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अब यूपीआई, रुपे जैसे डिजिटल ट्रांजैक्शनों पर नहीं देना होगा कोई चार्ज, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने जारी किए आदेश

अब रुपे कार्ड या भीम यूपीआई जैसे डिजिटल ट्रांजैक्शनों पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट्स (MDR) शुल्‍क नहीं लगेगा। यही नहीं यदि यह शुल्‍क कटा है तो बैंक इसे ग्राहकों को लौटाएंगे।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2020 07:45 PM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 03:30 AM (IST)
अब यूपीआई, रुपे जैसे डिजिटल ट्रांजैक्शनों पर नहीं देना होगा कोई चार्ज, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने जारी किए आदेश
अब यूपीआई, रुपे जैसे डिजिटल ट्रांजैक्शनों पर नहीं देना होगा कोई चार्ज, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने जारी किए आदेश

नई दिल्ली, पीटीआइ। सरकार के निर्देश के बाद भी रुपे कार्ड या भीम-यूपीआइ से लेनदेन पर शुल्क वसूल रहे बैंकों को आयकर विभाग ने सख्त हिदायत दी है। विभाग ने कहा है कि पहली जनवरी से अब तक इस मद में वसूला गया शुल्क रिफंड करें। साथ ही भविष्य में ऐसे लेनदेन पर शुल्क कतई नहीं वसूलें। डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने और अर्थव्यवस्था में नकदी कम करने के उद्देश्य के साथ पिछले साल सरकार ने इस संबंध में निर्देश जारी किए थे।

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केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से लेनदेन में शुल्क लेने या नहीं लेने से संबंधित आयकर कानून की धारा 269-एसयू के संबंध बैंकों को सर्कुलर जारी किया है। इसमें कहा गया है कि बैंक इन माध्यमों से होने वाले लेनदेन पर कोई शुल्क नहीं लेंगे।

डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने फाइनेंस एक्ट, 2019 में धारा 269-एसयू के रूप में नया प्रावधान जोड़ा है। इसके तहत पिछले साल में 50 करोड़ रुपये या इससे ज्यादा का कारोबार करने वालों के लिए यह अनिवार्य किया गया है कि वे तय इलेक्ट्रॉनिक मोड से भुगतान स्वीकार करें। इसमें तय इलेक्ट्रॉनिक भुगतान के विकल्पों के तौर पर रुपे डेबिट कार्ड, यूपीआइ (भीम-यूपीआइ) और यूपीआइ क्यूआर कोड को चिन्हित किया गया है।

सीबीडीटी ने कहा कि दिसंबर, 2019 में यह स्पष्ट कर दिया गया था इन चिन्हित इलेक्ट्रॉनिक मोड से भुगतान पर कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसके बाद भी ऐसे मामले सामने आ रहे हैं कि कई बैंक अलग-अलग तरीके से इस मद में शुल्क की वसूली कर रहे हैं। कुछ बैंक एक निश्चित संख्या तक लेनदेन पर शुल्क नहीं वसूलते हैं और उसके बाद सभी लेनदेन पर वसूली करते हैं। प्रावधानों का यह उल्लंघन दंडनीय है। बैंकों को इस मद में वसूला शुल्क रिफंड करना होगा।


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