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हेलीकॉप्टर घोटाले पर संसद में भी घिरी कांग्रेस

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पिछली सरकार के दौरान हुई धांधलियों और गड़बडि़यों का पूरा कच्चा चिट्ठा पेश कर दिया।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Wed, 04 May 2016 09:52 PM (IST)Updated: Wed, 04 May 2016 10:13 PM (IST)
हेलीकॉप्टर घोटाले पर संसद में भी घिरी कांग्रेस

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआइपी घोटाले के मामले में सरकार की ओर से कांग्रेस को संसद में भी कठघरे में खड़ा किया गया। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पिछली सरकार के दौरान हुई धांधलियों और गड़बडि़यों का पूरा कच्चा चिट्ठा पेश कर दिया। साथ ही कहा है कि जिन लोगों के नाम इटली की अदालत में आए हैं, जांच के दौरान उन पर खास तौर पर ध्यान दिया जाएगा। उधर, भाजपा सांसद सुब्रहमण्यम स्वामी ने कहा कि घोटाले में जिन लोगों का नाम आया है, उन्हें सीबीआइ हिरासत में ले कर पूछताछ करने की अपील कर डाली। जबकि विपक्ष ने इसे डराने और धमकाने की साजिश करार दिया है।

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बुधवार को राज्य सभा में अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हैलीकाप्टर घोटाले पर लगभग छह घंटे तक चर्चा हुई। इस दौरान विपक्ष ने जहां भ्रष्टाचार के मुख्य मुद्दे से हट कर सरकार को तकनीकी दांव-पेंच में फंसाने की कोशिश की वहीं सरकार की ओर से पर्रिकर ने विस्तार से सौदे के दौरान हुई हर गड़बड़ी को सामने रख दिया। उन्होंने कहा जिन लोगों ने राष्ट्रहित के खिलाफ काम किया है, उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा। पर्रिकर ने अपने बयान में पांच अगस्त, 2009 में भारतीय वायु सेना की ओर से इसकी जरूरत बताए जाने से ले कर सौदा तय होने और फिर रद्द होने तक की पूरी प्रक्रिया को सामने रख दिया। उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व का नाम लिए बिना कहा ऐसा लग रहा है कि कोई अदृश्य ताकत इस जांच को प्रभावित कर रही थी। सीबीआइ और ईडी इतने समय तक जितनी सक्रिय रही या नहीं इसकी वजह वही अदृश्य ताकत हो सकती है। सीबीआई ने 12 मार्च, 2013 को ही एफआइआर दर्ज कर ली थी, मगर नौ महीने तक ईडी को इसकी कापी तक नहीं भेजी। इस मामले में काफी जांच हो चुकी है। अब यह पता किया जा रहा है कि रिश्वत के पैसे किसके पास और कहां गए। उन्होंने यह भी कहा कि इटली की अदालत में जिन लोगों का नाम आया है, जांच के दौरान उन पर विशेष तौर पर ध्यान दिया जाएगा।

चर्चा के बाद कांग्रेस ने इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआइ जांच करवाने की मांग की गई। मगर सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने इसे गैर जरूरी बताते हुए ठुकरा दिया। इस मामले पर कांग्रेस के खिलाफ बेहद मुखर रहे सुब्रहमण्यम स्वामी ने भी चर्चा में भाग लिया। उन्होंने विभिन्न कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि इसमें जिन आरोपियों का नाम आ रहा है, उन्हें तुरंत जांच एजेंसियां अपनी हिरासत में लें और पूछताछ करें। भाजपा की ओर से भूपेंद्र यादव ने इस चर्चा की शुरुआत की थी।

कांग्रेस का कच्चा चिट्ठा

1. एक ही कंपनी की स्थिति लाना

मार्च, 2005 के बाद से विभिन्न मौकों पर सौदे की शर्तो में बदलाव कर ऐसी स्थिति बनाई गई कि अगस्ता वेस्टलैंड ही वीवीआइपी हेलीकाप्टर सौदे में एकमात्र विकल्प रह जाए।

2. सौदे की स्वीकृत प्रक्रिया का उल्लंघन

सौदे के दौरान असामान्य रूप से काफी बदलावों को मंजूरी दी गई। आपूर्ति सौदे में तय बातों को भी बदला गया।

3. खरीद राशि की संदेहास्पद बेंचमार्किग

सौदे को बहुत ऊंची दर पर करवाने के लिए बेंचमार्किग बहुत भारी रकम तय की गई। इस वजह से पूरे सौदे में कीमत बढ़ी।

4. शुरुआती कार्रवाई में काफी देरी

एक साल बाद और वह भी इटली की एजेंसियों की ओर से गिरफ्तारी हो गई तब जा कर तत्कालीन सरकार हरकत में आई और सीबीआइ जांच का आदेश दिया।

5. सौदा रद्द करने में देरी

सौदे को रद्द करने में भी सरकार ने अपनी ओर से कदम नहीं उठाए, बल्कि जब कंपनी ने आर्बिट्रेटर नियुक्त करने को कहा तब जा कर एडिशनल सोलीसीटर जनरल की सलाह पर यह सौदा रद्द किया गया।

6. सप्लायर के खिलाफ कार्रवाई में देरी

सप्लायर समूह के खिलाफ कार्रवाई में दो साल का समय लगा। जबकि इस घोटाले के संबंध में फरवरी, 2012 में ही मीडिया में खबरें आ गई थीं।

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