सोशल मीडिया पर रोक की शर्त लगा सकता है कोर्ट या नहीं, सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह इस मसले पर विचार करेगा कि एक अदालत जमानत प्रदान करते समय व्यक्ति के सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर प्रतिबंध की शर्त लगा सकती है अथवा नहीं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह इस मसले पर विचार करेगा कि एक अदालत जमानत प्रदान करते समय व्यक्ति के सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर प्रतिबंध की शर्त लगा सकती है अथवा नहीं। शीर्ष अदालत के समक्ष यह मसला तब आया, जब वह एक अपील पर सुनवाई कर रही थी। अपील में कहा गया है कि 20 मई को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने देशद्रोह के एक मामले में आरोपित को जमानत तो प्रदान कर दी थी, लेकिन यह शर्त भी लगा दी थी कि आरोपित ट्रायल खत्म होने तक सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करेगा।
हालांकि, एक जून को हाई कोर्ट ने अपनी इस शर्त में संशोधन किया और कहा कि आरोपित 18 महीने अथवा ट्रायल खत्म होने तक (जो पहले हो) सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करेगा। याचिका में यह मसला भी उठाया गया कि क्या सोशल मीडिया पर रोक का आदेश याचिकाकर्ता के संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है? यह मामला प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस आरएस रेड्डी और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ के समक्ष आया, जिन्होंने याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया।
सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की अगर एक व्यक्ति की भागीदारी से सोशल मीडिया पर कुछ शरारत पैदा होती है, तो अदालत कह सकती है कि उसे इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि आरोपित के खिलाफ सोशल मीडिया के इस्तेमाल से संबंधित कोई आरोप नहीं है।
बता दें कि हाई कोर्ट ने उस आरोपित को जमानत प्रदान कर दी थी, जिसके खिलाफ उत्तर प्रदेश में आइपीसी की धारा 124-ए और 153-ए के अलावा आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के तहत एफआइआर दर्ज की गई है।