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घटते जंगलों से बढ़ रही चिंता, 2018 तक हमने खो दिए 2.6 करोड़ हेक्टेयर से अधिक जंगल

एक नई रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 से 2018 तक पृथ्वी ने हर साल 2.6 करोड़ हेक्टेयर से अधिक जंगल खो दिए जिनका वन्य जीवन और जलवायु परिवर्तन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Sun, 15 Sep 2019 09:34 AM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2019 09:34 AM (IST)
घटते जंगलों से बढ़ रही चिंता, 2018 तक हमने खो दिए 2.6 करोड़ हेक्टेयर से अधिक जंगल
घटते जंगलों से बढ़ रही चिंता, 2018 तक हमने खो दिए 2.6 करोड़ हेक्टेयर से अधिक जंगल

 नई दिल्ली, मुकुल व्यास। दुनिया में हर साल जंगलों का बहुत बड़ा क्षेत्र गायब हो रहा है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 से 2018 तक पृथ्वी ने हर साल 2.6 करोड़ हेक्टेयर से अधिक जंगल खो दिए जिनका वन्य जीवन और जलवायु परिवर्तन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। विभिन्न देशों की सरकारों द्वारा 2020 तक प्राकृतिक जंगलों के नुकसान को आधा करने के संकल्प के बावजूद जंगलों के दायरे में कमी आ रही है। 

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रिपोर्ट में कही गई ये बात

यह रिपोर्ट जारी करने वाली संस्था ‘क्लाइमेट फोकस’ ने चेतावनी दी है कि पिछले पांच वर्षो के दौरान हुए जंगलों के विनाश को देखते हुए सरकारों द्वारा अपने संकल्प को पूरा करना असंभव है। वनों पर 2014 की न्यूयॉर्क घोषणा पर 200 से अधिक हस्ताक्षर किए गए थे जिनमें विभिन्न देशों और कंपनियों के अलावा पर्यावरण समूह भी शामिल थे। यह रिपोर्ट 23 सितंबर को होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मलेन के मौके पर जारी की गई है। 

सालाना 2.6 करोड़ हेक्टेयर जंगल जलाए गए

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 से 2018 के बीच सालाना 2.6 करोड़ हेक्टेयर जंगलों के जलाए जाने से 2001-2013 की तुलना में दुनिया में वन क्षति की दर में 43 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2001 से 2015 तक दुनिया में हुए जंगलों के विनाश में करीब 90 प्रतिशत हिस्सा उष्णकटिबंधीय जंगलों का है। वर्ष 2014-2018 में उनकी क्षति की वार्षिक दर में 44 प्रतिशत की वृद्धि हुई। ऐसा सोयाबीन और पाम ऑयल जैसी फसलों के लिए जंगल साफ करने की वजह से हुआ। दक्षिण अमेरिका, दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका के प्रमुख उष्णकटिबंधीय जंगलों पर इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ी। 

इस रिपोर्ट में अमेजन के जंगलों में हालिया विनाश के आंकड़े शामिल नहीं हैं, लेकिन शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि ब्राजील के जंगलों में इस साल जून में वनों के विनाश की दर में जून 2018 की तुलना में 88 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अमेजन और कांगो के जंगलों में हाल के दिनों में फैली व्यापक आग से पूरी दुनिया हिल गई है। जलवायु विज्ञान पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिग में वनों की सुरक्षा की अहम भूमिका है। वन गर्मी को जकड़ने वाले कार्बन का भंडारण करते हैं। वर्षा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं और आसपास की जलवायु को ठंडा करते हैं, लेकिन जंगलों को जलाकर नष्ट करने या उनकी कटाई से तापमान में वृद्धि होती है जिससे जंगलों को खतरा बढ़ता है। 

लोग बाते ज्यादा और काम कम कर रहे हैं:  शालरेट स्ट्रेक

क्लाइमेट फोकस की सह-संस्थापक और निदेशक शालरेट स्ट्रेक ने कहा कि हम ऐसे दौर में रह रहे हैं, जब लोग बातें ज्यादा और काम कम करते हैं। यह सही है कि दुनिया के कई देशों में पौधरोपण के कार्यक्रम शुरू किए गए हैं, लेकिन इनसे प्राकृतिक और पुराने जंगलों के नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती। नए जंगलों की तुलना में पुराने जंगलों में अधिक जैव-विविधता होती है और वे कार्बन से संपन्न होते हैं। वनों के क्षरण को रोकने केलिए सभी को अपना आचरण बदलना होगा। उन उत्पादों की मांग घटानी होगी जो वन-कटाई से जुड़े हुए हैं। साथ ही मांस की खपत भी कम करनी होगी। 

मुकुल व्यास, लेखक विज्ञान मामलों के जानकार हैं।


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