क्या प्रवर्तन निदेशालय पैतृक संपत्ति जब्त कर सकता है, सुप्रीम कोर्ट इस पर करेगा विचार
सुप्रीम कोर्ट इस कानूनी मुद्दे पर विचार करने के लिए सहमत हो गया है कि प्रवर्तन निदेशालय मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आरोपित व्यक्ति की पैतृक संपत्ति को अपराध के जरिये प्राप्त लाभ मानकर जब्त कर सकता है या नहीं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट इस कानूनी मुद्दे पर विचार करने के लिए सहमत हो गया है कि प्रवर्तन निदेशालय मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आरोपित व्यक्ति की पैतृक संपत्ति को 'अपराध के जरिये प्राप्त लाभ' मानकर जब्त कर सकता है या नहीं। यह मामला सुप्रीम कोर्ट के विचारार्थ एक अपील के जरिये आया। इसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कर्नाटक हाई कोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी है।
हाई कोर्ट ने इस आदेश में कहा है कि पैतृक संपत्ति के संबंध में पीएमएलए के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती है। हाई कोर्ट ने मामले में दो आरोपितों के खिलाफ कार्यवाही भी खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएम खानविलकर और सीटी रविकुमार की पीठ ने ईडी की अपील पर आठ अक्टूबर के आदेश में आरोपित को नोटिस जारी किया और उन्हें चार हफ्ते के भीतर इसका जवाब देने का निर्देश दिया।
ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि हाई कोर्ट ने यह कहकर स्पष्ट गलती की है कि रिट याचिकाकर्ता की पैतृक संपत्ति के मामले में पीएमएलए के तहत कार्रवाई नहीं जा सकती। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट की टिप्पणी 2002 के पीएमएलए कानून की 'अपराध से प्राप्त लाभ' से संबंधित धारा 2(1)(यू) में दी गई व्याख्या की विरोधाभासी है।
सीबीआइ के लिए प्रारंभिक जांच करना अनिवार्य नहीं, सीधा दर्ज करे केस: सुप्रीम कोर्ट
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सीबीआइ ऐसी विश्वसनीय सूचना के आधार पर सीधे केस दर्ज कर सकती है, जिससे संज्ञेय अपराध उजागर होता हो और केस दर्ज करने से पहले जांच एजेंसी के लिए प्रारंभिक जांच करना जरूरी नहीं है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था, चूंकि सीआरपीसी के तहत प्रारंभिक जांच करना जरूरी नहीं है, इसलिए शीर्ष अदालत द्वारा निर्देश जारी करना विधायिका के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करना होगा। अगर सीबीआइ प्रारंभिक जांच नहीं करने का फैसला करती है तो आरोपित अधिकार के रूप में इसकी मांग नहीं कर सकता।