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COVID-19: इस संकट की घड़ी में अब धर्म बनेगा दुनिया के लिए संबल, विज्ञान की राह पर धर्म

धर्म को लेकर किसी की कुछ भी सोच हो सकती है। लेकिन वर्तमान में इसके काफी अहम मायने हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 05 Apr 2020 09:26 AM (IST)Updated: Sun, 05 Apr 2020 05:59 PM (IST)
COVID-19: इस संकट की घड़ी में अब धर्म बनेगा दुनिया के लिए संबल, विज्ञान की राह पर धर्म
COVID-19: इस संकट की घड़ी में अब धर्म बनेगा दुनिया के लिए संबल, विज्ञान की राह पर धर्म

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। धर्म: विपत्ति पर भारी आस्था संकट के समय तिनके का सहारा भी मिल जाए तो बहुत है। बड़ी आबादी कोरोना संकट से बचाव में खुद को असहाय पा रही है। विपरीत परिस्थितियों में अरबों लोगों के लिए धर्म संबल का काम करता है। छोटे समय के लिए ही सही इस भय ने लोगों को वैश्विक स्तर पर धर्म और पारंपरिक रीति-रिवाजों की ओर खींचा है। हालांकि जो आत्मा के लिए अच्छा है वो हमेशा शरीर के लिए अच्छा नहीं हो सकता।

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कठिन घड़ी

धर्म में आस्था रखने वाले लोगों को एकत्रित होने को रोककर वायरस से मुकाबला करने की बात कही जा रही है। कई धर्मों में धार्मिक जनसमूह मुख्य सिद्धांत के रूप में शामिल है। कुछ मामलों में धार्मिक उत्साह लोगों को ऐसे इलाज की ओर ले गया, जिसका वैज्ञानिक आधार नहीं है।

धार्मिक गुरुओं की सलाह

धार्मिक गुरुओं की सलाह ने आस्तिकों की ऊर्जा को पुननिर्देशित किया है। इजरायल के प्रमुख एश्केनाजी रब्बी डेविड लाउ ने यहूदियों से रोजाना 100 आशीर्वाद कहने का आह्वान किया है। वहीं मिस्न के एक पोप टवाड्रस द्वितीय ने इसे पश्चाताप जगाने वाली घंटी बताया। एक धर्मोपदेश ने कहा कि यह सामंजस्य का समय है।

धर्म का आश्रय

धार्मिक गुरु जैसे-जैसे धार्मिक प्रथाओं को प्रतिबंधित करने के लिए बढ़े हैं, वैसे-वैसे इन प्रथाओं का आश्रय बहुत तेजी से बढ़ा है। 31 साल के मिस्न के फार्मासिस्ट अहमद शाबान ने पैगंबर मुहम्मद के जन्मस्थान और मकबरे की तीर्थयात्रा करने के लिए इसी महीने सऊदी अरब की यात्रा की। सऊदी सरकार ने मक्का और मदीना के सभी पवित्र स्थलों को श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया है। इस कठिनाई, भय या संकट के समय में शाबान का कहना है कि या तो आप सोचते हैं कि ईश्वर हमारे लिए यह कैसे कर सकता है? या फिर आप उनसे सुरक्षा या मार्गदर्शन के लिए कहते हैं।

वास्तविकता को अपना रही आस्था

कई आस्थाएं नई वास्तविकता को अपना रही है। पूजा के घर बंद या खाली हैं। व्यक्तिगत बोतलों से पवित्र पानी का छिड़काव किया जा रहा है। मध्य पूर्व में शुक्रवार की प्रार्थना रद कर दी गई है। वेस्ट बैंक और कुवैत में मुअज्जिनों ने मस्जिदों में आस्था रखने वालों को अपने घरों में रहकर ही प्रार्थना करने के लिए कहा है। वहीं इटली में भीड़ रहित पांच छह सप्ताह हो चुके हैं। लेकिन पलेर्मो की सेंट रोजालिया पहाड़ी अभयारण्य खुला रहता है। ऐसे में हम आस्था को लेकर के कई बार पूर्वाग्रहों से भी भरे नजर आते हैं।

धर्म का यह पहलू भी

न्यूयॉर्क में प्रतिबंधों के बावजूद हैसिडिक यहूदी समुदायों में कई शादियां हुई हैं। जिसके बाद वायरस पुष्टि के मामलों में बढ़ोतरी की सूचना मिली है। वहीं ईरान में पवित्र स्थल कई सप्ताह तक भीड़ के लिए खुले रहे। यह मानते हुए कि कोरोना वायरस ने देश को छोड़ दिया है। स्थिति बिगड़ी तो सख्त कदम उठाए गए।  

