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चीन से आए थे भारतीय राष्ट्रीय पशु बाघ के पूर्वज, सदियों पहले इन्हीं ने खोजा था सिल्क रूट

आज से ठीक 46 साल पहले 18 नवंबर 1972 को बंगाल टाइगर को भारत का राष्ट्रीय पशु चुना गया था। एक शोध से पता चला है कि बाघ के पूर्वज लगभग 10 हजार साल पहले मध्य चीन से भारत आए थे।

By Amit SinghEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 05:20 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 05:31 PM (IST)
चीन से आए थे भारतीय राष्ट्रीय पशु बाघ के पूर्वज, सदियों पहले इन्हीं ने खोजा था सिल्क रूट
चीन से आए थे भारतीय राष्ट्रीय पशु बाघ के पूर्वज, सदियों पहले इन्हीं ने खोजा था सिल्क रूट

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। दि रॉयल बंगाल टाइगर, जितना खतरनाक उतना ही खूबसूरत। जितना वजनी उतना ही फुर्तिला और ताकतवर। ये दुनिया के सबसे चालाक मांसाहारी जानवरों में शामिल हैं, जो योजना बनाकर शिकार करते हैं। क्या आपको पता है कि भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ कहां से आया और इसी ने सदियों पहले भारत-चीन के बीच सिल्क रूट की खोज की थी।

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बंगाल टाइगर (बाघ की एक प्रजाति) भारत का राष्ट्रीय पशु है। इसे आज से ठीक 46 साल पहले 18 नवंबर 1972 को भारत का राष्ट्रीय पशु चुना गया था। भारतीय बाघों पर किए गए एक शोध में पशु वैज्ञानिकों को इनके पूर्वजों के चीन में रहने के संकेत मिले हैं। कुछ समय पहले वैज्ञानिकों को एक विलुप्त उप प्रजाति के बाघ का डीएनए मिला था। उसकी जांच से वैज्ञानिकों को पता चला है कि भारत के राष्ट्रीय पशु बाघ के पूर्वज लगभग 10 हजार साल पहले मध्य चीन से भारत आए थे।

चीन से भारत आने के लिए इन बाघों के पूर्वजों ने चीन के जिस संकरे गांसु गलियारे का इस्तेमाल किया था, हजारों साल बाद वही मार्ग व्यापारिक सिल्क रूट (रेशम मार्ग) के तौर पर दुनिया में प्रसिद्ध हुआ। मतलब इंसानों ने जिस सिल्क रूट की खोज करने में हजारों साल लगा दिए, उसे इन चालाक बाघों ने उससे भी सदियों पहले खोज लिया था।

2022 तक दोगुनी होगी बाघों की संख्या
एक दशक पहले तक विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुके बाघों की संख्या भारत में निरंतर बढ़ रही है। पिछले छह साल में ही भारत में बाघों की संख्या दोगुनी से ज्यादा हो चुकी है। अक्टूबर 2012 में हुई बाघों की गणना के अनुसार उस वक्त देश में बाघों की संख्या मात्र 1706 थी। 2012 में देश के 41 टाइगर रिजर्व में जनवरी से सितंबर के दौरान 69 बाघों की मृत्यु हुई थी। इनमें से 41 की मृत्यु अवैध शिकार या दुर्घटनाओं में हुई थी। 28 बाघों की मृत्यु प्राकृतिक रूप से हुई थी। वर्ष 2016 की जनगणना में 17 राज्यों की 49 सेंचुरी में बाघों की संख्या बढ़कर 2226 पहुंच चुकी थी। वर्तमान में दुनिया भर में बाघों की जनसंख्या तकरीबन 6000 है। इनमें से 3891 बाघ (लगभग 70 फीसद) भारत में हैं। सरकार ने वर्ष 2022 तक बाघों की इस जनसंख्या को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया है।

