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मानसून से पहले नक्सलियों के खिलाफ हो सकता है बड़ा ऑपरेशन

मानसून के पहले गर्मी के महीने में नक्सली हर साल बड़ी वारदात को अंजाम देने की कोशिश करते हैं।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Wed, 10 May 2017 01:30 AM (IST)Updated: Wed, 10 May 2017 06:17 AM (IST)
मानसून से पहले नक्सलियों के खिलाफ हो सकता है बड़ा ऑपरेशन
मानसून से पहले नक्सलियों के खिलाफ हो सकता है बड़ा ऑपरेशन

नीलू रंजन, नई दिल्ली। मानसून के पहले छत्तीसगढ़ के जंगलों में छिपे नक्सलियों के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन शुरू किया जाएगा। राज्यों और केंद्र की ओर से नक्सलियों के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार करने की हरी झंडी मिलने के बाद सुरक्षा बल इसकी तैयारी में जुट गए हैं। इसके तहत सीआरपीएफ के कोबरा फोर्स की 20-25 अतिरिक्त बटालियन को छत्तीसगढ़ भेज जा रहा है। इस बार ऑपरेशन में बड़े पैमाने पर ड्रोन और सेटेलाइट का इस्तेमाल भी होगा। इसके लिए एनटीआरओ और इसरो को भी अवगत करा दिया गया है।

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दरअसल मानसून के पहले गर्मी के महीने में नक्सली हर साल बड़ी वारदात को अंजाम देने की कोशिश करते हैं। सुरक्षा बलों पर नक्सलियों के बड़े हमले इसी दौरान होते रहे हैं। मानसून के दौरान अबूझमार के घने जंगलों में न तो नक्सली और न ही सुरक्षा बलों के लिए अभियान चलाना संभव होता है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ऑपरेशन के लिए मानसून के पहले का समय सबसे माकूल है। यही कारण है कि सुरक्षा बल जल्द से जल्द ऑपरेशन शुरू करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इसीलिए नक्सली ऑपरेशन के लिए बनाए गए सीआरपीएफ की विशेष कोबरा फोर्स की 20-25 बटालियन को छत्तीसगढ़ के बस्तर और सुकमा के नक्सली हिंसा प्रभावित इलाकों में भेजा जा रहा है। एक बटालियन में लगभग 100 जवान होते हैं। छत्तीसगढ़ में पहले से कोबरा की 44 बटालियन तैनात है।

अतिरिक्त कोबरा बटालियन की तैनाती की जरूरत बताते हुए वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ जंगल के बीच कार्रवाई के लिए कोबरा के जवान विशेष रूप से प्रशिक्षित होते हैं और हमेशा ऑपरेशन को सफलता से अंजाम देते हैं। नक्सलियों के खिलाफ सटीक ऑपरेशन के लिए छत्तीसगढ़ की स्थानीय पुलिस को पुख्ता खुफिया जानकारी जुटाने के लिए कहा गया है। ऑपरेशन के दौरान ड्रोन कैमरों और सेटेलाइट से नक्सलियों की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी और जवानों को पल-पल इसकी जानकारी भेजी जाएगी।

गौरतलब है कि पिछले महीने सुकमा में नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हो गए थे। इससे पहले 11 मार्च को भी नक्सल हमले में सीआरपीएफ के 12 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद केंद्र सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ रणनीति की समीक्षा के लिए मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई थी। सोमवार को हुई बैठक में नक्सलियों के खिलाफ और अधिक आक्रामक रुख अख्तियार करने पर सभी सहमत थे।

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