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भारतीय नौसेना से शॉर्ट सर्विस कमीशन की महिला अफसरों को हटाने पर लगी रोक

याचिका में आरोप लगाया गया कि नौसेना में महिला अफसरों को तीन महीने के भीतर स्थायी कमीशन देने के सुप्रीम कोर्ट के 17 मार्च के आदेश का केंद्र सरकार ने पालन नहीं किया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 06:15 AM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 06:15 AM (IST)
भारतीय नौसेना से शॉर्ट सर्विस कमीशन की महिला अफसरों को हटाने पर लगी रोक
भारतीय नौसेना से शॉर्ट सर्विस कमीशन की महिला अफसरों को हटाने पर लगी रोक

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भारतीय नौसेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के तहत नौकरी कर रही महिला अधिकारियों को हटाने पर रोक लगा दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि इन अफसरों के स्थायी कमीशन पाने के दावों के विचाराधीन रहने तक सरकार इन्हें नौकरी से नहीं निकालेगी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस केएम जोसफ की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए एक महिला अफसर की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। 

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, स्थायी कमीशन पाने के दावों के विचाराधीन रहने तक नौकरी से हटाना अनुचित

याचिका में आरोप लगाया गया है कि नौसेना में महिला अफसरों को तीन महीने के भीतर स्थायी कमीशन देने के सुप्रीम कोर्ट के 17 मार्च के आदेश का केंद्र सरकार ने पालन नहीं किया है। शीर्ष अदालत ने अपने अहम फैसले में भारतीय नौसेना में महिला अफसरों को स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महिला और पुरुष अधिकारियों में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि मौजूदा समय में नौसेना के शिक्षा, कानून और लॉजिस्टिक विभागों में एसएससी के तहत काम करने वाली सभी महिला अधिकारियों कोस स्थायी कमीशन देने पर विचार किया जाए और यह प्रक्रिया पूरी करने के लिए केंद्र सरकार को तीन महीने का वक्त दिया था। 

स्थायी कमीशन देने की प्रक्रिया आवेदन लेने से आगे नहीं बढ़ी 

याचिकाकर्ता रुपाली रोहतगी के वकील संतोष कृष्णन ने पीठ को बताया कि तीन महीने के बाद भीतर महिला अफसरों को स्थायी कमीशन देने की प्रक्रिया आवेदन लेने से आगे नहीं बढ़ी है। पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया स्पष्ट है कि केंद्र सरकार 17 मार्च, 2020 को दिए इस अदालत के फैसले का पालन में करने में विफल रही है। ऐसे में एसएससी की महिला अफसरों को उनके स्थायी कमीशन के दावों के विचाराधीन रहने तक नौकरी से निकाला जाना उचित नहीं होगा। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता के स्थायी कमीशन के अनुरोध पर फैसला होने तक उसे सेवा से हटाने पर रोक लगा दी। 


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