केरल में कैथालिक डायोसिस ने कोरोना से मरने वालों के शवों को जलाने को मंजूरी दी
केरल में आर्चडायोसिस ने उन खंडों में कोरोना से संक्रमित मरीजों के शवों को दफनाने की जगह उसे जलाए जाने की मंजूरी दी है जहां कब्रिस्तान में जगह की कमी है।
कोच्चि, पीटीआइ। रोमन कैथालिक चर्च के नियमों के अनुसार शवों को दफनाए जाने की परंपरा है लेकिन कोरोना संकट के चलते इसमें तब्दीली देखने में आई है। केरल में आर्चडायोसिस ने उन खंडों में कोरोना से संक्रमित मरीजों के शवों को दफनाने की जगह उसे जलाए जाने की मंजूरी दी है जहां कब्रिस्तान जगह की कमी देखी जा रही है।
वेटिकन के तहत आने वाले साइरो-मालाबार के आर्चडायोसिस ने जारी नोट में कहा कि मौजूदा स्थिति पर विचार किया गया है। इस स्थिति के हिसाब से कोरोना से मरने वालों का शव रिश्तेदारों की मंजूरी के बाद जलाया जा सकता है। यह पत्र 13 जून को जारी हुआ था।
हालांकि पत्र में यह भी कहा गया है कि शवों के दाह संस्कार के बाद उसके अवशेष को कब्रिस्तान में दफनाना होगा। सूत्रों की मानें तो केरल के साइरो-मालाबार चर्च के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है जब शवों को जलाया जाएगा। आर्चडायोसिस के जनसंपर्क अधिकारी फादर नायसन एलानथानाथु ने कहा कि कई कब्रिस्तानों में जमीन की कमी पड़ रही थी जिसको देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि शवों को दफनाया जाना चर्च के साथ जुड़ा है। मौजूदा परिस्थिति में चर्च शवों को जलाए जाने को विकल्प के रूप में स्वीकार करता है लेकिन अवशेषों को बिखेरने की मनाही है। उन्होंने यह भी बताया कि अवशेषों को घर में भी रखने पर पाबंदी है।
समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक, आर्चडायोसिस का यह फैसला एक कोरोना मरीज के शव को दफनाने को लेकर उपजे विवाद के बाद सामने आया है। दरअसल चलाकुडी के निकट चर्च के अधिकारियों ने कब्रिस्तान में शव के दफनाए जाने का विरोध किया था। उनका कहना था कि कब्रिस्तान दलदल वाली भूमि पर है जहां गहरी खुदाई करना सही नहीं है।
उल्लेखनीय है कि देश में कई जगहों मरीजों को दफनाए जाने को लेकर विवाद सामने आए हैं। मुंबई में भी ऐसी ही घटना सामने आई थी। हाल ही में यूपी के गाजियाबाद जिले के मुरादनगर के थाना क्षेत्र के गांव स्थित कब्रिस्तान में कोरोना संक्रमित का शव दफनाए जाने को लेकर गांव के लोगों ने विरोध करते हुए शिकायत की थी। गांव के लोगों का कहना था कि कोरोना से संक्रमित शवों को दफनाने से गांव में बीमारी फैलने का खतरा पैदा हो सकता है।