कोवैक्सीन की तुलना में कोविशील्ड बनाती है अधिक एंटीबडी, भारत बायोटेक ने जताई आपत्ति; जानें क्या कहा
कोविशील्ड को कोवैक्सीन की तुलना में बेहतर बताने वाले तुलनात्मक अध्ययन पर भारत बायोटेक ने ऐतराज जताया और कहा कि इस रिपोर्ट में अनेकों गलतियां हैं। कोवैक्सीन भारत बायोटेक ने विकसित किया है वहीं कोविशील्ड भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ने बनाया है।
नई दिल्ली, एएनआइ। हैदराबाद की वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग कंपनी भारत बायोटेक ने बुधवार को हाल में किए गए कोवैक्सीन व कोविशील्ड वैक्सीन के तुलनात्मक अध्ययन को खारिज कर दिया और कहा कि इस रिपोर्ट में अनेकों गलतियां हैं। कोवैक्सीन भारत बायोटेक ने विकसित किया है वहीं कोविशील्ड भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ने बनाया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोवैक्सीन की तुलना में कोविशील्ड अधिक एंटीबडीज बनाता है।
भारत बायोटेक ने यह भी कहा कि अध्ययन को ad hoc (अनौपचारिक) आधार पर किया गया। कोवैक्सीन निर्माता कंपनी ने यह भी कहा कि स्पाइक प्रोटीन पर इम्यून प्रतिक्रिया को लेकर किया गया अध्ययन त्रुटिपूर्ण है जिसमें बताया गया है कि कोविशील्ड के डोज मानव शरीर में अधिक एंटीबडी बनाता है जबकि कोवैक्सीन इसकी तुलना में पीछे है।
Covaxin gets “Brazil - Anvisa audit approval”. For those who missed earlier #WHO as per expected timelines & adherence to regulatory processes!😷🧼5️⃣↔️💉🇮🇳🙏🏼 pic.twitter.com/UpU37CqSRL
— suchitra ella (@SuchitraElla) June 7, 2021
वैक्सीन निर्माता कंपनी ने स्पष्ट किया कि पैन इंडिया स्टडी के तहत उन हेल्थकेयर वर्करों से राय ली गई जिन्होंने वैक्सीन की पूरी खुराक ली थी और यह दोनों का एक जैसा समीक्षा नहीं था। भारत बायोटेक ने यह भी है कि यह अध्ययन न तो CTRI वेबसाइट पर अपलोड की गई न ही इसे CDSCO और SEC की मंजूरी मिली है।
It's not a peer-reviewed publication, nor statistically & scientifically designed study, the study design & conduct reflect an ad hoc analysis, rather than predetermined hypothesis. Further, the study was not registered on CTRI website, nor approved by CDSCO & SEC: Bharat Biotech
— ANI (@ANI) June 9, 2021
फर्मा कंपनी ने कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के बारे में खुलासा किया और कहा कि इसके नतीजे जुलाई में प्रकाशित होंगे और तब फर्म इस भारतीय वैक्सीन की लाइसेंस के लिए आवेदन करेगा। जनवरी में इसे कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिल गई थी लेकिन तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजों को सार्वजनिक न किए जाने के कारण भारत बायोटेक को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है।