सबसे बड़ी बिल्ली है बाघ
दि रॉयल बंगाल टाइगर (बाघ) का वैज्ञानिक नाम पेंथेरा टाइग्रिस (Panthera tigris) है। पेंथेरा (शेर, टाइगर, जगुआर और तेंदुए) के तहत चार बड़ी बिल्लियों में बंगाल टाइगर सबसे बड़ा है। भारत, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और श्रीलंका सहित भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में ये बाघ पाए जाते हैं। भारत में ये पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और ओडिशा के जंगलों में पाये जाते हैं।

राष्ट्रीय पशु को बचाने के लिए चल रहा प्रोजेक्ट बाघ
बाघ को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के बाद इन्हें और अन्य विलुप्त प्राय वन्य जीवों के संरक्षण के लिए 1972 में भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम लागू किया गया। बाघों की संख्या में वृद्धि के लिए 1973 में देश में प्रोजेक्ट बाघ बनाया गया। इसके तहत वर्तमान में, भारत के 17 राज्यों में 49 बाघ रिज़र्व केंद्र हैं। इन भंडारों से शिकार के खतरे को खत्म करने के लिए सख्त विरोधी शिकार नियम और समर्पित टास्क फोर्स स्थापित की गई। इससे इनके अवैध शिकार पर लगाम लगाने में मदद मिली, जिससे उनकी संख्या में इजाफा हो रहा है।

भारतीय संस्कृति में बाघ का स्थान
भारतीय संस्कृति में बाघ का स्थान बहुत ऊंचा है। देवी दुर्गा का वाहन मानकर इनकी पूजा की जाती है। बाघ, सिंधु घाटी सभ्यता की प्रसिद्ध पशुपति मुहर में भी चित्रित रहा है। हिंदू पौराणिक कथाओं और वैदिक युग में बाघों को शक्ति का प्रतीक माना गया है। राष्ट्रीय पशु के रूप में एक उचित महत्व प्रदान करने के लिए बंगाल टाइगर को भारतीय मुद्रा के नोटों और डाक टिकटों पर भी चित्रित किया गया है।

29 जुलाई को मनाया जाता है वर्ल्ड टाइगर डे
29 जुलाई को ‘वर्ल्ड टाइगर डे’ मनाया जाता है। वर्ष 2010 से ‘वर्ल्ड टाइगर डे’ की शुरूआत की गई थी। साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में बाघ सम्मेलन में बाघों के सरंक्षण के लिए हर साल ‘अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस’ मनाने का फैसला लिया गया। तब से हर साल विश्वभर में वर्ल्ड टाइगर डे मनाया जाता है। इस सम्मेलन में 13 देशों ने भाग लिया था और उन्होंने 2022 तक बाघों की संख्या में दोगुनी बढ़ोत्तरी का लक्ष्य रखा था।

बाघों की अन्य प्रजाति व मौजूदा संख्या
सुमात्रा टाइगर: सुमात्रा टाइगर की संख्या 400 बची हैं। ये टाइगर इंडोनेशिया के जावा आइलैंड और उसके आस-पास पाए जाते हैं।
अमूर टाइगर: इन्हें साइबेरियन टाइगर भी कहते हैं। इनकी संख्या 540 हैं। दक्षिण-पूर्वी रूस, उत्तर-पूर्वी चीन में पाए जाते हैं।
बंगाल टाइगर: भारत, नेपाल, भूटान, चीन, म्यांमार में पाए जाते हैं। इनकी कुल संख्या 3891 है।
इंडो चीन टाइगर: इंडो चीन टाइगर की संख्या केवल 350 बची हैं। यह थाईलैंड, चीन, कंबोडिया, म्यांमार, विएतनाम जैसे देशों में पाए जाते है।
साउथ चीन टाइगर: दक्षिण-पूर्वी चीन में पाई जाने वाली ये प्रजाति विलुप्त हो चुकी है।
(दुनिया में बाघों की कुल आठ प्रजातियां थीं। माना जाता है कि इनमें से तीन प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं।)

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