Book Review: महाभारत अनरावेल्ड- महाभारत पर अनेकों प्रचलित शंकाओं को तथ्यों से तोड़ने का समाधान
Book Review महाभारत अनरावेल्ड - इस पुस्तक में लेखिका ने महाभारत को लेकर अनेक प्रचलित धारणाओं को तथ्यों के आधार पर तोड़ने का प्रयास किया है। अंग्रेजी माहौल में पले-बढ़े युवाओं के लिए उनकी यह पुस्तक काफी उपयोगी साबित होगी।
ब्रजबिहारी। भारत की महानता के महाकाव्य महाभारत पर सदियों से कलम चलाई जा रही है। अलग-अलग भाषाओं में इसके कई रूप उपलब्ध हैं। समग्रता में और उसमें शामिल अलग-अलग चरित्रों के इर्द-गिर्द भी रचनाएं लिखी गई हैं। फिल्में और टीवी सीरियलों के जरिए भी जन-जन तक इसके कई रूप पहुंचे हैं। इसकी वजह से वेदव्यास की मूल संस्कृत में लिखे गए इस महाकाव्य के कथ्य और तथ्य कई रचनाओं में नहीं मिलते हैं। हजारों वर्ष के दौरान लेखकों ने कल्पना के सहारे इसमें बहुत कुछ जोड़ा-घटाया है। इसके मद्देनजर आमी गनात्रा की पुस्तक ‘महाभारत अनरावेल्ड : लेसर नोन फसेट्स आफ अ वेल नोन हिस्ट्री’ का स्वागत किया जाना चाहिए। खासकर अंग्रेजी माहौल में पले-बढ़े युवाओं के लिए उनकी यह पुस्तक काफी उपयोगी साबित होगी।
आइआइएम अहमदाबाद की ग्रेजुएट आमी गनात्रा ने अपनी इस पुस्तक के जरिए आम लोगों में महाभारत को लेकर व्याप्त धारणा को तोडऩे का प्रयास किया है। महाभारत के गंभीर अध्येताओं के लिए तो इसमें कुछ भी नया नहीं है, लेकिन टेलीविजन पर दिखाई गई महाभारत की कथा को सच मानने वालों को इसे पढक़र काफी हैरानी हो सकती है। मसलन, शकुनि के चरित्र के बारे में आम धारणा यही है कि सब उसी का किया-धरा था। उसी ने दुर्योधन को उकसाया, लेकिन लेखिका ने मूल संस्कृत के पाठ के आधार पर बताया है कि महाभारत की कथा में एक ऐसा मोड़ भी आता है, जब शकुनि भांजे दुर्योधन से कहता है कि पांडवों को उनका राज लौटा दो। इसी तरह दुष्यंत और शकुंतला की कथा के जरिए लेखिका ने बताया है कि कालिदास ने जिस शकुंतला को प्रेम के वशीभूत दिखाया, वह मूल कथा में नारी सशक्तीकरण का प्रतीक बनकर उभरी है। दुष्यंत जब उन्हें नहीं पहचानते हैं तो वह कहीं से भी खुद को कमजोर नहीं समझती है, बल्कि पूरे भरोसे के साथ कहती है कि राजन, आप झूठ बोल रहे हैं। ययाति और देवयानी की कहानी में भी बहुत कुछ नया जानने को मिलता है। दरअसल, पुस्तक में महाभारत की मूल कथा के साथ ऐसे क्षेपक प्रसंगों को अलग से हाईलाइट किया गया है। इससे पाठक को काफी आसानी होगी।
महाभारत की कथा को लेकर एक और धारणा है कि द्रौपदी के द्वारा दुर्योधन को ‘अंधे का पुत्र अंधा’ कहना ही इस युद्ध की मुख्य वजह बनी, लेकिन मूल कथा में ऐसे किसी प्रसंग का उल्लेख नहीं है। पांडवों की नई राजधानी इंद्रप्रस्थ के शानदार महल की वास्तुकला के भ्रम में लडख़ड़ाकर दुर्योधन के गिरने की बात सही है। वहां उपस्थित पांडव और दूसरे लोगों ने उसकी हंसी भी उड़ाई, लेकिन द्रौपदी इसमें शामिल नहीं थी। अलबत्ता, दुर्योधन जब लौटकर हस्तिनापुर पहुंचा तो उसने अपने अपमान की कहानी में द्रौपदी का नाम भी जोड़ दिया। हालांकि उसने भी यह नहीं बताया कि ‘अंधे का पुत्र’ कहकर उसका मजाक उड़ाया गया। जाहिर है, हजारों वर्षों के दौरान सैकड़ों लेखकों से गुजरते हुए मूल कथा कई जगह बदल गई है। इसलिए आज की पीढ़ी तक उसके बारे में सही जानकारी पहुंचाना जरूरी है।
केवल अंग्रेजी वालों के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य भाषाओं के लोग भी इसका रसास्वादन कर अपनी कई शंकाओं का समाधान कर सकते हैं। खास बात यह है कि इसे पढऩे और समझने के लिए अंग्रेजी का सामान्य ज्ञान ही काफी है, क्योंकि लेखिका ने इसकी भाषा काफी सरल और सहज रखी है। पुस्तक की शैली आकर्षक है। विशेष उल्लेखनीय यह है कि इसमें पुरु वंश की पूरी वंशावली, महाभारत काल की वैज्ञानिक गणना और महाभारत युद्ध के भौगोलिक विस्तार के अध्याय भी है, जो इसमें रुचि रखने वाले पाठकों के लिए काफी उपयोगी हैं।
बहरहाल, लेखिका का मानना है कि महाभारत पर इस तरह की पुस्तकें लिखने से वह कुछ लोगों तक पहुंचेंगी, लेकिन अगर देश के स्कूलों में शुरुआत से ही रामायण और महाभारत को पाठ्यक्रम में शामिल कर दिया जाए तो इस देश का ज्यादा कल्याण होगा। 19वीं सदी के मध्य में इस देश में अंग्रेजों की सत्ता कायम होने से पहले देश भर में फैले गुरुकुलों के जरिए शिक्षा दी जाती थी और वहां ये दोनों महाकाव्य पढ़ाए जाते थे। उन्हें पढक़र व्यक्ति जिंदगी में किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकता था। आज स्थिति यह है कि इस्लामी मुल्क इंडोनेशिया में 40 साल से ऊपर के हर व्यक्ति को रामायण और महाभारत के बारे में पर्याप्त जानकारी है, लेकिन शायद भारत में ऐसा नहीं है। इससे दुखद और क्या हो सकता है।
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पुस्तक का नाम : महाभारत अनरावेल्ड
लेखक : आमी गनात्रा
प्रकाशक : ब्लूम्सबरी
मूल्य : 599 रुपये