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क्या 20 साल बाद RTI के तहत दी जा सकती है व्यक्तिगत जानकारी !

मौत की सजा पाए एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी ने सूचना के अधिकार कानून के तहत 12 IPS अफसरों के UPSC फार्म और दूसरे अन्य रिकॉर्ड मांगे थे।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 11:55 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jul 2019 11:59 PM (IST)
क्या 20 साल बाद RTI के तहत दी जा सकती है व्यक्तिगत जानकारी !
क्या 20 साल बाद RTI के तहत दी जा सकती है व्यक्तिगत जानकारी !

नई दिल्ली, प्रेट्र। क्या 20 वर्षो के बाद सरकारी अधिकारियों की निजी जानकारी सूचना के अधिकार कानून के तहत प्रदान की जा सकती है। केंद्रीय सूचना आयोग ने इस संबंध में 2006 मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले के एक दोषी की याचिका का संज्ञान लेते हुए पूर्ण पीठ के गठन का निर्णय लिया है। प्रथम श्रेणी डिब्बों में हुए इन विस्फोटों में 188 लोग मारे गए थे जबकि 829 लोग घायल हुए थे।

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बता दें कि इस मामले में मौत की सजा पाए एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी ने सूचना के अधिकार कानून के तहत 12 IPS अफसरों के UPSC फार्म और दूसरे अन्य रिकॉर्ड मांगे थे। लेकिन गृह मंत्रालय ने गोपनीयता का हवाला देते हुए किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी देने से इन्कार कर दिया था। इसके बाद अब उसने केंद्रीय सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया है।

सिद्दीकी का दावा है कि इन धमाकों में उसे गलत तरीके से फंसाया गया था। उसने अधिकारियों के संबंध में जो रिकॉर्ड मांगे हैं वह RTI आवेदन दाखिल करने की तारीख से 20 साल से अधिक पुराने हैं। उसने इस संबंध में RTI अधिनियम की धारा 8 (3) का हवाला दिया।

इसमें कहा गया है कि सूचना मांगे जाने से 20 साल पहले अगर कोई घटना हुई है तो धारा-6 के तहत इस संबंध में मांगी गई जानकारी प्रदान की जा सकती है। हालांकि रणनीति महत्व, राष्ट्रीय हित, संसद और विधानसभाओं से जुड़ी जानकारियों को इससे अलग रखा गया है।

गृह मंत्रालय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को संवैधानिक अधिकार माना है, इसलिए इस अधिकार को किसी भी कानून द्वारा चुनौती नहीं दी जा सकती है।


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