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नक्सलियों से मोर्चा लेने अब अबूझमाड़ में तैनात होंगे 'बस्तरिया बटालियन' के लड़ाके

यह बटालियन गुरिल्ला, छद्म व जंगल युद्ध से पारंगत होकर स्वलपाहार में रहकर नक्सलियों के खिलाफ मैदान तीन से पांच दिन तक लगातार डटी रह सकती है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 03 Jun 2018 11:27 AM (IST)Updated: Sun, 03 Jun 2018 06:14 PM (IST)
नक्सलियों से मोर्चा लेने अब अबूझमाड़ में तैनात होंगे 'बस्तरिया बटालियन' के लड़ाके
नक्सलियों से मोर्चा लेने अब अबूझमाड़ में तैनात होंगे 'बस्तरिया बटालियन' के लड़ाके

रायपुर [नईदुनिया]। छत्तीसगढ़ के लाल कोरिडोर एरिया में नक्सलियों से लड़ने के लिए आदिवासी युवाओं की बस्तरिया बटालियन के लड़ाके मानसून में उतरने को तैयार हो गए हैं। अंबिकापुर में प्रशिक्षण के बाद जवानों को जल्द ही बस्तर भेजा जाएगा, जहां अगल-अलग सीआरपीएफ कैंप में तैनात किया जाएगा। खास बात यह है कि बस्तरिया बटालियन के जवानों को सुकमा और बीजापुर के अंदस्र्नी इलाकों में तैनात किया जाएगा। ये जवान उन इलाकों की भौगोलिक स्थिति से परिचित है। ऐसे में नक्सलियों के गुरिल्ला वार का सही तरीके से जवाब देने में सक्षम हैं।

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दिया जा रहा फाइनल रूप 

सीआरपीएफ के आला अधिकारियों ने बताया कि बस्तरिया बटालियन के जवानों की पासिंग आउट परेड होने के बाद अब उनको फाइनल रूप दिया जा रहा है। सीआरपीएफ की नई 241 बटालियन को बस्तरिया बटालियन का नाम दिया गया है। इस बटालियन के लिए बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और सुकमा जिले से जवान को भर्ती हुई है। बस्तरिया बटालियन में 33 फीसदी युवतियां हैं। इनका वेतन सीआरपीएफ के जवानों के बराबर 30 से 35 हजार रुपए के बीच है। इस बटालियन के पहले फेज में 743 जवान हैं। इसमें 189 महिला उम्मीदवारों सहित कुल 534 उम्मीदवारों एटीसी बिलासपुर और एटीसी अंबिकापुर में 44 सप्ताह से अधिक विशेष प्रशिक्षण लिया था। यह बटालियन पहली बार पिछले साल अप्रैल माह में अस्तित्व में आई थी।

पहले विकास योजनाओं की सुरक्षा में किया जाएगा तैनात

यह बटालियन गुरिल्ला, छद्म व जंगल युद्ध से पारंगत होकर स्वलपाहार में रहकर नक्सलियों के खिलाफ मैदान तीन से पांच दिन तक लगातार डटी रह सकती है। अबूझमाड़ सहित बस्तर के दुर्गम इलाकों से पूरी तरह वाकिफ हैं। सरकार ने चिंता जताई है कि माओवादी नहीं चाहते कि दुर्गम इलाकों में विकास हो। इन जवानों को सबसे पहले विकास योजनाओं की सुरक्षा में तैनात किया जाएगा। सरकार को उम्मीद है कि जब सड़क, मोबाइल टॉवर बन जाएंगे, तो स्थानीय युवा मुख्य धारा में लौट जाएगा। केंद्रीय सुरक्षा बल और पुलिस के समन्वय से बेहतर कार्य करने से माओवाद, आतंकवाद एवं उग्रवाद से होने वाली शहादत में 53 से 55 प्रतिशत की कमी भी आएगी।


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