ब्राजील में बांध को ढहता देख कांप गई लोगों की रूह, भारत में आ सकती है इससे बड़ी तबाही!
ब्राजील में खदान पर बना बांध ढहने से मरने वालों की संख्या लगभग 100 पहुंच चुकी है और 300 से ज्यादा लोग लापता हैं। कल्पना कीजिए अगर ब्राजील के बांध की तरह, टिहरी बांध टूट जाए, तो क्या होगा?
नई दिल्ली, जागरण स्पेशल। दक्षिण-पूर्व ब्राजील में खदान पर बना बांध ढहने से मरने वालों की संख्या लगभग 100 पहुंच चुकी है और 300 से ज्यादा लोग लापता हैं। बांध ढहने के बाद ब्राजील की दिग्गज खनन कंपनी वेल पर पौने पांच अरब रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इस हादसे ने सितंबर 2010 में टिहरी बांध के बैराज खोलने से हुए नुकसान की यादें ताजा हो गईं। कल्पना कीजिए कि अगर ब्राजील के बांध की तरह, टिहरी बांध टूट जाए, तो क्या होगा? जानकार बताते हैं कि ऐसे में जो भयंकर जल प्रलय आएगा, उसमें उत्तर भारत जलमग्न हो जाएगा। टिहरी बांध का पानी पश्चिम बंगाल तक पहुंच जाएगा।
बता दें कि ब्राजील में बांध ढहने के बाद लापता हुए 300 से अधिक लोगों में से 150 लोग बांध के नजदीक स्थित कंपनी के प्रशासनिक कार्यालय में काम करते थे। इसलिए ये संभावना जताई जा रही है कि इन लोगों के बचने की उम्मीद काफी कम थी। यह खदान ब्राजील की खनन कंपनी वेल की है। इसी राज्य में कंपनी की 2015 में एक खदान ढह गई थी जिसमें 19 लोगों की मौत हुई थी। बता दें कि कुछ महीने पहले ही एक जर्मन कंपनी ने इस बांध का निरीक्षण किया था, लेकिन उसने इसमें किसी तरह की खामी नहीं पाई थी। दुनियाभर में इस संबंध में विशेषज्ञता रखने वाली म्यूनिख आधारित कंपनी तुवे सुद ने खदान का मालिकाना हक रखने वाली कंपनी के अनुरोध पर सितंबर 2018 में निरीक्षण किया था। तब उसे बांध की सरंचना में किसी प्रकार की खामी नहीं मिली थी।
ग्रीनपीस के ब्राजील स्थित कार्यालय ने इस आपदा के बारे में कहा कि बांध टूटना बताता है कि इस संबंध में पूर्व के अनुभवों से सरकार और खनन कंपनी ने कुछ नहीं सीखा है। बताया गया कि बांध का टूटना एक दुर्घटना नहीं, बल्कि पर्यावरणीय अपराध है जिसकी जांच होनी चाहिए और जिम्मेदार लोगों को सजा मिलनी चाहिए।
20 लाख घन मीटर थी बांध की क्षमता
ब्राजील में ढहे बांध का इस्तेमाल खदान से निकले लौह अयस्क की सफाई की प्रक्रिया में बने मलबे को जमा करने के लिए किया जाता था। ये खदान ब्राजील की सबसे बड़ी खनन कंपनी वेले की है। कंपनी के अनुसार, इस इलाके में कई बांध बनाए गए थे जिनमें से एक ब्रूमाडिन्हो बांध है। 1976 में बनाए गए इस बांध में 20 लाख घन मीटर तक मलबा रखने की क्षमता थी।
टिहरी बांध टूटा तो आएगा जल प्रलय
यह टिहरी बांध के बाद देश का दूसरा सबसे ऊंचा और दुनिया का तीसरा सबसे ऊंचा बांध है। सितंबर 2010 में टिहरी बांध के बैराज खोलने से हुए नुकसान की यादें आज भी ताजा हैं। यदि भविष्य में कभी टिहरी बांध का बैराज टूटा तो उत्तर भारत में जल प्रलय आ सकती है। ऐसे में ऋषिकेश, हरिद्वार सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बड़ा हिस्सा पानी में डूबा होगा। एक वैज्ञानिक ने लिखा है भूकम्प की स्थिति में यदि यह बांध टूटा तो जो तबाही मचेगी, उसकी कल्पना करना भी कठिन है। पश्चिम बंगाल तक इसका व्यापक दुष्प्रभाव होगा। मेरठ, हापुड़, बुलन्दशहर में साढ़े आठ मीटर से लेकर 10 मीटर तक पानी ही पानी हो जाएगा। हरिद्वार, ऋषिकेश का तो नामोनिशान तक नहीं रहेगा।
प्राकृतिक आपदाओं के मामले में संवेदनशील जोन में आता है भारत
वैश्विक एजेंसियों का आकलन है कि हमारा देश प्राकृतिक आपदाओं के मामले में संवेदनशील जोन में आता है। इंटरनेशनल फंडरेशन ऑफ रेडक्रॉस एंड रेड क्रिसेंट सोसाइटीज द्वारा 2010 में प्रकाशित विश्व आपदा रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2000 से 2009 के बीच आपदाओं से प्रभावित होने वाले लोगों में 85 फीसदी एशिया प्रशांत क्षेत्र के थे। अगर रियेक्टर पैमाने पर 8 की तीव्रता से भूकंप आया तो टिहरी बांध के टूटने का खतरा उत्पन्न हो सकता है। अगर ऐसा हुआ तो उत्तरांचल सहित अनेक मैदानी इलाके डूब जाएंगे। हालांकि पिछले 12 वर्षों में टिहरी बांध परियोजना से निर्धारित करीब 39 हजार लक्ष्य के सापेक्ष 43 हजार मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ है। बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं में अग्रणी टिहरी बांध परियोजना देश के विकास में अहम योगदान दे रही है।