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आयकर विभाग में सफाई जारी, 21 और अधिकारियों पर गिरी गाज, अबतक 85 अधिकारी बाहर

केंद्र सरकार ने सीबीडीटी में कार्यरत ग्रूप बी के 21 आय कर अधिकारियों को कई तरह के भ्रष्टाचार के आरोपों में लिप्त पाये जाने की वजह से उनका कार्यकाल समय से पहले समाप्त कर दिया है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 08:17 PM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 08:17 PM (IST)
आयकर विभाग में सफाई जारी, 21 और अधिकारियों पर गिरी गाज, अबतक 85 अधिकारी बाहर
आयकर विभाग में सफाई जारी, 21 और अधिकारियों पर गिरी गाज, अबतक 85 अधिकारी बाहर

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश में भ्रष्टाचार खत्म करने का काम करने वाली एजेंसी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के गलियारों से भ्रष्टाचार सफाई का काम थोड़ा और आगे बढ़ गया है। केंद्र सरकार ने सीबीडीटी में कार्यरत ग्रूप बी के 21 आय कर अधिकारियों को कई तरह के भ्रष्टाचार के आरोपों में लिप्त पाये जाने की वजह से उनका कार्यकाल समय से पहले समाप्त कर दिया है। इन्हें लोक हित में नियम 56(जे) के तहत आवश्यक सेवानिवृत्ति दे दी गई है।

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इस तरह से देखा जाए तो पिछले कुछ महीनों में कुल 64 बेहद वरिष्ठ कर अधिकारियों समेत कुल 85 अधिकारियों को कई तरह के भ्रष्टाचार या सीबीआइ जांच वगैरह चलने की वजह से समय से पहले सेवानिवृत्त कर दिया गया है।

वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि पीएम नरेंद्र मोदी की तरफ से दो बार सार्वजनिक तौर पर कर प्रणाली में भ्रष्टाचार के खिलाफ क्षोभ व्यक्त किया गया है। पहले उन्होंने लाल किले से अपने भाषण में इस बात का जिक्र किया था और उसके बाद एक आर्थिक न्यूजपेपर को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि, ''कर प्रशासन में कुछ छिपे हुए लोग ऐसे हैं जिन्होंने अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया है और कर दाताओं का उत्पीड़न किया है। हमने इस तरह के अधिकारियों के खिलाफ कदम उठाये हैं। इस तरह के व्यवहार को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।'' यह उसी दिशा में उठाया गया कदम है।

बुधवार को जिन अधिकारियों पर गाज गिरी है उनमें से अधिकांश आय कर अधिकारी हैं और इन पर आरोप है कि इन्होंने आम कर दाताओं की तरह तरह से परेशान किया है या गैर कानूनी तरीके से किसी को मदद पहुंचाई है। जिस तरह के आरोप इन अधिकारियों पर लगे हैं वे ना सिर्फ गंभीर हैं बल्कि इस बात की तरफ भी इशारा करते हैं कि आय कर विभाग में भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ें कितनी गहरी कर ली हैं।

बीकानेर के एक अधिकारी एच के फुलवारिया पर 50 हजार रुपये का घूस लेने का आरोप है। इन्हें सीबीआइ ने अपने जाल में फंसाया था। इसी तरह से उज्जैन के अजय विरेह के घर पर सीबीआइ ने छापा मारा था और उन्होंने सीबीआइ कोर्ट में आत्मसमर्पण भी किया था। मुंबई के आइटीओ विजय कुमार कोहड को सीबीआइ ने 4.50 लाख रुपये का घूस लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था। मुंबई की प्रीता बाबुकुट्टन ने 75 हजार रुपये लेते हुए सीबीआइ ने पकड़ा था। हजारीबाग में सेवा काल के दौरान तरुण राय, विनोद कुमार पाल भी जबरदस्ती सेवानिवृत्त किये गये अधिकारियों में शामिल है। हैदराबाद, विशाखापत्तनम, राजमुद्रा के भी कुछ अधिकारियों को बाहर किया गया है। कुछ अधिकारियों के खिलाफ आय से ज्यादा संपत्ति बनाने का भी आरोप है जिसका पता सीबीआइ की जांच से चला है।

बताते चलें कि सितंबर, 2019 को जीएसटी व आयात शुल्क संग्रह का काम देखने वाले विभाग सीबीआइसी के 15 अधिकारियों को इसी तरह से भ्रष्टाचार के आरोप में सेवानिवृत्त किया गया था।


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