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CAPF अधिकारियों ने अमित शाह से लगाई गुहार- भेदभाव को खत्म करें, जानिये क्‍यों कहा ऐसा

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के कई अधिकारियों ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर अपने खिलाफ हो रहे कथित भेदभाव को खत्म करने की गुहार लगाई है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 11 Aug 2019 09:12 PM (IST)Updated: Sun, 11 Aug 2019 09:12 PM (IST)
CAPF अधिकारियों ने अमित शाह से लगाई गुहार- भेदभाव को खत्म करें, जानिये क्‍यों कहा ऐसा
CAPF अधिकारियों ने अमित शाह से लगाई गुहार- भेदभाव को खत्म करें, जानिये क्‍यों कहा ऐसा

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के कई अधिकारियों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर अपने खिलाफ हो रहे कथित भेदभाव को खत्म करने की गुहार लगाई है। आरोप है कि उनकी सेवा लाभों की राह में आइपीएस अधिकारी कथित भेदभाव करते हैं।

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सोशल मीडिया अभियान शुरू
पांच केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (अर्ध सैन्य बलों) के अधिकारियों ने एक सोशल मीडिया अभियान शुरू किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि सुप्रीम के हालिया आदेश और केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बावजूद उनका मुख्यालय उन्हें संगठित सेवा लाभ प्रदान करने में बाधा डाल रहा है। आइपीएस अधिकारियों की संख्या घटा कर सुपरवाइजर स्तर पर अधिक पदों को आवंटित करने में भी अवरोध पैदा किया जा रहा है।

हस्तक्षेप करने की मांग 
शाह को भेजे गए आधिकारिक पत्रों में सीएपीएफ अधिकारियों ने वांछित कार्रवाई के लिए उनसे हस्तक्षेप करने की मांग की है, ताकि उनके भर्ती नियम में संशोधन हो। साथ ही एक संगठित केंद्रीय सेवा के लिए वैधता की तर्ज पर एक नई कैडर की समीक्षा हो। नए भर्ती नियमों के बनने से इन अधिकारियों को सुपरवाइजरी रैंक में अधिक पद मिलेंगे। इसे अभी मुख्य रूप से आइपीएस अधिकारी देखते हैं।

वाजिब सेवा लाभ सुनिश्चित किए जाएं
सीआरपीएफ कैडर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'अधिकारियों ने मंत्री से अनुरोध किया है कि हाल ही में घोषित उनके वाजिब सेवा लाभ उसी तरह से सुनिश्चित किए जाएं, जिस तरह से अनुच्छेद 370 पर एक साहसिक फैसले की घोषणा का क्रियान्वयन किया गया।'

दलीलों का खंडन 
हालांकि, मामले को देख रहे एक वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी ने सीएपीएफ अधिकारियों की दलीलों का खंडन करते हुए कहा कि भर्ती नियमों की समीक्षा फौरन नहीं की जा सकती, क्योंकि कुछ स्पष्टीकरण अपीलें सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। उन्होंने कहा, 'आइपीएस एक केंद्रीय सेवा है और उसका एक अखिल भारतीय सेवा स्वरूप है। इसे केंद्रीय सेवाओं में उनकी कैडर क्षमता के मुताबिक पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिए जाने की जरूरत है।'

गृह मंत्रालय ने कहा, होगी कार्रवाई 
उल्लेखनीय है कि सीआरपीएफ के कुछ अधिकारियों ने रिट याचिका के साथ शीर्ष न्यायालय का रुख कर नई कैडर समीक्षा का आदेश देने के लिए निर्देश देने की मांग की थी, ताकि वे उप महानिरीक्षक (डीआइजी) से अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) रैंक तक के पद प्राप्त कर सकें। गृह मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, 'हम इन घटनाक्रमों से अवगत हैं और इन्हें ठीक करने की कार्रवाई की जाएगी।'

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने तीन जुलाई को घोषणा की थी कि सीआरपीएफ, सीआइएसएफ, बीएसएफ, आइटीबीपी और एसएसबी जैसे बलों के कैडर अधिकारियों को 'नॉन फंक्शनल फाइनेंशियल अपग्रेडेशन' दिया जाएगा और उन्हें एक संगठित ग्रुप ए सेवा के रूप में श्रेणीबद्ध किया जाएगा। नए आदेश से करीब 11,000 सेवारत कैडर अधिकारियों व 2006 से सेवानिवृत्त होने वाले सैकड़ों अधिकारियों को लाभ मिलेगा।

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