देश में चीतों को बसाने की मुहिम ने पकड़ी रफ्तार, अगले हफ्ते दक्षिण अफ्रीका जाएगी विशेषज्ञों की टीम
केंद्र ने दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लाने की इस पूरी योजना को नए सिरे से रफ्तार दी है। इसे लेकर वन्यजीव विशेषज्ञों का एक दल अगले हफ्ते दक्षिण अफ्रीका भी जा रहा है। चीतों को देश में लाने को लेकर क्या है तैयारी जाननें के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट...
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। चीतों को लेकर अब ज्यादा लंबा इंतजार नहीं करना होगा। केंद्र सरकार ने दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लाने की इस पूरी योजना को नए सिरे से रफ्तार दी है। इसे लेकर वन्यजीव विशेषज्ञों का एक दल अगले हफ्ते दक्षिण अफ्रीका भी जा रहा है। इस टीम में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से जुड़े अधिकारी भी शामिल होंगे, जहां दक्षिण अफ्रीका की सरकार के साथ चीतों को देने पर अंतिम चर्चा होगी।
मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, इस दौरे में भारत लाए जाने वाले चीतों का चयन भी होगा। फिलहाल पहली खेप में करीब 10 चीते लाए जाएंगे। इनमें वयस्क नर और मादा चीतों के साथ उनके बच्चे भी होंगे। यानी चीतों का दो कुनबा लाने की योजना है। इस बीच इन चीतों को रखने के लिए चयनित किए गए मध्य प्रदेश के कूनो-पालपुर अभयारण्य में तैयारियां भी लगभग पूरी हो चुकी हैं।
दक्षिण अफ्रीका की यात्रा के दौरान विशेषज्ञों का दल चीतों के लिए तैयार किए गए ठिकाने का भी पूरा ब्योरा प्रस्तुत करेगा। इसमें चीतों की पसंद वाले भोजन की उपलब्धता भी शामिल है। सूत्रों की मानें तो चीतों को पहले नवंबर के अंत तक ही लाने की योजना थी। लेकिन दक्षिण अफ्रीका में स्थानीय लोगों और भारतीयों के बीच हुए विवाद के तूल पकड़ने के बाद इस योजना को कुछ समय के लिए ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
स्थितियों के सामान्य होने के बाद इस प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार ने फिर से रफ्तार दी है। इस योजना के तहत दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से अगले दो से तीन वर्षो में करीब 40 चीते लाए जाएंगे। इन्हें देश के अलग-अलग अभयारण्यों में रखा जाएगा।
गौरतलब है कि देश से 70 साल पहले ही चीते विलुप्त हो गए थे। केंद्र सरकार चीतों को वर्ष 1950 में ही देश से पूरी तरह से विलुप्त घोषित कर चुकी है। हालांकि इसके बाद इन्हें लाने की कई बार पहल की गई, लेकिन योजना कभी साकार नहीं हो पाई। फिलहाल मौजूदा सरकार ने इसे लेकर रुचि दिखाई और दक्षिण अफ्रीका को इसके लिए तैयार किया।