Move to Jagran APP

दुर्लभ बीमारी से जंग जीतेंगे अभिनेता इरफान खान, जानिए- डॉक्टरों ने क्या कहा

आंत व पेट का न्यूरो एंड्रोक्राइन ट्यूमर होता है लो ग्रेड, फेफड़ों व अन्य अंगों में यह घातक हो सकता है

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 20 Mar 2018 11:37 AM (IST)Updated: Tue, 20 Mar 2018 11:48 AM (IST)
दुर्लभ बीमारी से जंग जीतेंगे अभिनेता इरफान खान, जानिए- डॉक्टरों ने क्या कहा
दुर्लभ बीमारी से जंग जीतेंगे अभिनेता इरफान खान, जानिए- डॉक्टरों ने क्या कहा

आगरा (अजय दुबे)। एक अलग तरह की आवाज और आंखों से संवाद अदायगी का हुनर रखने वाले अभिनेता इरफान खान एक बड़ी बीमारी के चंगुल में हैं। न्यूरो एंड्रोक्राइन ट्यूमर नामक यह बीमारी गंभीर तो है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि यह अजेय नहीं। अगर समय पर और सही उपचार मिले तो इस बीमारी को हराया जा सकता है। आंत और पेट में यह ट्यूमर लो ग्रेड होता है, लेकिन फेफड़े सहित अन्य अंगों में यह घातक हो सकता है। उपचार के साथ- साथ हौसला बरकरार रखना आवश्यक है।

loksabha election banner

इरफान रोग से मुकाबले के लिए तैयार हैं और उन्होंने फिर से स्वस्थ होकर वापसी करने का भरोसा जाहिर किया है। उन्होंने जिस दिन अपनी दुर्लभ बीमारी की जानकारी देकर रोग को लेकर लगाई जा रहीं तमाम तरह की अटकलों को शांत किया उसी दिन उन्होंने अपने प्रशंसकों से यह अपील भी की कि वे उनका साथ दें। पूरे देश में इरफान के प्रशंसकों को भरोसा है कि वे जल्द वापसी करेंगे। इस भरोसे का आधार कुछ मरीजों का इस बीमारी से उबरना है। आगरा मेडिकल कॉलेज में ऐसे कई लोगों ने अपने हौसले के बल पर इस बीमारी को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया। आइए जानते हैं कि क्या होती है यह बीमारी और कैसे इससे उबरा जाता है।

क्या है न्यूरो एंड्रोक्राइन ट्यूमर

हार्मोन पैदा करने वाली एंड्रोक्राइन कोशिकाओं और नर्व कोशिकाओं की असमान वृद्धि से न्यूरो एंड्रोक्राइन ट्यूमर होता है। चिकित्सकीय जांच में यह अक्सर पेट और आंत में पाया जाता है। यहां यह लो ग्रेड होता है। इसका आकार भी छोटा होता है, डॉक्टर आम बोलचाल में इसे शरीफ ट्यूमर भी कह देते हैं, मगर, आंत से यह लिवर में फैल जाता है। इसके बाद भी सर्जरी केबिना मरीज 10 से 15 साल तक बेहतर जिंदगी जी सकते हैं। फेफड़े में यह हाई ग्रेड होता है। खून से शरीर के अन्य अंगों में फैलने पर घातक हो सकता है। यह सर्विक्स सहित अन्य अंगों में न्यूरो एंड्रोक्राइन कार्सिनॉइड ट्यूमर की तरह से व्यवहार करता है तो मरीज के लिए घातक हो सकता है।

ये होते हैं लक्षण

पेट, आंत, पैंक्रियाज में ट्यूमर होने पर डायरिया, पेट में दर्द, उल्टी, पसीना आना। फेफड़े में ट्यूमर, खांसी रहना, बुखार, ब्लड प्रेशर बढ़ना, घबराहट और बेचैनी एपेंडिक्स सहित कई अन्य अंगों में ट्यूमर होने पर कोई लक्षण नहीं होते हैं

