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बरगद-नीम-पीपल की त्रिवेणियों से संवर उठी बंजर पहाड़ी

करीब आठ एकड़ में फैली पहाड़ी पर बरगद नीम और पीपल की 1008 त्रिवेणियां धार्मिक आस्था का प्रतीक बनकर लहलहा रही हैं।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 02:14 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 02:14 PM (IST)
बरगद-नीम-पीपल की त्रिवेणियों से संवर उठी बंजर पहाड़ी

बुरहानपुर [युवराज गुप्ता]। एक दशक पहले कभी पथरीली और उजाड़ सी दिखाई देने वाली पहाड़ी आज हरित चादर ओढ़े लोगों का मनमोह रही है। करीब आठ एकड़ में फैली पहाड़ी पर बरगद, नीम और पीपल की 1008 त्रिवेणियां धार्मिक आस्था का प्रतीक बनकर लहलहा रही हैं। धर्म और पर्यावरण का संगम कहलाने वाली इस पहाड़ी पर रोजाना सैकड़ों लोग आते हैं और पर्यावरण के बीच सुकून के पल बिताते हैं।

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यही नहीं, यह हरी-भरी पहाड़ी गूगल एप पर सर्च करने पर शिवलिंग जैसी दिखाई देती है। हम बात कर रहे हैं मप्र के बुरहानपुर जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर स्थित ग्राम फोपनार की त्रिवेणी पहाड़ी की। इस पहाड़ी को यहां पर नारायण पर्वत के नाम से भी  जाना जाता है। वर्ष 2011 में यहां पर ग्रामीणों ने तरुपुत्र महायज्ञ किया था।

तब ग्रामीणों ने 1008 त्रिवेणियों के पौधे लगाए, जो अब वृक्ष बन गए हैं। करीब 12 हजार की आबादी वाले इस गांव की पहचान अब त्रिवेणी पर्वत से होती है। ग्रामीणों ने मिलकर इस पहाड़ी को गोद लिया और अब यह पूरी तरह से हरियाली से आच्छादित हो गई है। 

फोपनार के समाजसेवी युवा संतोष पंडित, जय कुमार जैन, दिगंबर गुरुजी, धीरज प्रजापति ने बताया कि प्रतिदिन पहाड़ी पर समाजसेवी युवाओं द्वारा श्रमदान किया जाता है। त्रिवेणी पर्वत पर मौजूद सभी पेड़ों को पानी देने के साथ ही श्रमदान कर यहां पर समुचित सफाई रखी जा रही है। इसके अलावा पूरी पहाड़ी पर एक आकर्षक वॉकिंग ट्रैक भी बनाया गया है। इस पर रोजाना सुबह-शाम ग्रामीण टहलते हैं। एरियल व्यू देखने पर फोपनार गांव की यह पहाड़ी हू-ब-हू शिवलिंग जैसी दिखाई पड़ती है। त्रिवेणी के कारण यहां का वातावरण भी प्रदूषण रहित होकर शुद्ध हवा से भर गया है।

इससे ऑक्सीजन का लेवल भी बेहतर रहता है। वहीं पहाड़ी पर बारिश का पानी ठहरकर जमीन में जाता है, जिससे यहां का वॉटरलेवल भी बेहतर है। समाजसेवी मनोज तिवारी ने बताया कि अखिल विश्व गायत्री परिवार की प्रेरणा से यहां तरुपुत्र महायज्ञ का आयोजन हुआ था। इस पहाड़ी को धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। पहाड़ी के शिखर पर देवी मंदिर भी है। पर्व-त्योहारों पर पहाड़ी पर त्रिवेणी का पूजन किया जाता है। यहां के युवाओं की मेहनत को शासन- प्रशासन द्वारा भी समय-समय पर पुरस्कार देकर सराहा गया है।  


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