पीएम मोदी के 'मन की बात' का हिस्सा बन सकता है 'इंदौर 311' एप का नवाचार
पीएम मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के लिए पीएमओ ने इंदौर जिला प्रशासन से इस नवाचार की जानकारी मांगी है। इंदौर की निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने इसकी पुष्टि की है।
इंदौर, जेएनएन। जिस शहर को लेकर दो महीने पहले तक भोपाल से लेकर दिल्ली तक चिंता की लकीर खिंच गई थीं, असहाय की उस घड़ी में शहर ने थोड़ी सी तकनीक और टीम वर्क से ऐसा सिस्टम विकसित किया जिससे अब इंदौर को कोरोना को मात देने में मदद मिल रही है। यह है इंदौर का 311 एप। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के लिए पीएमओ ने इंदौर जिला प्रशासन से इस नवाचार की जानकारी मांगी है। इंदौर की निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने इसकी पुष्टि की है।
कोरोना को रोकने में अहम कड़ी साबित हो रहा एप
उल्लेखनीय है कि शहर में कोरोना संक्रमण का फैलाव रोकने में 311 एप अहम कड़ी साबित हो रहा है। योजनाबद्ध तरीके से हो रहे सर्वे में शहर और जिले की स्क्रीनिंग के साथ ही हर नागरिक के स्वास्थ्य की जानकारी का डेटा इकट्ठा किया जा रहा है। होम आइसोलेट किए गए लोगों की मॉनिटरिंग भी एप से हो रही है। इंदौर में कोरोना संक्रमण भले ही पूरी तरह नहीं थमा है, लेकिन संक्रमण दर में कमी है। रिकवरी रेट भी काफी कम हुआ है। देश के बड़े हॉटस्पॉट में शामिल रहे इंदौर की सेहत में सुधार की वजह से मध्यप्रदेश की संक्रमण दर घटकर देश में सबसे कम हो गई है। सर्वे और कांटैक्ट ट्रेसिंग में मददगार निगमायुक्त ने बताया कि केंद्र सरकार ने इंदौर के एप से सर्वे, कांटैक्ट ट्रेसिंग को अच्छा प्रयास माना है। इससे जुड़े हुए आंकड़े और विस्तृत जानकारी भेजी गई है।
इंदौर 311 एप से जुड़ी प्रमुख बातें
-'इंदौर 311' से कोरोना संदिग्ध और संक्रमित मरीजों की पहचान जल्दी हो सकी।
-पहले यही संक्रमित कोरोना कैरियर के रूप में पूरे शहर में घूम रहे थे।
-पहचान कर तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया और इलाज शुरू हो सका।
-कहीं न कहीं कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या में कमी आई और इंदौर की स्थिति सुधरी।
इससे मृत्यु दर में भी कमी आई। होम आइसोलेट हुए लोगों की एप से निगरानी केवल इंदौर में इसी एप से इंदौर में होम आइसोलेट किए गए संक्रमित मरीजों की मॉनिटरिंग भी की जा रही है। इंदौर जिला प्रशासन और नगर निगम का दावा है कि पूरे देश में यह सिस्टम सिर्फ इंदौर में ही लागू है। 40 लाख लोगों का डेटा हुआ इकट्ठा जिला पंचायत सीईओ और सर्वे एवं मॉनिटरिंग के प्रभारी रोहन सक्सेना ने शहर में कोरोना संक्रमितों का जल्द पता लगाने के लिए इंदौर ने अपना एक मॉडल तैयार किया। इसके तहत तीन चरण में इंदौर जिले (शहरी और ग्रामीण) के 7.50 लाख घरों में रहने वाले 40 लाख से ज्यादा लोगों का सर्वे किया गया। इसमें से शहर के करीब 5.50 लाख घरों का सर्वे किया। इसमें लगभग 29 लाख की जनसंख्या कवर हुई। इससे एक तरह से जनगणना भी हो गई।
पहले सर्वे में मिले 6000 संदिग्ध
पहले चरण में कोरोना के लक्षण वाले मरीजों की पहचान की गई। इसमें 10--12 दिनों में लगभग 6000 संदिग्ध मरीजों की पहचान की गई। दूसरे सर्वे में 1000 से ज्यादा मरीज : दूसरे चरण में चार बीमारियों के लक्षण वालों की पहचान हुई। तीसरा सर्वे : 12 बीमारियों के बारे में डेटा कलेक्शन किया जा रहा है। इसे पूरा होने में अभी 10--12 दिन का समय और लग सकता है।
फायदा :
इस सर्वे और निगरानी से यह पता चला जाएगा कि इंदौर में किस बीमारी से कितने लोग ग्रसित हैं। इस हिसाब से स्वास्थ्य योजनाएं बनाई जा सकेंगी। इंदौर का यह सिस्टम कारगर साबित हुआ तो आने वाले समय में मध्यप्रदेश के अन्य शहरों सहित देशभर में इस पैटर्न को लागू कर उस शहर की वास्तविक स्थिति पता की जा सकेगी।