इम्युनोहिस्टोलॉजी और हार्मोन की जांच से पहचान

इम्युनोहिस्टोलॉजी और हार्मोन की जांच से न्यूरो एंड्रोक्राइन ट्यूमर की पहचान की जाती है। ट्यूमर के टुकड़े के लिए स्पेसफिक स्टेन इस्तेमाल किए जाते हैं। इससे ग्रेड का पता चलता है।

सर्जरी से ही हो जाता है बीमारी का इलाज

रोग से पीड़ित व्यक्ति के आंत और पेट में ट्यूमर होने पर सर्जरी से ही इलाज हो जाता है। इसके बाद दो से तीन साल तक फॉलोअप किया जाता है। शरीर के अन्य अंगों में फैलने पर सर्जरी के साथ बायोथैरेपी देने की जरूरत होती है।

इस बीमारी को मात देने वाले कुछ लोगों की केस स्टडी

एक बीटेक छात्र को उल्टी की समस्या थी। उसने समस्या बढ़ते जाने के बाद चिकित्सकीय सहायता लेने का फैसला किया। डॉक्टर ने छात्र का अल्ट्रासाउंड कराया और इसके बाद उसकी इम्युनोहिस्टो केमिस्ट्री कराई, इसमें पैंक्रियाज के पास ट्यूमर था। डॉक्टर ने न्यूरो एंड्रोक्राइन ट्यूमर डायग्नोज करते हुए 2017 में ऑपरेशन किए। अब वह पूरी तरह से ठीक हैं और सामान्य जीवन बिता रहे हैं।

दूसरा मामला 72 साल के बुजुर्ग मरीज का है। उनको काफी समय से पेट में दर्द और डायरिया की शिकायत थी। जब परेशानी बढ़ती गई तो मरीज की जांच कराई गई । जांच-पड़ताल में पेट में न्यूरो एंड्रोक्राइन ट्यूमर डायग्नोज हुआ। इनका दो साल पहले ऑपरेशन किया गया, अब ये ठीक हैं।

न्यूरो एंड्रोक्राइन ट्यूमर ऑफ सर्विक्स अति दुर्लभ होता है। 22 जुलाई 2005 में आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में 30 वर्षीय एक महिला के इससे पीड़ित होने का पता चला। उन्हें भी डायरिया और उल्टी की शिकायत थी। वह भी सही उपचार पाकर स्वस्थ हो गईं। इससे संबंधित केस स्टडी जर्नल ऑफ ऑब्स एंड गायनी ऑफ इंडिया में प्रकाशित हुआ था।

विशेषज्ञ की राय

न्यूरो एंड्रोक्राइन कार्सिनॉइड ट्यूमर सही समय से डायग्नोज होने पर इलाज संभव है, एसएन में इस तरह के केस एडवांस स्टेज में आ रहे हैं। केस स्टडी भी

प्रकाशित हुई थी।

- डॉ. सुरभि गुप्ता, कैंसर

रोग विशेषज्ञ एसएन मेडिकल कॉलेज

अधिकांश केस में न्यूरो एंड्रोक्राइन ट्यूमर लो ग्रेड होता है, आंत और पेट का यह ट्यूमर लिवर तक पहुंच जाता है। इसके बाद भी मरीज 10 से 15 साल तक बेहतर जिंदगी जी सकते हैं। फेफड़े का ट्यूमर घातक होता है।

- डॉ. अतुल गुप्ता, पैथोलॉजी

विभागाध्यक्ष एसएन मेडिकल कॉलेज

यह ट्यूमर छोटी आंत, फेफड़े सहित अन्य अंग में हो सकता है। आकार छोटा हो और अन्य अंगों में नहीं फैला है तो मरीज ऑपरेशन से सही हो जाते हैं।

- डॉ. नरेंद्र देव, कैंसर सर्जन

21 साल के बीटेक छात्र का एंड्रोक्राइन ट्यूमर होने पर ऑपरेशन किया था। वह ठीक है। इसी तरह से एक महिला और 72 साल के मरीज का ऑपरेशन किया था, वे भी ठीक हैं।

-डॉ. हिमांशु यादव, गेस्ट्रो सर्जन 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.