फागुन और प्यार के रंग के साथ शुरू हुआ 'भगोरिया', पान खाकर ढूंढते हैं जीवनसाथी
मध्य प्रदेश में भगोरिया पर्व मनाया गया। एक तरफ मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा था तो दूसरी ओर भगोरिया का दौर चल रहा था।
बोधवाड़ा, (नईदुनिया)। सरदारपुर विकास खंड के ग्राम सुल्तानपुर में गंगा महादेव मंदिर परिसर में भगवान की पूजा-अर्चना के साथ ही फाग की मस्ती परवान चढ़ी। यहां मंगलवार को भगोरिया पर्व मनाया गया। इसमें 35 से 40 ढोल-मांदल दल शामिल हुए। एक तरफ मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा था तो दूसरी ओर भगोरिया का दौर चल रहा था।
आयोजन में 30 हजार से अधिक लोगों ने सहभागिता की। ग्राम चांदुड़ी, गणियारा, नयापुरा सहित करीब 1 दर्जन गांवों से लोग पहुंचे। इस मौके पर सरदारपुर विधायक वेलसिंह भूरिया, जिपं सदस्य कमल यादव, संजय बघेल आदि ने मांदल दलों को सम्मानित किया। वैसे झाबुआ-आलीराजपुर जिलों भगोरिया पर्व की शुरआत 23 फरवरी को होगी, लेकिन धार जिले में शिवरात्रि से हो जाती है।
जानिए क्या है भगोरिया उत्सव
भगोरिया एक उत्सव है जो होली का ही एक रूप है। यह मध्य प्रदेश के मालवा अंचल (धार, झाबुआ, खरगोन आदि) के आदिवासी इलाकों में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। भगोरिया के समय धार, झाबुआ, खरगोन आदि क्षेत्रों के हाट-बाजार मेले का रूप ले लेते हैं और हर तरफ फागुन और प्यार का रंग बिखरा नजर आता है।
भगोरिया हाट-बाजारों में युवक-युवती बेहद सजधज कर अपने भावी जीवनसाथी को ढूँढने आते हैं। इनमें आपसी रजामंदी जाहिर करने का तरीका भी बेहद निराला होता है। सबसे पहले लड़का लड़की को पान खाने के लिए देता है। यदि लड़की पान खा ले तो हाँ समझी जाती है। इसके बाद लड़का लड़की को लेकर भगोरिया हाट से भाग जाता है और दोनों विवाह कर लेते हैं। इसी तरह यदि लड़का लड़की के गाल पर गुलाबी रंग लगा दे और जवाब में लड़की भी लड़के के गाल पर गुलाबी रंग मल दे तो भी रिश्ता तय माना जाता है।