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देश के टॉप 100 स्कूलों में बिलासपुर का सरकारी स्कूल लगातार दूसरे वर्ष शीर्ष स्थान पर काबिज

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान नवाचार करने वाले देशभर के साढ़े पांच हजार एटीएल में टॉप 100 को सूचीबद्ध किया है। इसमें गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल की एटीएल को शीर्ष पर रखते हुए प्लेटिनम अवार्ड से नामित किया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 28 Mar 2021 10:54 PM (IST)Updated: Sun, 28 Mar 2021 10:54 PM (IST)
देश के टॉप 100 स्कूलों में बिलासपुर का सरकारी स्कूल लगातार दूसरे वर्ष शीर्ष स्थान पर काबिज
नवाचार में बिलासपुर के बाल विज्ञानियों ने किया कमाल। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने जारी की सूची।

राधाकिशन शर्मा/बिलासपुर। कोरोना काल में नवाचार कर देश में एक बार फिर छत्तीसगढ़ के गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल बिलासपुर की अटल टिंकरिंग लैब (एटीएल) ने बाजी मार ली है। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने देशव्यापी लाकडाउन के दौरान नवाचार करने वाले देशभर के साढ़े पांच हजार एटीएल में टॉप 100 को सूचीबद्ध किया है। इसमें गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल की एटीएल को शीर्ष पर रखते हुए प्लेटिनम अवार्ड से नामित किया है।

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सरकारी स्कूल की लैब को डॉ. कलाम क्लब नाम दिया गया

नीति आयोग ने गवर्नमेंट सरकारी स्कूल की एटीएल को डॉ. कलाम क्लब नाम दिया है। नाम के अनुरूप लगातार दूसरे वर्ष शीर्ष स्थान पर काबिज है। सूची में क्रमश: दूसरे, तीसरे और चौथे नंबर पर दिल्ली, मध्य प्रदेश और ओडिशा के स्कूल हैं। कोरोना संक्रमण काल के दौरान जब देशभर में अमूमन सभी गतिविधियां ठप पड़ी हुई थीं। उस भयावह दौर में अटल टिंकरिंग लैब के प्रभारी डॉ. धनंजय पांडेय व बाल विज्ञानी नवाचार में लगे हुए थे।

एटीएल को सूचीबद्ध कर तीन श्रेणियों में हुआ परीक्षण

स्कूल के प्राचार्य डॉ. राघवेंद्र गौराहा ने बताया कि डॉ. कलाम क्लब के अलावा देशभर की तकरीबन 200 एटीएल के बाल विज्ञानियों ने भी नवाचार किया। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने लॉकडाउन के दौर में नवाचार करने वाले एटीएल को सूचीबद्ध किया है। सूचीबद्ध करते वक्त तीन श्रेणियों में परीक्षण किया गया। नवाचार की उपयोगिता के अलावा भविष्य में किस तरह उपयोगी हो सकता है, कम बजट में प्रभावी आविष्कार और शैक्षणिक गतिविधि, इन तीनों श्रेणी में डा. कलाम क्लब ने बाजी मार ली है। खास बात यह है कि डा. कलाम क्लब के बाल विज्ञानियों ने कबाड़ से जुगाड़ कर नवाचार को अंजाम दिया है।

बाल विज्ञानियों के बनाए रोबोट

ये हैं नवाचार बाल विज्ञानियों के बनाए रोबोट चिकित्सकों की मदद कर रहा है। रोबोट 30 फीट की दूरी से मरीजों की बुखार जांचने के अलावा दवा देने, मरीज और डॉक्टर के बीच वीडियो कालिंग के माध्यम से बातचीत में भी सहायता कर रहा है। कबाड़ से जुगाड़ के तहत रोबोट बनाने के लिए ब्लूटूथ माड्यूल, कैमरा माड्यूल, तापमान सेंसर, दो डीसी मोटर, आड्रिनो, जंपर केबल, डिस्प्ले, बैटरी, चार चक्के, आठ एल्बो, 10 मीटर बिजली तार, दो बाई दो के प्लेट का इस्तेमाल किया गया है। इसमें से 15 किलोग्राम पीवीसी पाइप की खरीदी बाजार से की गई है।


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