क्रिकेट घोटाले में जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ आरोपपत्र दायर
क्रिकेट घोटाले में सीबीआइ ने जिला अदालत श्रीनगर में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ फारूक अब्दुल्ला समेत चार आरोपितों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। जम्मू कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले के मामले की जांच कर रही सीबीआइ ने सोमवार को चीफ ज्यूडिशियल मैजिस्ट्रेट श्रीनगर की अदालत में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ फारूक अब्दुल्ला समेत चार आरोपितों के खिलाफ आरोपपत्र दायर कर दिया है।
अलबत्ता, आरोप पत्र दायर होने के समय सिर्फ तीन ही आरोपित अदालत में मौजूद थे। फारूक जो इस समय विदेश में हैं, अदालत में हाजिर नहीं हुए। संबधित अधिकारियों ने बताया कि सीबीआइ ने सभी आरोपितों को अदालत में हाजिर होने का नोटिस भेजा था।
जानें, क्या है मामला
यह घोटाला वर्ष 2002 से 2011 तक जेकेसीए को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड बीसीसीआई द्वारा प्रदान किए गए 113.67 करोड़ रुपये में से 40 करोड़ को खुर्द-बुर्द किए जाने से संबंधित है। उस समय नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक ही जेकेसीए के अध्यक्ष थे। दावा किया जाता है कि यह घोटाला उनके कथित इशारे पर ही हुआ था।
वर्ष 2012 में यह मामला उस समय उजागर हुआ, जब तत्कालीन जेकेसीए चेयरमैन मोहम्मद असलग गोनी ने एसोसिएशन के दो तत्कालीन पदाधिकारियों महासचिव सलीम खान और कोषाधिकारी अहसान मिर्जा पर जेकेसीए के बजाय अपने निजी खातों में पैसा जमा कराने का आरोप लगाया। इन दोनों ने श्रीनगर के खनयार स्थित जम्मू कश्मीर बैंक की शाखा में अपने खाते खुलवा रखे थे और वहां पर पैसा स्थानांतरित होता था। इस मामले में असलम गोनी पर भी उंगली उठी, क्योंकि जेकेसीए की अॉडिट रिपोर्ट पर उनके भी हस्ताक्षर होते थे।
मामले के उजागर होने पर फारूक ने जांच के लिए एक इन-हाउस कमेटी का गठन किया। कमेटी ने करीब एक माह में अपनी रिपोर्ट देते हुए जेकेसीए के दो वरिष्ठ अधिकारियों को घोटाले के लिए जिम्मेदार बताया। उन दोनों को जेकेसीए से तत्काल प्रभाव से निकाल दिया गया।
पुलिस ने भी इस सिलसिले में कार्रवाई करते हुए 10 मार्च, 2012 को राममुंशी बाग पुलिस स्टेशन में आरपीसी की धारा 120बी, 406 और409 के मामले दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी थी। पुलिस ने जब छानबीन करते हुए बैंक प्रबंधकों से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि सलीम खान और अहसान मिर्जा से संबधित खातों में पैसा तभी जारी हुआ था, जब जेकेसीए के प्रेसिडेंट फारूक का अथॉरिटी लेटर आता था। यह अथॉरिटी लेटर डा फारुक अब्दुल्ला ने अपने हस्ताक्षरों संग 27 जून, 2008 को जारी किया था। इस मामले में कश्मीर के दो क्रिकेटरों माजिद याकूब डार और निसार अहमद खान ने उच्च न्यायालय में भी एक जनहित याचिका दायर करते हुए पुलिस की जांच पर सवालिया निशान लगाते हुए दावा किया था कि इसमें फारूक समेत कई नामी लोग शामिल हैं और उन्हें बचाया जा रहा है।
पुलिस की जांच पर रोष जताते हुए बीते हुए राज्य हाईकोर्ट ने 3 सितंबर, 2015 को सीबीआइ को इस घोटाले की जांच करने व छह माह में अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा था। लेकिन बाद में राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति के चलते सीबीआइ अपना काम छह माह में पूरा करने में सफल नहीं हो पाई थी।