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राजपथ पर पहली बार दिखाई देगी डेयरडेविल्स की महिला विंग, सलामी देंगी कैप्टन शिखा

बक्सर के राजपुर गांव निवासी शैलेंद्र सिंह की बेटी कैप्टन शिखा भारतीय सेना की महिला टुकड़ी डेयर डेविल्स की ओर से चलती बाइक पर खड़े होकर तिरंगे को सलामी देंगी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 09:09 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 09:10 AM (IST)
राजपथ पर पहली बार दिखाई देगी डेयरडेविल्स की महिला विंग, सलामी देंगी कैप्टन शिखा
राजपथ पर पहली बार दिखाई देगी डेयरडेविल्स की महिला विंग, सलामी देंगी कैप्टन शिखा

रंजीत कुमार पांडेय, डुमरांव (बक्सर)। बेटियों को कुछ कर गुजरने की आजादी मिले तो परिंदे की तरह वे पूरा आसमान नाप सकती हैं। बिहार की बेटी शिखा सुरभि उन्हीं बेटियों में हैं, जो इस बार गणतंत्र दिवस परेड में सैन्य बलों का नेतृत्व कर अपने राज्य और बक्सर का नाम रोशन करने जा रही हैं। बक्सर के सिमरी प्रखंड अंतर्गत छोटका राजपुर गांव निवासी शैलेंद्र सिंह की बेटी कैप्टन शिखा भारतीय सेना की महिला टुकड़ी डेयर डेविल्स की ओर से चलती बाइक पर खड़े होकर तिरंगे को सलामी देंगी। शिखा अभी दिल्ली में परेड की तैयारियों में जुटी हैं और लगभग आठ घंटे रोज अभ्यास कर रही हैं।

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भारतीय सेना सिग्नल कोर डिवीजन में कार्यरत कैप्टन शिखा अभी पंजाब के भटिंडा में पोस्टेड हैं। सिग्नल कोर का अंग डेयर-डेविल्स ग्रुप की महिला टुकड़ी को पहली बार राष्ट्रीय परेड में करतब दिखाते हुए शामिल होने का गौरव प्राप्त हुआ है। कैप्टन शिखा की इस उपलब्धि को लेकर पूरा बक्सर व उनका गांव गौरवान्वित है। सभी बेसब्री से गणतंत्र दिवस परेड का इंतजार कर रहे हैं। कैप्टन शिखा के पिता शैलेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि वह बचपन से ही साहसी थी और खेलकूद में काफी रूचि लेती थी।

सेना अधिकारी के पद पर रहते हुए शिखा ने महिला बॉक्सिंग में ऑल इंडिया प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने मार्शल आर्ट, कराटे, बॉक्सिग, पर्वतारोहण और बाइक राइडिंग में भी अपनी पहचान बनाई। सेना की ओर से यह दो बार पर्वतारोहण और एडवेंचर स्पोर्ट का प्रशिक्षण प्राप्त कर भूटान तक मोटरसाइकिल से यात्रा कर चुकी है। शिखा का परिवार डुमरांव स्थित प्रोफेसर कॉलोनी में कई वर्षों से रह रहा है। कैप्टन बिटिया डुमरांव स्थित अपने आवास पर जब भी कभी आती हैं तो आसपास की लड़कियों को सैन्य बलों में जाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।

यूइएस इंट्री से आर्मी में गईं शिखा
कैप्टन शिखा के पिता शैलेंद्र ने बताया कि उनकी बेटी ने जयपुर इंजीनियरिंग एण्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बीटेक किया और उसमें अच्छे नंबर के आधार पर यूनिवर्सिटी इंट्री स्कीम के तहत आर्मी के कठिन एसएसबी साक्षात्कार के लिए चुनी गईं। एसएसबी साक्षात्कार में सफल होने के बाद 2013 में वह आर्मी ऑफिसर बनीं और कुछ ही दिनों बाद अपनी क्षमता से सिग्नल कोर के डेयर-डेविल्स टीम का हिस्सा बन गई। आर्मी में आने के बाद 2014 में भी वह गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बन चुकी हैं। तीन भाई बहनों में कैप्टन शिखा सबसे बड़ी हैं। छोटा भाई एमबीए करने के बाद मुंबई में फैशन के क्षेत्र में अपना कॅरियर बना रहा है और एक छोटी बहन हजारीबाग से प्लस टू कर रही है।

मामा से मिली प्रेरणा
कैप्टन शिखा का परिवार फिलहाल हजारीबाग में है। उनकी मां किरण सिंह हजारीबाग के प्रतिष्ठित इंदिरा गांधी बालिका उच्च विद्यालय में शिक्षिका हैं। पिता शैलेंद्र सिंह भारतीय जीवन बीमा निगम में अभिकर्ता के रूप में कार्यरत हैं। कैप्टन शिखा की स्कूल की पढ़ाई हजारीबाग में ही हुई। पिता बताते हैं कि शिखा को उसके कर्नल मामा ने आर्मी में जाने के लिए प्रेरित किया। ननिहाल में कई लोग आर्मी में उच्च पदों पर हैं। वहीं, कैप्टन शिखा गणतंत्र दिवस परेड को लेकर बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि सेना के कोर ऑफ सिग्नल में पहली महिला के रूप में राष्ट्रीय परेड में बाइक पर खड़े होकर ढाई किलोमीटर तक चलते हुए तिरंगे की सलामी देना मेरे लिए गर्व की बात होगी।


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