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बेजोड़ है ये मिसाइल, मैक 7 की गति से दुश्मन पर कहर बरपाएगी ब्रह्मोस

दोनों देशों की संयुक्त कंपनी ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीईओ और एमडी सुधीर मिश्र ने बताया कि हमें इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सात से दस साल का समय चाहिए।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sun, 29 Apr 2018 08:15 PM (IST)Updated: Mon, 30 Apr 2018 09:19 AM (IST)
बेजोड़ है ये मिसाइल, मैक 7 की गति से दुश्मन पर कहर बरपाएगी ब्रह्मोस
बेजोड़ है ये मिसाइल, मैक 7 की गति से दुश्मन पर कहर बरपाएगी ब्रह्मोस

मुंबई, प्रेट्र : भारत और रूस के संयुक्त प्रयास से विकसित दुनिया की सबसे तेज गति की मिसाइल ब्रह्मोस अगले दशक में और ज्यादा घातक स्वरूप में सामने आ सकती है। इसकी रफ्तार मैक सेवन से भी ज्यादा हो सकती है। अर्थात यह आवाज की रफ्तार से सात गुना से भी ज्यादा तेज गति से दुश्मन की तरफ बढ़कर उसे बर्बाद करेगी। यह गति करीब 9,000 किलोमीटर प्रति घंटे की होगी। यह हाइपरसोनिक मिसाइल की श्रेणी में आ जाएगी और इसे निष्फल कर पाना असंभव होगा।

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दोनों देशों की संयुक्त कंपनी ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीईओ और एमडी सुधीर मिश्र ने बताया कि हमें इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सात से दस साल का समय चाहिए। उन्होंने बताया कि ब्रह्मोस मिसाइल इस समय 2.8 मैक की गति से हमला करती है। यह बहुत जल्द 3.5 मैक की स्पीड प्राप्त कर लेगी। यह मिसाइल महज तीन साल बाद मैक 5.0 (करीब छह हजार किलोमीटर प्रति घंटा) की रफ्तार पकड़ लेगी। वैसे प्रायोगिक रूप से ब्रह्मोस के लिए छह हजार किलोमीटर की गति प्राप्त कर ली गई है। इसे हाइपरसोनिक मिसाइल में प्रयोग के लिए तैयार करने में समय लगेगा। सुधीर मिश्र ने कहा है कि तैयार मैक 5.0 स्पीड की मिसाइल अगली पीढ़ी का हथियार होगी।

ब्रह्मोस के सीईओ ने बताया कि भारतीय संस्थान रक्षा अनुसंधान विकास परिषद (डीआरडीओ), आइआइटी और भारतीय विज्ञान संस्थान इस परियोजना पर हमारे साथ काम कर रहे हैं। इसी तरह का सहयोग रूसी संस्थाएं भी दे रही हैं। उन्होंने बताया कि संयुक्त उपक्रम में डीआरडीओ की भागीदारी 55 फीसद की है, जबकि 45 प्रतिशत रूस की है। कंपनी के पास इस समय 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के ऑर्डर हैं।

मिश्र ने बताया कि मिसाइल को प्रभावी बनाने के लिए इसकी गुणवत्ता में लगातार बढ़ोतरी की जा रही है। इसी का नतीजा है कि इसे युद्धपोत, पनडुब्बी, सुखोई-30 विमान के साथ ही जमीन से लांचर के जरिये दुश्मन के ठिकानों पर छोड़ा जा सकता है। वर्तमान में दुनिया के किसी भी देश के पास ऐसी मिसाइल नहीं है।


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