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खुद ही कोरोना का इलाज करने वाले आए ब्लैक फंगस की चपेट में, बुखार आने पर अपने हिसाब से खाते रहे गोलियां

डॉक्टर बताते हैं कि किसी के जोड़ों में दर्द हुआ तो किसी के सिर में दर्द के साथ हल्का बुखार भी आया लेकिन उन्होंने बिना डॉक्टर की सलाह लिए अपनी जानकारी के आधार पर गोलियां खाई। जब मर्ज बढ़ा तो अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराना पड़ा।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Sun, 30 May 2021 06:41 PM (IST)Updated: Sun, 30 May 2021 06:41 PM (IST)
खुद ही कोरोना का इलाज करने वाले आए ब्लैक फंगस की चपेट में, बुखार आने पर अपने हिसाब से खाते रहे गोलियां
कई मरीजों ने कोरोना की किसी भी तरह की कोई जांच ही नहीं कराई

दीपक विश्वकर्मा, भोपाल। भोपाल में म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल से संबधित हमीदिया अस्पताल में इस बीमारी के 103 मरीजों का इलाज हो रहा है। इसमें से कुछ मरीज ऐसे हैं जिनकी कोई कोविड हिस्ट्री नहीं है। जब इनकी केस हिस्ट्री निकाली गई तो सामने आया कि इसमें से 25 मरीज ऐसे हैं, जिन्होंने कोरोना संक्रमण के लक्षण आने के बाद भी अपने ही हिसाब से इलाज किया।

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डॉक्टर बताते हैं कि किसी के जोड़ों में दर्द हुआ तो किसी के सिर में दर्द के साथ हल्का बुखार भी आया, लेकिन उन्होंने बिना डॉक्टर की सलाह लिए अपनी जानकारी के आधार पर गोलियां खाई। जब मर्ज बढ़ा तो अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराना पड़ा। इस दौरान हुई जांचों से पता चला कि उन्हें म्यूकरमाइकोसिस हो गया है। उपचार के दौरान इनमें से कुछ मरीजों की आंखें व कुछ मरीजों के फंगस वाले हिस्सों को निकालना भी पड़ा।

डॉक्टरों का कहना है कि जब इस तरह के लक्षण आएं तो खुद ही दवा लेने की जगह डॉक्टर से परामर्श लेकर ही इलाज कराएं।

केस 1- हमीदिया अस्पताल में भर्ती रायसेन निवासी टीकाराम के बेटे रवि ने बताया कि उनके पिता को 15 मई को हल्का बुखार आया और हाथ-पैर में दर्द हुआ। इसके चलते उन्होंने दर्द व बुखार की दवा घर पर ही ले ली जिससे आराम हो गया। दूसरे दिन भी बुखार आया, लेकिन दवा से ठीक हो गया। उन्हें शुगर थी, जिसकी दवाइयां चल रही थीं। अचानक 18 मई को आंखों में सूजन आने लगी। आंखें लाल हो गई और दाने पड़ने लगे। तत्काल भर्ती करवाया तो पता चला कि उन्हें ब्लैक फंगस है। इंजेक्शन देने के बाद भी उनकी एक आंख निकालनी पड़ी। डॉक्टर अभी उनकी हालत गंभीर बता रहे हैं।

नौ फीसद मरीजों में नहीं मिला कोरोना होने का प्रमाण

भोपाल में 23 मई तक इलाज कराने वाले 471 मरीजों में 44 यानी नौ फीसद में कोरोना होने के प्रमाण नहीं मिले। इनमें कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने जांच नहीं कराई, लेकिन इलाज कोरोना की तरह ही कराया। 471 में 370 को कोरोना ठीक होने के बाद यह बीमारी हुई। -

गांधी मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग के सह प्राध्यापक डॉक्टर यशवीर जेके ने बताया कि सर्दी, खांसी, बुखार जैसे लक्षण आने के बाद कुछ मरीजों ने घर पर ही दवाएं ली हैं। वहीं कुछ ने तो स्टेरॉयड भी लिया है, हालांकि यह कितनी मात्रा में लिया गया है, इसकी जांच की जा रही है। किसी भी तरह के लक्षण होने पर डॉक्टरों से परामर्श लेना चाहिए।


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