सत्र न्यायालय के फैसले पर बांबे हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, तरुण तेजपाल को भेजा नोटिस
हाई कोर्ट ने कहा कि तरुण तेजपाल को बरी करने का सत्र अदालत का फैसला दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए एक नियम पुस्तिका जैसा है क्योंकि इसमें यह बताया गया है कि किसी पीड़िता को ऐसे मामलों में कैसी प्रतिक्रिया देनी चाहिए।
पणजी, प्रेट्र। बांबे हाईकोर्ट की गोवा पीठ ने बुधवार को पत्रकार तरुण तेजपाल मामले में सत्र न्यायालय के फैसले पर कठोर टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने कहा कि तरुण तेजपाल को बरी करने का सत्र अदालत का फैसला दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए एक नियम पुस्तिका जैसा है, क्योंकि इसमें यह बताया गया है कि किसी पीड़िता को ऐसे मामलों में कैसी प्रतिक्रिया देनी चाहिए। जस्टिस एससी गुप्ते ने तेजपाल को नोटिस जारी करने का आदेश देते हुए सुनवाई की अगली तारीख 24 जून तय की है।
गोवा सरकार ने तहलका पत्रिका के पूर्व प्रधान संपादक की रिहाई को उच्च न्यायालय में दी है चुनौती
हाई कोर्ट ने रजिस्ट्री विभाग को मामले से जुड़े सभी दस्तावेज को सत्र अदालत से मंगवाने का भी निर्देश दिया है। गोवा सरकार ने तेजपाल की रिहाई को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस गुप्ते ने कहा, 'यह फैसला इसे लेकर है कि उसने (पीड़िता ने) कैसी प्रतिक्रिया दी है। इसी पर गौर किया गया है। यह दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए नियम पुस्तिका जैसा है। फैसला सीधे मामले के सार और उसके बाद पीड़िता के साक्ष्यों तथा गवाहों के बयानों को ध्यान में रखते हुए दिया गया। यह पहली नजर में रिहाई के खिलाफ दाखिल अपील पर विचार करने का मामला लगता है।'
गोवा सरकार का पक्ष रख रहे सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सत्र अदालत के 527 पन्नों के फैसले के कुछ हिस्सों को पढ़ा, जिसमें पीड़ता के व्यवहार (कथित घटना के दौरान और बाद में) का जिक्र किया गया है। बता दें कि सत्र अदालत की न्यायाधीश क्षमा जोशी ने तहलका पत्रिका के पूर्व प्रधान संपादक तरुण तेजपाल को इस मामले में 21 मई को बरी कर दिया था। तेजपाल पर नवंबर, 2013 में गोवा में एक कार्यक्रम में शामिल होने के दौरान उस वक्त सहयोगी रही एक महिला से पांच सितारा होटल की लिफ्ट में यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगे थे।