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Indian Railways: देश में छह नए रूटों पर बुलेट ट्रेन का प्रस्ताव, जानिए कौन से हैं ये रूट

Indian Railways मुंबई-अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चाहे जब चले लेकिन रेलवे ने नई बुलेट ट्रेनों की तैयारियां शुरू कर दी हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 06:36 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jan 2020 04:03 PM (IST)
Indian Railways: देश में छह नए रूटों पर बुलेट ट्रेन का प्रस्ताव, जानिए कौन से हैं ये रूट
Indian Railways: देश में छह नए रूटों पर बुलेट ट्रेन का प्रस्ताव, जानिए कौन से हैं ये रूट

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मुंबई-अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चाहे जब चले, लेकिन रेलवे ने नई बुलेट ट्रेनों की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिए दिल्ली-आगरा-लखनऊ-वाराणसी तथा दिल्ली-चंडीगढ़-लुधियाना-अमृतसर समेत छह नए हाईस्पीड कॉरिडोर्स की पहचान कर ली गई है। एक साल के भीतर इनकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार हो जाएंगी।

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छह हाईस्पीड कॉरिडोर की पहचान

रेलवे बोर्ड चेयरमैन विनोद यादव ने इस बात की जानकारी संवाददाता सम्मेलन में दी। उन्होंने कहा कि नए हाईस्पीड कॉरिडोर्स में 865 किलोमीटर लंबे दिल्ली-ग्रेटर नोएडा-आगरा-लखनऊ-वाराणसी तथा 459 किलोमीटर लंबे दिल्ली-चंडीगढ़-लुधियाना-जालंधर-अमृतसर कॉरिडोर्स के अलावा 886 किलोमीटर लंबा दिल्ली-जयपुर-उदयपुर-अहमदाबाद, 753 किलोमीटर लंबा मुंबई-नासिक-नागपुर, 711 किलोमीटर लंबा मुंबई-हैदराबाद तथा 435 किलोमीटर लंबा चेन्नई-बंगलूर-मैसूर के कॉरिडोर्स भी शामिल होंगे।

एक वर्ष में तैयार होगी डीपीआर 

'हमने इन छह हाईस्पीड कॉरिडोर की पहचान कर ली है। एक वर्ष के भीतर इनकी डीपीआर तैयार कर ली जाएगी। डीपीआर में इस बात का अध्ययन किया जाएगा कि इन रूटों पर हाईस्पीड ट्रैक बिछाने में कौन-कौन सी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। जमीन कहां-कहां और कैसे उपलब्ध होगी। जमीन की उपलब्धता के आधार पर ट्रैक का एलाइनमेंट तय होगा। इसके अलावा इन रूटों पर यात्रियों की उपलब्धता तथा तदनुसार किराया निर्धारण का भी आकलन किया जाएगा। डीपीआर तैयार होने के बाद हम देखेंगे कि इन्हें हाईस्पीड कॉरिडोर्स के तौर पर विकसित किया जाए या कि सेमी-हाईस्पीड रूटों के तौर पर।'

छह महीनों में 90 फीसद जमीन का अधिग्रहण

मुंबई-अहमदाबाद हाईस्पीड कॉरिडोर के बारे में पूछे जाने पर यादव ने कहा कि अगले छह महीनों में प्रोजेक्ट के लिए जरूरी 90 फीसद जमीन का अधिग्रहण हो जाएगा। हमें प्रोजेक्ट के लिए 1380 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है। इसमें से 1005 हेक्टेयर जमीन निजी है। इस निजी जमीन में से 471 हेक्टेयर जमीन का हम अधिग्रहण कर चुके हैं, जबकि 149 हेक्टेयर सरकारी जमीन में से 119 हेक्टेयर का अधिग्रहण किया जा चुका है। शेष 128 हेक्टेयर भूमि रेलवे की है जो प्रोजेक्ट को दी जा चुकी है।

कोच/वैगन में भी आरएफआइडी टैग

इस बीच रेलवे ने अपने रोलिंग स्टॉक की ट्रैकिंग के लिए फास्टैग की तर्ज पर सभी कोच तथा वैगनों में आरएफआइडी टैग लगाने का निर्णय लिया है। रेलवे बोर्ड के सदस्य, रोलिंग स्टॉक राजेश अगरवाल के अनुसार रेलवे के तकरीबन साढ़े तीन लाख कोच और वैगनों में आरएफआइडी टैग लगाए जाएंगे। इस परियोजना पर 112 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसे 2021 तक पूरा करने का प्रस्ताव है। परियोजना पर पहले ही काम शुरू हो चुका है और अब तक 22 हजार वैगनो तथा 1200 कोच में आरएफआइडी टैग लगाए जा चुके हैं।

चलती ट्रेनों में इन टैग की रीडिंग के लिए टोल प्लाजा की तर्ज पर 3500 फिक्स्ड आरएफआइडी रीडर्स स्थापित किए जाएंगे। इन रीडर्स के माध्यम से कोच और वैगन की लोकेशन के बारे में कंट्रोल रूम को सूचनाएं प्राप्त होंगी। सेंटर फॉर रेलवे इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स (क्रिस) द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे इस प्रोजेक्ट के तहत 180 किलोमीटर प्रति घंटे से भी अधिक रफ्तार पर ट्रेनों की स्थिति का पता लगाया जा सकता है।

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