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राममंदिर भूमिपूजन के लिए महाकाल की भस्म, मंदिर की मिट्टी और शिप्रा का जल अयोध्या भेजा गया

उज्जैन से भगवान महाकालेश्वर को चढ़ाई जाने वाली भस्म मंदिर की मिट्टी और शिप्रा नदी का जल भेजा गया है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 09:02 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2020 01:44 AM (IST)
राममंदिर भूमिपूजन के लिए महाकाल की भस्म, मंदिर की मिट्टी और शिप्रा का जल अयोध्या भेजा गया
राममंदिर भूमिपूजन के लिए महाकाल की भस्म, मंदिर की मिट्टी और शिप्रा का जल अयोध्या भेजा गया

उज्जैन, जेएनएन। अयोध्या में पांच अगस्त को होने वाले श्रीराम मंदिर के भूमिपूजन के लिए मध्य प्रदेश के उज्जैन व ओंकारेश्वर स्थित ज्योतिर्लिग से पवित्र जल व मिट्टी अयोध्या भेजी गई। उज्जैन से भगवान महाकालेश्वर को चढ़ाई जाने वाली भस्म, मंदिर की मिट्टी और शिप्रा नदी का जल भेजा गया है।

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सोमवार सुबह महाकाल मंदिर में महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीतगिरी द्वारा सामग्रियों का विधिवत पूजन किया गया। इसके बाद विश्व हिंदू परिषद के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष अनिल कासलीवाल आदि ने इसे महंत से लेकर अयोध्या के लिए भेजा। भगवान महाकाल को अर्पित पुष्प व बिल्वपत्र भी अयोध्या भेजे गए हैं।

खंडवा जिले में स्थित ज्योतिर्लिग नगरी ओंकारेश्वर से भी जल व मिट्टी भरकर खंडवा से आए कार्यकर्ताओं को अयोध्या भेजने के लिए सौंपी गई। पुण्य भूमि महेश्वर से भी नर्मदा जल व मिट्टी लेकर खरगोन से आया चार सदस्यीय दल सोमवार को अयोध्या के लिए रवाना हुआ।

इसके साथ ही देश के अन्य हिस्सों की भांति देवभूमि उत्तराखंड से भी चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री समेत अन्य मठ-मंदिरों की माटी और गंगा-यमुना जैसी सभी नदियों का पवित्र जल अयोध्या भेजा जाएगा।

स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना होगा राममंदिर

राममंदिर कई मामलों में स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना होगा। भवन का डिजाइन ऐसा होगा जो आठ से 10 तक रिक्टर पैमाने की तीव्रता वाला भूकंप आसानी से झेल जाएगा। भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर एक हजार वर्षो तक गौरव की अनुभूति कराने को तनकर खड़ा रहेगा। यह भव्य भवन उन तमाम कटु अनुभवों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाएगा, जिनका सामना अतीत में करना पड़ा।

राममंदिर से जुड़ी हैं कई रोचक कहानियां

भूमि पूजन से पहले प्रभु राम की महिमा की तरह उनके भावी भवन की तमाम रोचक जानकारियां लगातार सामने आ रही हैं। साथ ही प्रयोग किए जा रहे पत्थर, दुनिया के अन्य मंदिरों से तुलना समेत कई दुविधाएं भी सिर उठा रही हैं।


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