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केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव बोले, हानिकारक गैसों का उत्सर्जन रोकने में निजी क्षेत्र की अहम भूमिका

बीते वर्ष के अंत में ग्लास्गो में हुए अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन का जिक्र करते हुए पर्यावरण मंत्री ने कहा कि हानिकारक गैसों का उत्सर्जन शून्य करने के लक्ष्य की ओर बढ़ने में विकसित देश अगुआई कर रहे हैं। बाकी विकासशील देश उनका अनुसरण कर रहे हैं।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 10:43 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 10:49 PM (IST)
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव बोले, हानिकारक गैसों का उत्सर्जन रोकने में निजी क्षेत्र की अहम भूमिका
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की फाइल फोटो

नई दिल्ली, प्रेट्र। हानिकारक गैसों का उत्सर्जन रोकने के लक्ष्य को प्राप्त करने में निजी क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। निजी क्षेत्र औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाली जहरीली गैसों का उत्सर्जन रोककर ऐसा कर सकता है। यह बात रविवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने निजी क्षेत्र द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कही।

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यादव ने कहा, बीते वर्षो में कई कंपनियों ने हानिकारक गैसों का उत्सर्जन पूरी तरह से बंद करने की घोषणा की है। इसलिए बाकी कंपनियां भी इस तरह की घोषणा करने के लिए प्रयास कर सकती हैं। क्योंकि हानिकारक गैसों की बड़ी मात्रा औद्योगिक इकाइयों से उत्सर्जित होती है। इसलिए जब तक इन इकाइयों से हानिकारक उत्सर्जन को खत्म नहीं किया जाएगा, तब तक हानिकारक गैसों का उत्सर्जन शून्य करने का लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता।

पर्यावरण सुधार के लिए उठाए जाने वाले कदमों से उद्योगों में आ रहा बदलाव

निजी क्षेत्र इस दिशा में कार्य शुरू कर चुका है। साल दर साल हानिकारक गैसों का उत्सर्जन शून्य या कम करने वाली औद्योगिक इकाइयों की संख्या बढ़ रही है। पर्यावरण सुधार के लिए उठाए जाने वाले कदमों से उद्योगों में बदलाव आ रहा है। बेहतर भविष्य की संभावनाओं के चलते उनमें निवेश भी बढ़ रहा है।

पेरिस समझौते के प्रविधानों के तहत हो रहा प्रयास: भूपेंद्र यादव

बीते वर्ष के अंत में ग्लास्गो में हुए अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन का जिक्र करते हुए पर्यावरण मंत्री ने कहा, हानिकारक गैसों का उत्सर्जन शून्य करने के लक्ष्य की ओर बढ़ने में विकसित देश अगुआई कर रहे हैं। बाकी विकासशील देश उनका अनुसरण कर रहे हैं। यह प्रयास पेरिस समझौते के प्रविधानों के तहत हो रहा है, जिसमें उन्नत तकनीक और आर्थिक सहायता विकसित देशों को मुहैया करानी है और विकास की गति बनाए रखते हुए सुधारों पर अमल विकासशील देशों को करना है। लक्ष्य प्राप्ति के लिए हमें बहुत सारे मंचों पर आपस में सहयोग करना है और साथ चलना है।


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