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डिप्रेशन का शिकार थे बॉलीवुड एक्‍टर सुशांत सिंह राजपूत, जानें क्‍या होते हैं इसके लक्षण

कहा जा रहा है कि सुशांत सिंह काफी समय से डिप्रेशन के शिकार थे। वे युवाओं के चहेते थे ऐसे में उनका डिप्रेशन के चलते ऐसा कदम उठाना कई तरह के सवाल खड़ा करता है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 14 Jun 2020 04:59 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jun 2020 04:59 PM (IST)
डिप्रेशन का शिकार थे बॉलीवुड एक्‍टर सुशांत सिंह राजपूत, जानें क्‍या होते हैं इसके लक्षण
डिप्रेशन का शिकार थे बॉलीवुड एक्‍टर सुशांत सिंह राजपूत, जानें क्‍या होते हैं इसके लक्षण

नई दिल्‍ली। बॉलीवुड एक्‍टर सुशांत सिंह राजपूत द्वारा खुदकुशी किए जाने की खबर से हर कोई सदमें में है। वे युवाओं के चहेते थे। युवाओं के लिए उनकी पहचान एक जिंदादिल और खुशनुमा इंसान के तौर थी। लेकिन महज 34 वर्ष की उम्र में उनके द्वारा इस तरह का कदम उठाए जाने से कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। कहा जा रहा है कि वे पिछले छह माह से डिप्रेशन में थे। कुछ दिन पहले ही उनकी एक सचिव ने भी खुदकुशी की थी। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है। उनके द्वारा उठाए गए इस घातक कदम के पीछे की वजह जानने के लिए दैनिक जागरण ने जाने माने मनोचिकित्‍सक डॉक्‍टर अवधेश शर्मा से बात की। इस बातचीत में हमनें ये जानने की कोशिश की कि आखिर कोई भी इंसान डिप्रेशन में क्‍यों आता है और इसके क्‍या लक्षण होते हैं।

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आत्‍महत्‍या के मामले में भारत

भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है जहां पर युवाओं द्वारा इस तरह का कदम सबसे अधिक उठाया जाता है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में हर वर्ष करीब आठ लाख लोग आत्‍महत्‍या का रास्‍ता चुनते हैं। रूस, भारत, कुछ यूरोपीय और अफ्रीकी देशों में आत्‍महत्‍या करने के मामले अन्‍य देशों की तुलना में कहीं अधिक हैं।

डॉक्‍टर अवधेश के मुताबिक डिप्रेशन की एक नहीं कई वजह हो सकती हैं। इसकी कुछ बड़ी वजहों में शामिल हैं:-

  • इसमें व्‍यक्ति के बेहद करीबी का दूर हो जाना।
  • परिवार से दूर अकेले रहना।
  • भविष्‍य को लेकर होने वाली चिंता।
  • असुरक्षा की भावना का पैदा होना।
  • अन्‍य लोगों द्वारा अलग-थलग कर देना।
  • वित्‍तीय समस्‍या समेत पारिवारिक समस्‍या।

डॉक्‍टर अवधेश के मुताबिक डिप्रेशन के शिकार व्‍यक्ति को कुछ लक्षणों के माध्‍यम से पहचाना जा सकता है। इनमें कुछ खास हैं:-

  • वह व्‍यक्ति दूसरों से मिलना-जुलना छोड़ देता है।
  • ऐसे व्‍यक्ति को नींद कम आती है या बार-बार नींद टूटती रहती है।
  • ऐसे व्‍यक्ति की भूख कम हो जाती है।
  • डिप्रेशन का शिकार व्‍यक्ति कमजोर होता जाता है।
  • ऐसा व्‍यक्ति अकेला रहना और कम बोलना पसंद करता है।

तुरंत चिकित्‍सक की मदद लें

ऐसे व्‍यक्ति की पहचान करने के बाद उसके करीबी और उसके परिजनों की जिम्‍मेदारी काफी बढ़ जाती है। ऐसे में व्‍यक्ति से बातें करना बेहद जरूरी होता है। उसको अकेला छोड़ना घातक हो सकता है। परिवार या उसके करीबी लोगों को चाहिए कि व्‍यक्ति के डिप्रेशन में होने का पता लगने के बाद तुरंत चिकित्‍सक से संपर्क करे। घर में खुशनुमा माहौल बनाए रखना बेहद जरूरी है। डॉक्‍टर अवधेश का कहना है कि उदासी और उदासीनता में बड़ा फर्क है। उदासी कुछ समय के लिए होती है, लेकिन लंबे समय तक उदासी बने रहने पर ये उदासीनता में तब्‍दील हो जाती है जो एक बीमारी है। इसका जितना जल्‍दी हो इलाज होना जरूरी होता है। उनके मुताबिक आत्‍महत्‍या करने की बात का मन में आना कई बार तुरंत और कभी-कभी लंबे तनाव का नतीजा होता है।

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