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प्रदूषित हवा वाले शहरों में तेज होगी मुहिम, सीपीसीबी को हर बड़े शहर पर पैनी निगाह रखने के निर्देश

केंद्र सरकार अब उन सभी शहरों में भी वायु प्रदूषण के खिलाफ चल रही मुहिम को और तेज करेगी जहां हवा की गुणवत्ता लगातार बिगड़ रही है। जानें प्रदूषण की रोकथाम के लिए क्‍या है सरकार की योजना...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 09:08 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 09:08 PM (IST)
प्रदूषित हवा वाले शहरों में तेज होगी मुहिम, सीपीसीबी को हर बड़े शहर पर पैनी निगाह रखने के निर्देश
सरकार वायु प्रदूषण के खिलाफ चल रही मुहिम को और तेज करेगी....

नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति जिस तरह से गंभीर बनी हुई है, उसे देखते हुए सरकार अब उन सभी शहरों में भी वायु प्रदूषण के खिलाफ चल रही मुहिम को और तेज करेगी जहां हवा की गुणवत्ता लगातार बिगड़ रही है। देशभर में वैसे तो करीब 102 शहरों की हवा प्रदूषित है, लेकिन इनमें जो बड़े शहर हैं वहां की स्थिति दिनों-दिन खराब हो रही है। यही वजह है कि पर्यावरण मंत्रालय ने इन शहरों में अब और ज्यादा केंद्रित होकर अभियान चलाने की फैसला लिया है।

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पर्यावरण मंत्रालय ने इस काम में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को मुख्य भूमिका में रखा है। वैसे भी दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए एक सशक्त आयोग का गठन होने के बाद सीपीसीबी की भूमिका अब यहां नहीं बची है। सीपीसीबी को वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रहे देश के दूसरे बड़े शहरों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा गया है।

इनमें उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे शहर भी हैं, जहां दिल्ली-एनसीआर की तरह पराली जलाने की समस्या गंभीर रूप ले रही है। ऐसे में यदि समय रहते इस ओर ध्यान नही दिया गया तो स्थिति दिल्ली -एनसीआर जैसी बन सकती है। हालांकि कुछ मामलों में दिल्ली-एनसीआर का प्रदूषण देश के दूसरे शहरों से अलग भी है क्योंकि सर्दियों में इसके अचानक बढ़ने के पीछे मौसम भी काफी जिम्मेदार हो जाता है।

इसके चलते यहां कम दबाव का बन जाता है और हवाओं की रफ्तार भी धीमी हो जाती है। ऐसे में प्रदूषण दिल्ली के ऊपर ही ठहरा रहता है। इसे पराली और भी गंभीर बना देती है। सीपीसीबी दूसरे बड़े शहरों में सख्त मॉनिटरिंग करेगी। राज्यों को इसे लेकर वित्तीय मदद भी मुहैया करा दी गई है। इस योजना के तहत देश के 28 प्राथमिकता वाले शहरों को 10-10 करोड़ रुपये दिए गए हैं, जबकि बाकी शहरों को आबादी के लिहाज से 10 लाख और 20 लाख रुपये दिए गए। इसके तहत इन राज्यों को वायु की गुणवत्ता जांचने के लिए रीयल टाइम उपकरण लगाने थे, लेकिन यह काम भी अधूरा ही है। 


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