की आरोपित श्री श्याम पल्प एंड बोर्ड मिल्स तथा 3,600 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी की आरोपित फ्रास्ट इंटरनेशनल के पक्ष में काम कर रहे थे। सांगवान, ऋषि, धनखड़ और स्टेनोग्राफर समीर कुमार सिंह अधिवक्ताओं अरविंद कुमार गुप्ता, मनोहर मलिक और कुछ अन्य आरोपितों के साथ मिलकर कुछ मामलों की जांच को प्रभावित कर रहे थे।

एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया, 'सीबीआइ की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टालरेंस की नीति है, चाहे वह अन्य विभागों की हो या संगठन में हो। मामला सख्त सतर्कता और ऐसी किसी सूचना पर कार्रवाई का परिणाम है जो हमारे अधिकारियों के भ्रष्ट आचरण में संलिप्तता का संकेत देती हो।' सीबीआइ ने अपने चार अधिकारियों- सांगवान, ऋषि, धनकड़ और सिंह के अलावा मलिक और गुप्ता, अतिरिक्त निदेशक श्री श्याम पल्प एंड बोर्ड मिल्स मनदीप कौर ढिल्लन और फ्रास्ट इंटरनेशनल के निदेशकों सुजय देसाई और उदय देसाई के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं।

अधिकारियों ने कहा कि मामला दर्ज करने के बाद एजेंसी ने गुरुवार को अपने स्वयं के मुख्यालय जहां कुछ आरोपित अधिकारी तैनात हैं, अपनी अकादमी, जहां ऋषि तैनात हैं और देशभर में 12 अन्य स्थानों पर छापेमारी की थी। आरोप है कि धनखड़ ने सांगवान से ढिल्लन की ओर से 10 लाख रुपये की रिश्वत लेने के बाद मामले के पूर्व जांच अधिकारी सांगवान को श्री श्याम पल्प एंड बोर्ड मिल्स के खिलाफ जांच से संबंधित गोपनीय जानकारी आरोपितों का पक्ष लेने के इरादे से दी थी।

प्राथमिकी में आरोप है कि अब सीबीआइ अकादमी में तैनात डीएसपी ऋषि ने भी फ्रॉस्ट इंटरनेशनल से संबंधित एक अलग मामले में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करने और आरोपितों को बचाने के लिए धनखड़ को 10 लाख रुपये का भुगतान किया। ऋषि ने धनखड़ को रिश्वत का भुगतान फ्रास्ट इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड का पक्ष लेने के लिए सुजय देसाई और उदय देसाई की ओर से किया था।

प्राथमिकी में आरोप है कि ऋषि ने दो अधिवक्ताओं मनोहर मलिक और अरविंद गुप्ता (जिनके डिफेंस कॉलोनी में कार्यालय हैं) के जरिये 15 लाख रुपये चंडीगढ़ की कंपनी का पक्ष लेने के लिए प्राप्त किए जिसके खिलाफ सीबीआइ भ्रष्टाचार मामले की जांच कर रही है। धनखड़ को ऋषि के माध्यम से सौदे के लिए दो बार गुप्ता से 2.5 लाख रुपये मिले। यह भी पता चला कि गोपनीय जानकारी और निर्देशों सहित कई अन्य मामलों की जांच का विवरण आरोपितों के हितों की रक्षा के लिए स्टेनोग्राफर समीर कुमार सिंह ने सांगवान और ऋषि को दिए।


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