सुशांत मामले में मीडिया ट्रायल पर HC की टिप्पणी, मीडिया अब ध्रुवीकरण का शिकार
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में मीडिया ट्रायल के खिलाफ सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की पीठ ने कहा कि मीडिया का अब काफी हद तक ध्रुवीकरण हो गया है।
मुंबई, प्रेट्र। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि मीडिया का अब काफी हद तक ध्रुवीकरण हो गया है जबकि पहले ऐसा नहीं था। पहले पत्रकार निष्पक्ष हुआ करते थे। मीडिया की चेक एंड बैलेंस आधारित पत्रकारिता की जिम्मेदारी खुद की है। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में मीडिया ट्रायल के खिलाफ आई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की पीठ ने यह बात कही।
सुनवाई में सीबीआइ की ओर से पेश हुए एडीशनल सोलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने साफ किया कि जांच के दौरान कोई भी जानकारी मीडिया में लीक नहीं की गई। इतना ही नहीं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने भी मामले के संबंध में कोई जानकारी मीडिया को नहीं दी। इस संबंध में तीनों ही सेंट्रल एजेंसियों ने अपनी ओर से शपथ पत्र दाखिल किया है।
एएसजी ने कहा, तीनों ही एजेंसियां अपनी जिम्मेदारी समझती हैं। ऐसे में जानकारी लीक करने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। कोर्ट में दायर याचिकाओं में मामले की कवरेज में मीडिया को संयम बरतने के लिए निर्देशित करने की मांग की गई है। सुनवाई के दौरान टीवी न्यूज के कंटेट के संबंध एक कानूनी व्यवस्था होने की आवश्यकता जताई गई। इस पर न्यूज चैनलों के वकीलों ने कहा, पूर्व में इस तरह की मांग को कोर्ट खारिज कर चुका है, इसलिए इस तरह की कोई व्यवस्था बनाने पर विचार नहीं होना चाहिए।
इस पर पीठ ने कहा, वह निर्णय तब था जब मीडिया निष्पक्ष था। याचिका में मांग दिशानिर्देश बनाने की नहीं है बल्कि सवाल चेक और बैलेंस बनाने का है। लोग भूल गए हैं कि कहां तक किसी मामले की कवरेज होनी चाहिए। अगर मीडिया को सरकार की निंदा करनी है, तो करे। लेकिन जो व्यक्ति मर गया है, उसे लेकर मनमाने आरोप तो नहीं लगने चाहिए। मामले की सुनवाई अगले सप्ताह भी होगी।