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महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बवाल, मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त ने गृहमंत्री देशमुख पर लगाया 100 करोड़ की वसूली कराने का आरोप

परमबीर का यह भी आरोप है कि गृह मंत्री बार-बार उन्हें नजरअंदाज कर उनके अधीनस्थ अधिकारियों के अपने पास बुलाते रहे और उन्हें इस प्रकार पैसा वसूली के आदेश देते रहे। परमबीर के अनुसार उनके अधीनस्थ गृह मंत्री से मिले फरमानों की जानकारी उन्हें लगातार देते रहे हैं।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Sat, 20 Mar 2021 07:13 PM (IST)Updated: Sat, 20 Mar 2021 11:04 PM (IST)
महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बवाल, मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त ने गृहमंत्री देशमुख पर लगाया 100 करोड़ की वसूली कराने का आरोप
पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह और गृहमंत्री अनिल देशमुख की फाइल फोटो

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। मुंबई के पुलिस आयुक्त पद से हटाए गए परमबीर सिंह की मुख्यमंत्री को लिखे गए कथित पत्र के बाद अंटीलिया प्रकरण आज एक अजीबोगरीब मोड़ पर पहुंच गया। परमबीर ने कथित पत्र में आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पुलिस अधिकारियों से हर महीने 100 करोड़ रुपए की वसूली करवाना चाहते थे। परमबीर का यह आरोप महाराष्ट्र की उद्धव सरकार के लिए घातक साबित हो सकता है।

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परमबीर सिंह का 17 मार्च को मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से तबादला कर उन्हें महानिदेशक होमगार्ड्स बना दिया गया था। उन्होंने 18 मार्च को यह पद भी संभाल लिया था। दो दिन पहले राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने एक टीवी चैनल से चर्चा कहा कि परमबीर का तबादला सामान्य प्रशासनिक तबादला नहीं था। उनकी तरफ से वझे के मामले में हुई कुछ गंभीर चूक के फलस्वरूप उन्हें पद से हटाया गया है।

इस आरोप से खिन्न होकर परमबीर सिंह ने 20 मार्च को आठ पेज का एक कथित लंबा पत्र मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखकर न सिर्फ अपने संबंध में गृह मंत्री द्वारा कही गई बातों का खंडन किया है, बल्कि गृह मंत्री पर वसूली का सनसनीखेज आरोप भी लगा दिया।

परमबीर सिंह ने वाट्सएप चैट के अंश भी अपने पत्र में लिखे 

उन्होंने कहा कि गृह मंत्री ने स्वयं उन्हें और एपीआई सचिन वझे सहित मुंबई के अन्य पुलिस अधिकारियों को मुंबई के बार, रेस्टोरेंट आदि से हर महीने 100 करोड़ रुपए की वसूली करने का निर्देश दिया था। परमबीर ने अपने आरोप की पुष्टि के लिए एक अधिकारी से हुई अपनी वाट्सएप चैट के अंश भी पत्र में लिखे हैं। उन्होंने कहा कि इन आरोपों की पुष्टि सचिन वझे की काल डिटेल रिकार्ड से भी की जा सकती है।

अपने कथित पत्र में परमबीर सिंह लिखते हैं कि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने फरवरी मध्य में एक दिन क्राइम इंटेलीजेंस यूनिट के एपीआई सचिन वझे को अपने सरकारी आवास ज्ञानेश्वरी पर बुलाया। उस समय गृह मंत्री के कक्ष में उनके निजी सचिव पलांडे सहित एक-दो स्टाफ के लोग और मौजूद थे। उनके सामने देशमुख ने वझे से कहा कि आपको एक महीने में 100 करोड़ रुपए इकट्ठे करने होंगे।

गृह मंत्री ने वसूली करने के रास्ते भी बताए

गृह मंत्री ने खुद इसका रास्ता भी बताते हुए कहा कि मुंबई में करीब 1,750 बार एवं रेस्टोरेंट्स जैसे प्रतिष्ठान हैं। इनसे हर महीने दो-तीन लाख रुपए लिए जाएं तो 40-50 करोड़ रुपए आसानी से जमा हो सकते हैं। शेष राशि अन्य स्रोतों से जुटानी होगी।

इसके दो दिन बाद ही देशमुख ने बार इत्यादि पर नजर रखने वाली सोशल सर्विस ब्रांच के एसीपी संजय पाटिल और डीसीपी भुजबल को अपने सरकारी आवास पर बुलाया। गृह मंत्री ने उनसे मुंबई के हुक्का पार्लरों के बारे में चर्चा की और वसूली का वही तरीका उन्हें भी बताया, जो उन्होंने सचिन वझे को बताया था।

घर बुलाकर बार-बार पैसा वसूली के आदेश देते रहे गृह मंत्री

परमबीर का यह भी आरोप है कि गृह मंत्री बार-बार उन्हें नजरअंदाज कर उनके अधीनस्थ अधिकारियों के अपने पास बुलाते रहे, और उन्हें इस प्रकार पैसा वसूली के आदेश देते रहे। परमबीर के अनुसार उनके अधीनस्थ गृह मंत्री से मिले फरमानों की जानकारी उन्हें लगातार देते रहे हैं।

शरद पवार की एनसीपी आरोपों के घेरे में

बता दें अंटीलिया प्रकरण सामने आने के बाद से ही भाजपा के नेता कहते रहे हैं कि सचिन वझे तो एक छोटा मोहरा है। उसके मास्टमाइंड का नाम सामने आना चाहिए। अब परमबीर सिंह के पत्र ने न सिर्फ एनआइए का काम आसान कर दिया है, बल्कि विपक्ष के नेताओं को बड़ा हथियार भी मुहैया करवा दिया है। अब तक इस मामले में शिवसेना नेताओं पर ही अंगुलियां उठती रही हैं। लेकिन अनिल देशमुख का नाम सामने आने के बाद अब शरद पवार की राकांपा भी आरोपों के घेरे में आ गई है। इस भंडाफोड़ के बाद राज्य की महाविकास अघाड़ी सरकार में शामिल तीनों दलों में टकराव बढ़ने की संभावना काफी बढ़ गई है।

परमबीर ने अपने कथित पत्र की प्रतियां उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) एवं राज्यपाल के प्रधान सचिव को भी भेजी हैं। उन्होंने अपनी सेवा के दौरान खुद को मिले सम्मानों का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री से संवैधानिक मूल्यों के साथ खड़े रहकर न्याय करने की अपील की है।


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