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भैंस के दूध का कर्ज चुकाना है, छुट्टी दे देजिए साहब, कांस्टेबल के नाम से वायरल हुआ पत्र

सोशल मीडिया में एक कांस्‍टेबल के नाम से लिखा हुआ फर्जी पत्र वायरल हो रहा है। इसमें अधिकारी से गुजारिश की गई है कि भैंस के दूध का कर्ज उतारने के लिए उसे अवकाश दिया जाए।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 27 Jun 2020 06:01 AM (IST)Updated: Sat, 27 Jun 2020 06:01 AM (IST)
भैंस के दूध का कर्ज चुकाना है, छुट्टी दे देजिए साहब, कांस्टेबल के नाम से वायरल हुआ पत्र

रीवा, जेएनएन। 'साहब मेरा भैंस से पुराना लगाव है। उसी का दूध पीकर मैं इस मुकाम तक पहुंचा हूं। भैंस का दूध पीकर मैं शारीरिक श्रम करके सेना में भर्ती होने की तैयारी करता था। मेरी भैंस ने हाल ही में एक बच्‍चे को जन्‍म दिया है जिसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। ऐसे में मेरा भी उसके प्रति फर्ज बनता है। श्रीमान जी से निवेदन है कि भैंस के उसी दूध का कर्ज उतारने के लिए मुझे अवकाश दिया जाए। मैं घर जाकर भैंस की सेवा करना चाहता हूं...'

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यह उस पत्र का मजमून है जो मध्य प्रदेश के रीवा में कथित तौर पर एसएएफ कमांडेंट को लिखा गया है। यह कथित 'फर्जी' पत्र सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। यही नहीं सो‍शल मीडिया पर इसे एसएएफ की 9वीं बटालियन में पदस्थ कांस्टेबल कुलदीप तोमर की ओर से लिखना बताया जा रहा है। बताते हैं कि यह मामला कमाडेंट की नजर में आया तो उन्‍होंने तोमर को तलब कर कड़ी फटकार लगाई लेकिन कांस्टेबल ने ऐसा 'फर्जी' पत्र लिखने से इनकार कर दिया है।

पत्र में मां के स्‍वास्‍थ्‍य के खराब होने की बात भी कही गई है। अब विभाग के अधिकारी इस वायरल हो रहे पत्र की हैंडराइटिंग मिलान किराए जाने की बात कह रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस 'फर्जी' पत्र पर एक लाख से अधिक लोगों ने कमेंट किया है या इसे शेयर किया है। यही नहीं जिला मुख्यालय में 'फर्जी' पत्र की चर्चा जोरों पर है। कमांडेंट आरएस मीणा ने इसे वाकए को गंभीर अनुशासनहीनता करार देते हुए कांस्‍टेबल को निलंबित करने तक की चेतावनी दी थी।

रीवा में एसएएफ की 9वीं बटालियन के कमांडेंट आरएस मीणा ने बताया कि एक पत्र मिला है लेकिन इसको जिस कांस्‍टेबल की ओर से लिखना बताया जा रहा है उसका कहना है कि उसने इसे नहीं लिखा है। लिहाजा पत्र की जांच कराई जा रही है। फि‍लहाल कुलदीप ड्यूटी में है। उसने छुट्टी का किसी भी प्रकार का आवेदन नहीं दिया है। इस मामले में आरक्षक का यह भी कहना है कि 'किसी ने उसके नाम से यह फर्जी पत्र लिखा है।' 


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