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भीमा कोरेगांव हिंसा में दंतेवाड़ा कनेक्शन की आशंका, जांच के लिए पहुंची एनआइए की टीम

1 जनवरी 2018 को महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में पेशवा बाजीराव पर ब्रिटिश सैनिकों की जीत जश्न मनाया जा रहा था तब हिंसा भड़क उठी जिसमें एक की जान गई। इस हिंसा के दौरान करीब 80 वाहनों को आग के हवाले कर दियरा गया था।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 03:41 PM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 03:41 PM (IST)
भीमा कोरेगांव हिंसा में दंतेवाड़ा कनेक्शन की आशंका, जांच के लिए पहुंची एनआइए की टीम
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पहले भी हो चुकी हैं कई गिरफ्तारियां

दंतेवाड़ा, जेएनएन। 1 जनवरी 2018 को महाराष्ट्र के पुणे जिले में हुई हिंसा को लेकर एनआइए को शंका है कि इसमें दंतेवाड़ा से कनेक्शन भी हो सकता है। इस मामले की जांच के अगले पहलु तक पहुंचने के लिए एनआइए की टीम अब दंतेवाड़ा पहुंच चुकी है। यहां टीम समाज सेवी और आप कार्यकर्ता सोनी सोढ़ी व लिंगाराम कोडोपी से पूछताछ करेगी। हालांकि, ये पूछताछ कब, कहां व किस वक्त होगी इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। लिंगाराम कोडोपी सोनी सोढ़ी के सहायक के रूप में काम करते हैं।

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भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पहले भी कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, जिसमें सुधा भारद्वाज, बरबरा राव भी शामिल हैं। बता दें कि पिछले 25 सितंबर को भी एनआइए की एक टीम दंतेवाड़ा आई थी। यहां भाजपा विधायक भीमा मण्डावी की हत्या के मामले में सोनी सोढ़ी से पूछताछ की गई थी। इस मामले में इससे पहले तीन लोगों को एनआइए ने गिरफ्तार किया था। उनसे पूछताछ के बाद एनआइइ ने सोनी सोढ़ी से इस मामले में पूछताछ की थी। सोनी सोढ़ी अक्सर आदिवासियों की समस्याओं को उठाती रहती हैं और इससे कई बार विवादों में भी आती रही हैं।

क्या है भीमा कोरेगांव मामला

1 जनवरी 2018 को महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में पेशवा बाजीराव पर ब्रिटिश सैनिकों की जीत जश्न मनाया जा रहा था, तब हिंसा भड़क उठी जिसमें एक की जान गई। इस हिंसा के दौरान करीब 80 वाहनों को आग के हवाले कर दियरा गया था। हर साल पहली जनवरी को भीमा कोरेगांव में दलित समुदाय बड़ी संख्या में जुटकर उन दलितों को श्रद्धांजलि देते हैं, जिन्होंने 1818 में पेशवा की सेना के ख़िलाफ़ लड़ते हुए अपने प्राण गंवाए थे। भीमा नदी के किनारे स्थित मेमोरियल के पास दिन के 12 बजे जब लोग अपने नायकों को श्रद्धांजलि देने इकट्ठा होने लगे तभी हिंसा भड़की। पत्थरबाज़ी हुई और भीड़ ने खुले में खड़ी गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। इलाके में बड़ी तादाद में लोग मौजूद थे और जल्द ही पुलिसवाले भीड़ की तुलना में कम पड़ गए। भगदड़ की स्थिति बन गई। इसके बाद इस हिंसा की आग पुणे जिले के 18 गांवों तक फैल गई थी।


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