चुनावी नतीजों ने भरी भाजपा की झोली, कांग्रेस का सिमटा आधार
चुनावी नतीजों ने भाजपा की झोली में खुशियां भरने के साथ-साथ कांग्रेस को जोरदार झटका दिया है। भाजपा के उत्साह का कारण यह भी है कि प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस सभी बड़े राज्यों में धराशायी हुई है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पांच राज्यों के चुनावी नतीजों ने भाजपा की झोली में खुशियां भरने के साथ-साथ कांग्रेस को जोरदार झटका दिया है। भाजपा ने पूर्वोत्तर के प्रवेशद्वार असम को फतह कर आगे का रास्ता तैयार कर लिया है। साथ ही, इसने केरल में पहली बार खाता खोला और पश्चिम बंगाल में अपनी स्थिति कुछ और मजबूत की है।
गुरुवार को पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे उम्मीदों के अनुरूप ही आए। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और तमिलनाडु में जयललिता ने वापसी की है। केरल में बाजी पलटते हुए इस बार वाम मोर्चा आया है। कांग्रेस को केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी से ही संतोष करना पड़ेगा।
भाजपा के उत्साह का एक बड़ा कारण यह भी है कि मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस सभी बड़े राज्यों में धराशायी हुई है। इससे कांग्रेस के साथ गठबंधन का दूसरे दलों में नकारात्मक संदेश भी गया है। चुनाव परिणाम आते ही वाममोर्चा कांग्रेस के साथ गठबंधन पर निराशा जताते हुए मंथन की बात करने लगा है। भाजपा अब यह संदेश देने की कोशिश कर सकती है कि कांग्रेस से जुडऩा क्षेत्रीय दलों के लिए नुकसानदेह होगा। अगर भाजपा यह स्थापित करने में सफल होती है, तो जाहिर तौर पर 2019 के लोकसभा चुनाव का काम इसके लिए अभी से आसान होने लगेगा।
राष्ट्रीय राजनीति पर असर
इन चुनाव नतीजों का असर राष्ट्रीय राजनीति पर पडऩा भी तय है। कांग्र्रेस के मनोबल गिरने का अर्थ है कि संसद में सरकार के लिए स्थिति थोड़ी आसान हो सकती है। जयललिता और ममता समय-समय पर केंद्र की राजग सरकार के प्रति नरमी दिखाती रही हैैं। अन्ना द्रमुक और तृणमूल कांग्रेस अतीत में राजग का हिस्सा भी रही हैं। अब जया और ममता की वापसी का मतलब है कि संसद में विधेयकों को पारित कराने में सरकार की राह आसान होगी। विधेयकों में अड़ंगे लगाने की नीति पर कांग्रेस भी पुनर्विचार कर सकती है।
और कमजोर हुई कांग्रेस
पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के नतीजों को बहुत अहम माना जा रहा है। दोनों जगहों पर कांग्र्रेस गठबंधन के खिलाफ ममता और जया की जीत हुई है। केरल में कांग्र्रेस की हार को भी इसमें जोड़ दिया जाए तो भाजपा का कांग्र्रेस मुक्त भारत का नारा बुलंद हुआ है। अब सिर्फ हिमाचल, उत्तराखंड, कर्नाटक, मणिपुर, मेघालय और मिजोरम में इसकी सरकार रह गई है। इस चुनाव में वह पुडुचेरी में सरकार बनाने की स्थिति में होगी।
क्यों खास है असम की जीत
-दिल्ली और बिहार की लगातार हार के बाद असम ने भाजपा का राजनीतिक मनोबल बढ़ा दिया है।
-अगले साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश में चुनाव है। उससे ठीक पहले असम की दमदार जीत ने भाजपा को मंच दे दिया है।
-असम की जीत ने भाजपा को यह विश्वास भी दे दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सिक्का चल रहा है।
-पिछले कुछ महीनों से पूर्वोत्तर का क्षेत्र सरकार और भाजपा की प्राथमिकता में रहा है।
-पूर्वोत्तर में पार्टी का आधार बढ़ाने के लिए हर महीने कोई-न-कोई बड़ा नेता या मंत्री वहां मौजूद रहा करते थे।