अब जदयू-भाजपा में बस टूट का इंतजार
भाजपा और जदयू के रिश्तों की तल्खी अभी जिस अंदाज व तेज रफ्तार में है, उसे टूट का मुकाम पाने में अब बहुत समय नहीं लगेगा। दोनों पक्ष के सूरमा बेहतर संबंध की वापसी की गुंजाइश को खत्म हुआ मान बस टूट का इंतजार कर रहे हैं। उनका द्वंद्व यही है कि टूट की औपचारिक पहल आखिर करता कौन है? इसका मु
पटना, जागरण ब्यूरो। भाजपा और जदयू के रिश्तों की तल्खी अभी जिस अंदाज व तेज रफ्तार में है, उसे टूट का मुकाम पाने में अब बहुत समय नहीं लगेगा। दोनों पक्ष के सूरमा बेहतर संबंध की वापसी की गुंजाइश को खत्म हुआ मान बस टूट का इंतजार कर रहे हैं। उनका द्वंद्व यही है कि टूट की औपचारिक पहल आखिर करता कौन है? इसका मुनासिब समय क्या है?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत जदयू के तमाम वरिष्ठ नेता मंगलवार को भी अपनी रणनीतिक कवायद के हिस्सेदार रहे, तो उपमुख्यमंत्री व भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने यह कहकर कि 'भाजपा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी, इससे अभूतपूर्व सफलता मिलेगी', भाजपाई पाले के उस रूख को एकदम से खुलेआम कर दिया, जो जदयू को कदापि मंजूर नहीं है। मोदी, नवादा में संवाददाताओं से बात कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि गठबंधन की बाधाएं दूर हो जाएंगी।
सुशील मोदी की यह बात नई नहीं है। नरेंद्र मोदी को चुनाव प्रचार अभियान समिति का चेयरमैन बनाने के बाद ही जदयू ने मान लिया था कि अब उसके पास अलग होने के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं है। चूंकि भाजपा, उसकी भावनाओं को बुरी तरह कुचल रही है; साथ होने-रहने के जो न्यूनतम साझा कार्यक्रम रहे हैं, भाजपा उसे खारिज कर चुकी है। कमोबेश इसी पृष्ठभूमि में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि 'भाजपा से संबंधों के बारे में जदयू बहुत जल्द अपना स्टैंड साफ करेगी।'
सूत्रों ने बताया कि नीतीश अपने स्तर से अलगाव की पहल नहीं कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी के नाम पर उनका स्टैंड बहुत साफ है। दरअसल, जदयू का आकलन है कि मोदी के मुद्दे पर भाजपा जितनी आगे बढ़ गई है, वहां से वापस लौटना उसके लिए संभव नहीं है। ऐसी ही स्थिति मुख्यमंत्री के साथ है।
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