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रंगोली बनाकर CAA का विरोध प्रदर्शन करने वाली महिला का निकला पाकिस्‍तान कनेक्‍शन, पुलिस कर रही जांच

तमिलनाडु में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वाली एक महिला पुलिस की नजर में आ गई है।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 02 Jan 2020 09:58 AM (IST)Updated: Thu, 02 Jan 2020 12:45 PM (IST)
रंगोली बनाकर CAA का विरोध प्रदर्शन करने वाली महिला का निकला पाकिस्‍तान कनेक्‍शन, पुलिस कर रही जांच
रंगोली बनाकर CAA का विरोध प्रदर्शन करने वाली महिला का निकला पाकिस्‍तान कनेक्‍शन, पुलिस कर रही जांच

चेन्‍नई, पीटीआइ। तमिलनाडु में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर(NRC) का विरोध करने वाली एक महिला पुलिस की नजर में आ गई है। दरअसल, इस महिला के सोशल मीडिया प्रोफाइल से पता चलता है कि वह पाकिस्‍तान के किसी संगठन में शोधकर्ता हैं। चेन्‍नई के पुलिस आयुक्‍त ए के विश्‍वनाथन ने बताया कि यह पता करने के लिए हमने जांच शुरू कर दी है कि महिला का पाकिस्‍तान से कोई सीधा संबंध है या नहीं। इस महिला ने कुछ महिलाओं के साथ मिलकर कोलम (रंगोली) बनाकर विरोध प्रदर्शन किया था।

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इस विरोध प्रदर्शन में कुछ महिलाओं ने रविवार को चेन्नई के बेसंत नगर इलाके में रंगोली बनाई और नो टू सीएए, नो टू एनआरसी और नो टू एनपीआर लिखा। सिटी पुलिस ने इस संबंध में कुछ लोगों को हिरासत में लिया और बाद में उन्हें रिहा कर दिया। इस घटना के बाद द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) अध्यक्ष एमके स्टालिन और डीएमके सांसद कनिमोझी ने कोलम का समर्थन किया है। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने स्‍टालिन से मुलाकात भी की थी।

पुलिस आयुक्‍त ने बताया, 'हम जांच कर रहे हैं कि गायत्री खंधादाई का पाकिस्‍तान के बाइट्स फॉस ऑल से संबंध है या नहीं? यह महिला नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चेन्‍नई के कोलम में हुए विरोध प्रदर्शन में नजर आई थी। अगर आप गायत्री का फेसबुक प्रोफाइल देखते हैं, तो पता चलता है कि वह बाइट्स फॉस ऑल पाकिस्‍तान की शोधकर्ता हैं।' उन्‍होंने बताया कि इस संस्‍था का एसोसिएशन ऑफ ऑल पाकिस्‍तान सिटीजन जर्नलिस्‍ट्स के साथ संबंध होने का शक है।

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून पर विरोध बेवजह है। इस कानून को लेकर सोशल मीडिया पर काफी भ्रम फैलाया जा रहा है। इस कानून से भारत के किसी भी धर्म के शख्‍स की नागरिकता नहीं छीनी जाएगी। ये कानून सिर्फ पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और अफगानिस्‍तान में रहने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई धर्म के शोषित लोगों को भारत की नागरिकता हासिल करने की राह आसान करता है। भारत के मुस्लिमों या किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों की नागरिकता को इस कानून से खतरा नहीं है।


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