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डोभाल ने अपने चीनी समकक्ष से की मुलाकात, चीन ने दिए नरमी के संकेत

ब्रिक्स सम्मेलन के इतर एनएसए अजीत डोभाल ने गुरूवार को अपने चीनी समकक्ष से मुलाकात की।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Fri, 28 Jul 2017 08:45 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jul 2017 08:45 AM (IST)
डोभाल ने अपने चीनी समकक्ष से की मुलाकात, चीन ने दिए नरमी के संकेत
डोभाल ने अपने चीनी समकक्ष से की मुलाकात, चीन ने दिए नरमी के संकेत

नई दिल्ली (जेएनएन)। भारत ने सिक्किम क्षेत्र में डोकलाम टकराव को दूर करने के लिए कूटनीतिक प्रयास जारी रखे हुए हैं। इस बीच, बीजिंग में ब्रिक्स बैठक के इतर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने चीन के अपने प्रतिपक्षी यांग जेयची से मुलाकात की। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, इस मुलाकात ने डोकलाम सीमा विवाद से उभरे तनाव को कम करने की उम्मीदें बढ़ी हैं।

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चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की के अनुसार, दोनों देशों ने इस दुश्मनी की जगह साझा हित को साथ लेकर आगे बढ़ने पर जोर दिया। यांग जेयची चीन के विदेश मामलों को भी देख रहे हैं और चीनी सरकार में उनको महत्वपूर्ण रूतबा हासिल है। बीते कई सप्ताह में ऐसा पहली बार हुआ है जब चीनी मीडिया ने भारतीय सैनिकों को सीमा से हटाने की मांग नहीं की है।

इससे पहले चीन लगातार इस बात को दोहराता रहा है कि जब तक भारत के सैनिक सीमा से हट नहीं जाते तब तक कोई बात नहीं होगी। शिन्हुआ के मुताबिक डोभाल और चीनी समकक्ष के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक सौहार्दपूर्ण रही और इसमें मित्रता की तरफ बढ़ने के संकेत दिए हैं। बकौल शिन्हुआ, दोनों देश 'जन्म से दुश्मन' नहीं हैं, लिहाजा दोनों के बीच आपसी विश्वास बढ़ाने की जरूरत है। अब ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि दोनों देश डोकलाम विवाद के बाद पैदा हुए तनाव को कम करने की दिशा में आगे बढ़े हैं।

चीनी सरकारी मीडिया ने दोनों देशों के बीच युद्ध की संभावनों से बचने की भी अपील की है। रिपोर्ट में कहा गया है, ' भारत और चीन के बीच युद्ध की स्थिति में पश्चिम सहित विश्व में एक-दूसरे जुड़े अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं में एक नकारात्मक संदेश जाएगा।' यांग ने ब्रिक्स देशों के अन्य सुरक्षा अधिकारियों से भी अलग से बैठक की जिनमें ब्राजील, रुस और दक्षिण अफ्रीका के अधिकारी शामिल रहे।  

शिन्हुआ के मुताबिक, 'चीन ने इस बात पर जोर दिया है कि वह भारत के लिए समस्या नहीं है, बल्कि विकासशील देशों की आम समस्याएं जैसे-भ्रष्टाचार, शिक्षा और स्वास्थ्य की कमी भारत को पीछे धकेल रही है। भारत को यह समझना होगा की चीन भारत की जनता की भलाई चाहता है और उसे खुशी होगी अगर भारत उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहे।'

इससे ऐसा जाहिर हो रहा है कि चीन सरकार दोनों देशों के संबंध को भावनात्मक आकार देना चाह रही है। सरकारी मीडिया ने लिखा है कि दुश्मन बनने की जगह भारत और चीन के पास साझा आधार, साझा हित और महात्वाकांक्षाएं हैं। शिन्हुआ ने आगे लिखा है, 'आशा करते हैं कि दोनों देशों का विवेक इन्हें साझा उन्नति की तरफ अग्रसर करेगा। भारत और चीन को संपर्क बढ़ाने की जरूरत है और एक-दूसरे के बीच भरोसा बहाली की जरूरत है।' हालांकि शिन्हुआ की रिपोर्ट में सिक्कम में हुए टकराव पर प्रत्यक्ष रूप से कुछ नहीं है। दोनों उच्च अधिकारियों के बीच द्विपक्षीय के अलावा, अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी विचार-विमर्श हुआ। 

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