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Bullet Train Project ने पकड़ी रफ्तार, जानें कैसे शुरू होगा ये काम

Bullet Train Project टेंडर से संबंधित 66 फीसद से अधिक जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। ठेका पाने वाली कंपनी को ये कार्य 1370 दिनों में पूरा करना होगा।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 04 Aug 2019 10:20 PM (IST)Updated: Sun, 04 Aug 2019 10:20 PM (IST)
Bullet Train Project ने पकड़ी रफ्तार, जानें कैसे शुरू होगा ये काम
Bullet Train Project ने पकड़ी रफ्तार, जानें कैसे शुरू होगा ये काम

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अहमदाबाद से मुंबई के बीच देश की पहली महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना के काम ने अब रफ्तार पकड़ ली है। परियोजना की दो तिहाई दूरी से संबंधित निर्माण ठेकों के लिए निविदाएं आमंत्रित की जा चुकी हैं। इनके ठेके अगले कुछ महीनों में दे दिए जाएंगे और काम शुरू हो जाएगा।

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बाकी एक तिहाई दूरी, जिसमें भूमि अधिग्रहण की अड़चनें हैं, के टेंडर बाद में आमंत्रित किए जाएंगे। इसी के साथ परियोजना के निर्धारित समय पर पूरा होने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। परियोजना में जल संरक्षण एवं कचरा प्रबंधन के ऐसे इंतजाम किए जा रहे हैं जो देश की अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए मिसाल बनेंगे।

बोली के लिए चार महीने का समय
नेशनल हाईस्पीड रेल कारपोरेशन (NHRCL) के अधिकारियों के मुताबिक हाल ही में कारपोरेशन ने आनंद-नडियाड के बीच 90 किलोमीटर दूरी पर एलीवेटेड कॉरिडोर से संबंधित विभिन्न निर्माण कार्यो के टेंडर आमंत्रित किए हैं। इनकी बोली के लिए चार महीने का समय दिया गया। इन टेंडर से संबंधित 66 फीसद से अधिक जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। ठेका पाने वाली कंपनी को ये कार्य 1370 दिनों में पूरा करना होगा।

इसी के साथ परियोजना से संबंधित 69 फीसद (348 किलोमीटर) कार्यो के लिए टेंडर आमंत्रित किए जा चुके हैं। परियोजना की कुल दूरी 508 किलोमीटर है, जिसमें 21 किलोमीटर का हिस्सा भूमिगत सुरंग तथा 5 एलीवेटेड स्टेशनों तथा एक सूरत में बनने वाले डिपो से संबंधित टेंडर हैं।

इससे पहले परियोजना के एलीवेटेड हिस्से के लिए दो निविदाएं आमंत्रित की जा चुकी हैं। इनमें एक का संबंध महाराष्ट्र-गुजरात सीमा तथा वडोदरा के जरोली गांव के बीच 237.10 किलोमीटर लंबे वायाडक्ट के निर्माण से, जबकि दूसरी का संबंध 21 किलोमीटर लंबी भूमिगत सुरंग से है, जिसका सात किलोमीटर हिस्सा महाराष्ट्र में समुद्र के भीतर से गुजरेगा।

 तीन मेंटीनेंस डिपो बनेंगे
परियोजना के तहत स्थापित किए जा रहे तीन डिपों में जल संरक्षण एवं कचरा प्रबंधन के अत्याधुनिक इंतजाम किए जाएंगे। इनमें सबसे बड़ा डिपो साबरमती में बनेगा जो 80 हेक्टेयर में फैला होगा। दूसरा 60 हेक्टेयर में विस्तारित डिपो थाणे में बनेगा। करीब 44 हेक्टेयर में सूरत में बनने वाले तीसरे डिपो में जापान से आयातित ट्रेनों को रखा जाएगा। तीनो डिपो का विकास जापान में सेंडाई और कानाजावा में बुलेट ट्रेन कंपनी शिंकान्सेन द्वारा बनाए गए डिपो की तर्ज पर किया जाएगा।

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जल संरक्षण व उपचार
पानी की आवश्यकता पूरी करने के लिए इन डिपों के भीतर ही सरोवर बनाए जाएंगे। इनमें वर्षा जल को संग्रहीत किया जाएगा और उपयोग के बाद शोधन व उपचार के जरिए उसे पुन: उपयोग के योग्य बनाया जाएगा। यही नहीं, फालतू वर्षा जल को जमीन के भीतर डालने के लिए जगह-जगह रिचार्ज पिट भी बनाए जाएंगे।

 कचरा विलगन एवं प्रबंधन
बुलेट ट्रेनों तथा डिपों से उत्पन्न कचरे को विखंडनीय एवं गैर-विखंडनीय के रूप में छांट कर अलग-अलग एकत्र किया जाएगा और फिर ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए उसका शोधन एवं उपचार किया जाएगा।

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