कैग ने कहा- स्कूलों में 11 फीसद शौचालयों का अता-पता नहीं, 30 फीसद उपयोग में नहीं
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा कि केंद्रीय लोक उपक्रमों (पीएसयू) द्वारा स्कूलों में निर्मित शौचालयों के ऑडिट में पाया गया कि उनमें से 11 प्रतिशत या तो अस्तित्व में नहीं हैं या फिर उनका आंशिक निर्माण ही हुआ है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय लोक उपक्रमों (पीएसयू) द्वारा स्कूलों में निर्मित शौचालयों के ऑडिट में पाया गया कि उनमें से 11 प्रतिशत या तो अस्तित्व में नहीं हैं या फिर उनका आंशिक निर्माण ही हुआ है। वहीं 30 प्रतिशत साफ-सफाई, पानी नहीं होने जैसे विभिन्न कारणों से उपयोग में नहीं हैं।
कैग की रिपोर्ट को संसद में पेश किया गया
कैग की केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसई) द्वारा स्कूलों में शौचालयों के निर्माण पर तैयार की गई रिपोर्ट को बुधवार को संसद में पेश किया गया। तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालयों के लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक सितंबर, 2014 को 'स्वच्छ विद्यालय अभियान' की शुरुआत की थी और इस संदर्भ में अन्य मंत्रालयों से सहयोग की अपील की। इसके लिए दूसरे मंत्रालयों से अपने-अपने नियंत्रण में आने वाले सीपीएसई से सरकारी स्कूलों में शौचालयों के निर्माण को लेकर परियोजना में शामिल होने के लिए कहने का आग्रह किया था।
53 सीपीएसई ने 1,30,703 शौचालयों का किया निर्माण, 2,162.60 करोड़ रुपये खर्च हुए
मंत्रालय के अनुसार, 53 सीपीएसई ने इस परियोजना में हिस्सा लिया और 1,40,997 शौचालयों के निर्माण किए गए। कैग ने कहा कि बिजली मंत्रालय, पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय और कोयला मंत्रालय के अधीन आने वाले सीपीएसई ने पांच-पांच हजार शौचालय बनाए। इन उपक्रमों ने कुल मिलाकर 1,30,703 शौचालयों का निर्माण किया जिस पर 2,162.60 करोड़ रुपये खर्च आया। कैग ने एनटीपीसी, पावर ग्रिड, एनएचपीसी, पीएफसी, आरईसी, ओएनजीसी और कोल इंडिया द्वारा निर्मित शौचालयों से जुड़े रिकॉर्ड की जांच की। साथ ही 15 राज्यों में 2,048 स्कूलों में निर्मित 2,695 शौचालयों का वहां जाकर सर्वे भी किया गया।
2,695 शौचालयों में से सीपीएसई ने 83 शौचालयों का निर्माण नहीं किया: कैग
रिपोर्ट के अनुसार ऑडिट नमूने में शामिल 2,695 शौचालयों में से सीपीएसई ने 83 शौचालयों का निर्माण नहीं किया। हालांकि, उन्होंने इन शौचायलों को निर्माण में दिखाया।
2,612 शौचालयों में से 200 शौचालय स्कूलों में नहीं मिले
शेष 2,612 शौचालयों में से 200 शौचालय संबंधित स्कूलों में नहीं मिले। वहीं 86 शौचालय आंशिक रूप से निर्मित पाए गए। सर्वे में शामिल कुल शौचालयों में से नहीं बने और आंशिक रूप से निíमत शौचालयों की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत है।
99 स्कूलों में शौचालय चालू नहीं थे: कैग
कैग के अनुसार, सर्वे में शामिल कुल 1,967 स्कूल ऐसे थे जिनमें लड़के-लड़कियां दोनों पढ़ते हैं। इनमें 99 स्कूलों में शौचालय चालू नहीं थे जबकि 436 स्कूलों में केवल एक शौचालय परिचालन में था।
लड़कों और लड़कियों के लिए अलग शौचालय का लक्ष्य 535 स्कूलों में पूरा नहीं हुआ
रिपोर्ट के अनुसार, 'लड़कों और लड़कियों के लिए अलग शौचालय का लक्ष्य 535 स्कूलों में पूरा नहीं हुआ।' यह 1,967 स्कूलों का 27 प्रतिशत है।
30 प्रतिशत शौचालय साफ-सफाई, पानी नहीं होने जैसे कारणों से उपयोग में नहीं
कैग के अनुसार सर्वे में शामिल 2,326 निर्मित शौचालयों में से 691 (30 प्रतिशत) का उपयोग नहीं हो पा रहा था। कैग के सर्वेक्षण के मुताबिक 2,326 निर्मित शौचालयों में से 1,679 (72 प्रतिशत) में शौचालय के अंदर पानी की सुविधा नहीं थी। वहीं 1,279 (55 प्रतिशत) में हाथ धोने की सुविधा नहीं थी। इसके साथ ही कई शौचालयों का निर्माण नियमों के अनुरूप ठीक से नहीं किया गया था जिससे उनका प्रभावी इस्तेमाल नहीं हो पा रहा था।