विज्ञान की राह पर धर्म

कोरोना वायरस को लेकर बढ़ती चिंता के बीच दुनिया में कई बदलाव हुए हैं। भीड़ भरे स्थानों पर जाने से लोग बच रहे हैं। बहुत से लोगों ने अपनी यात्राओं को स्थगित कर दिया है और बड़े लॉकडाउन के दौरान घरों में कैद है। इन असामान्य परिस्थितियों में धार्मिक क्रियाकलाप भी प्रभावित हुए हैं। मंदिर हो, मस्जिद हो या फिर चर्च या अन्य धार्मिक स्थल सभी अपने स्तर पर विज्ञान के बताए रास्ते पर वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जुटे हैं।

ईसाई धर्म

इटली में पोप फ्रांंसिस ने पादरियों से घरों के बाहर आने और बीमार लोगों के पास जाने के लिए कहा है। साथ ही उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों और स्वयंसेवकों का साथ देने के लिए कहा है। हालांकि उन्हें अन्य लोगों से कम से कम एक मीटर की दूरी रखने और शारीरिक संपर्क से बचने जैसी सावधानियां रखने की सलाह दी है। इसके साथ ही पोप ने वेटिकन में भीड़ को कम करने के लिए अपने पारंपरिक रविवार के संदेश को लाइव -स्ट्रीम करना शुरू किया है। घाना से लेकर अमेरिका और यूरोप के कैथोलिक चर्चों ने संक्रमण को रोकने के प्रयास में भीड़ को एकत्रित होने से रोकने की कोशिश की है। संक्रमण बढ़ाने वाली कई परंपराओं को फिलहाल के लिए रोक दिया गया है। वहीं ग्रीक ऑर्थोडॉक्स चर्च ने अपनी परंपराओं को नहीं बदला है। उनका तर्क है कि चर्च के सदस्यों के लिए पवित्र यूचरिस्ट में भाग लेना बीमारी के संचरण का कारण नहीं हो सकता है।

इस्लाम

मक्का की पवित्र मस्जिद में आमतौर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु होते हैं। हालांकि महामारी के कारण इसे अब बंद कर दिया गया है। वहीं मस्जिद में नमाज पढ़ने पर रोक लगा दी गई है। मदीना में भी सऊदी सरकार ने ऐसे ही उपाय किए हैं। वहीं मोरक्को से इंडोनेशिया तक दुनिया के कई देशों ने भी लोगों को एकत्रित न होने देने के लिए मस्जिदों में नमाज पर रोक लगा दी है और लोगों को घरों में रहने के आदेश दिए गए हैं। हालांकि पाकिस्तान जैसे देशों में लगातार बढ़ते आंकड़ों के बावजूद भी ज्यादा सख्त कदम नहीं उठाए गए हैं।

यहूदी

इजरायल के मुख्य रब्बी डेविड लाउ ने लोगों को सलाह देते हुए एक बयान जारी किया है। जिसमें उन्होंने लोगों को छूने या फिर धार्मिक प्रतीक मेजुजा का चुंबन नहीं लेने की बात कही गई है। यूरोपियन रब्बियों के सम्मेलन में भी लोगों को ऐसी ही सलाह दी गई।

हिंदू

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की है। इसके बाद भारत के लगभग सभी बड़े मंदिरों को बंद कर दिया गया है। वैष्णोदेवी, उज्जैन महाकाल मंदिर सहित सभी मंदिर श्रद्धालुओं के लिए बंद किए गए हैं। वहीं इस महामारी से लड़ने के लिए कई मंदिरों की ओर से पीएम केयर फंड में लाखों रुपये दिए गए हैं। साथ ही जरूरतमंदों की मदद के लिए भी कई हिंदू संगठन आगे आए हैं। हिंदू संस्कृति के नमस्कार को भी वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अभिवादन के परंपरागत ढंग के बजाय हिंदू संस्कृति से जुड़े नमस्कार करते देखे गए हैं। सनातन धर्म के इतिहास में जिन मंदिरों के कपाट बंद होने का कहीं उल्लेख नहीं मिलता है, उन्हें भी कोरोना वायरस से बचाव के चलते बंद कर दिया गया ह

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