बेनामी लेनदेन मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व जज के खिलाफ जांच की जरूरत नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अमरावती भूमि सौदा मामले में कथित बेनामी लेन-देन के संबंध में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वी. ईश्वरैया और निलंबित जिला मुंसिफ मजिस्ट्रेट के बीच बातचीत की जांच की कोई जरूरत नहीं है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि अमरावती भूमि सौदा मामले में कथित बेनामी लेन-देन के संबंध में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वी. ईश्वरैया और निलंबित जिला मुंसिफ मजिस्ट्रेट के बीच बातचीत की जांच की कोई जरूरत नहीं है।
पीठ ने कहा- हाई कोर्ट के पूर्व ने बातचीत को स्वीकारा
जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस आरएस रेड्डी की पीठ ने कहा कि आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस आरवी रविंद्रन द्वारा पेन ड्राइव में रिकार्ड संवाद की सत्यता का पता लगाने के लिए जांच के आदेश दिए हैं। पीठ ने कहा कि चूंकि ईश्वरैया ने हलफनामे में 20 जुलाई, 2020 को हुई बातचीत को स्वीकार किया है और आडियो टेप का सही अंग्रेजी अनुवाद भी सौंपा है इसलिए जस्टिस आरवी रविंद्रन द्वारा जांच जारी रखने की कोई वजह नहीं है।
पीठ ने कहा- जस्टिस रविंद्रन से रिपोर्ट लेने की जरूरत नहीं
पीठ ने कहा, 'संवाद की विषय वस्तु की सत्यता के बारे में स्वीकार किया गया है.. हमारी राय है कि हाई कोर्ट द्वारा निर्देश के तहत जस्टिस आरवी रविंद्रन से रिपोर्ट लेने की जरूरत नहीं है।' पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा है कि प्रारंभिक जवाबी हलफनामे में लगाए गए आरोपों पर फैसला करने के अलावा जांच का अदालत के सामने दाखिल मुख्य रिट याचिका में संबंधित मुद्दे पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
शीर्ष अदालत ने 22 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था
ईश्वरैया ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा है कि उन्हें सुने बिना आरोप लगाए गए हैं। शीर्ष अदालत ने 22 फरवरी को ईश्वरैया की एक याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसमें उन्होंने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया था जिसमें निलंबित जिला मुंसिफ मजिस्ट्रेट एस. रामकृष्ण के साथ उनकी बातचीत को लेकर न्यायिक जांच का निर्देश दिया गया था।
फोन पर बेनामी लेन-देन का मामला
हाई कोर्ट ने 13 अगस्त, 2020 को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश द्वारा न्यायिक जांच का आदेश देते हुए कहा था कि फोन पर हुई बातचीत से न्यायपालिका के खिलाफ 'गंभीर षड्यंत्र' उजागर हुआ है। इससे पहले शीर्ष अदालत में दाखिल एक हलफनामे में जस्टिस ईश्वरैया ने कहा कि उन्होंने फोन पर बातचीत में बेनामी लेन-देन के संबंध में निलंबित न्यायिक अधिकारी से जानकारी मांगी थी।