भारतीय एयरलाइनों में बैगेज मिस हैंडलिंग के मामले अभी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर से ज्यादा
डीजीसीए के अनुसार वर्ष 2016 में लगेज मिस हैंडलिंग की 16.6 फीसदी शिकायतें आई थीं। जबकि 2017 में इनका स्तर बढ़कर 19.7 फीसद हो गया।
संजय सिंह, नई दिल्ली। शिकायत समाधान का डिजिटल तंत्र विकसित होने तथा मुआवजे की रकम में बढ़ोतरी के बावजूद देश में विमान यात्रियों के सामान गुम होने, देर से मिलने या क्षतिग्रस्त होने की घटनाओं पर मामूली अंकुश लगा है। लेकिन अभी भी यात्रियों की तकरीबन 25 फीसद शिकायतें लगेज मिस हैंडलिंग को लेकर होती हैं।
एयरलाइनों के अंतरराष्ट्रीय संगठन इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन 'आयटा' के अनुसार पिछले तीन वर्षो में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैगेज मिस हैंडलिंग के मामलों में गिरावट आई है। वहीं भारत में स्थिति में सुधार नहीं हुआ है।
दुनिया में बैगेज मिस हैंडलिंग मामलों में आ रही कमी
डीजीसीए के अनुसार वर्ष 2016 में लगेज मिस हैंडलिंग की 16.6 फीसदी शिकायतें आई थीं। जबकि 2017 में इनका स्तर बढ़कर 19.7 फीसद हो गया। इसके बाद 2018 में लगेज मिस हैंडलिंग की शिकायतों की हिस्सेदारी बढ़कर 27.5 फीसद पर पहुंच गई थी। भारत में ये स्थिति तब थी जबकि बाकी दुनिया में बैगेज मिस हैंडलिंग के मामलों में कमी आ रही थी।
आयटा के मुताबिक 2018 में दुनिया भर की एयरलाइनों की ओर से आधुनिक ट्रैकिंग प्रणालियां अपनाए जाने के परिणामस्वरूप बैगेज संबंधी शिकायतों में 66 फीसद तक सुधार देखने में आया। एविएशन सेक्टर को आइटी सॉल्यूशन प्रदान करने वाली मल्टीनेशनल कंपनी 'सीटा' की रिपोर्ट में भी कुछ ऐसा ही कहा गया था। जिसके मुताबिक 2007-2018 के दरम्यान पूरी दुनिया में एयरलाइनों के खिलाफ बैगेज मिस हैंडलिंग की शिकायतें 46.9 मिलियन से घटकर 24.8 मिलियन पर आ गई।
विमानन मंत्रालय हुआ सख्त
यात्रियों की बढ़ती शिकायतों और 'आयटा' व 'सीटा' की 2018 की रिपोर्टे आने के बाद सरकार और एयरलाइनें चेतीं। फलस्वरूप फरवरी, 2019 में विमानन मंत्रालय ने एयर पैसेंजर चार्टर जारी कर एयरलाइनों की जवाबदेही के नियम सख्त करते हुए बैगेज मिस हैंडलिंग में क्षतिपूर्ति की राशि को बढ़ा दिया। इसके बावजूद नवंबर, 2019 के बाद ही सुधार के थोड़े लक्षण दिखाई दिए हैं और अब हर महीने सामान से संबंधित लगभग 25 फीसद शिकायतें मिल रही हैं।
शिकायतों की ट्रैकिंग के लिए ऑनलाइन पोर्टल
एयर इंडिया के एक अधिकारी के अनुसार एक बार यात्री द्वारा प्रापर्टी इर्रेगुलेटरी रिपोर्ट (PIR) दर्ज करा दी गई तो कोई एयरलाइन क्षतिपूर्ति देने से बच नहीं सकती। इसीलिए एयर इंडिया ने पिछले वर्ष शिकायतों की ट्रैकिंग के लिए ऑनलाइन पोर्टल लांच कर दिया था। जिसके बाद से शिकायतों में कमी आई है। पोर्टल पर शिकायत दर्ज होते ही संबंधित ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसी को आगाह किया जाता है। यदि वो निर्धारित समय में समाधान देने में विफल रहती है या उसका रिकार्ड मानकों के अनुरूप नहीं होता तो उस पर पेनल्टी लगाई जाती है। इससे ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसियां भी अब ज्यादा सतर्क रहने लगी हैं। मानकों के अनुसार प्रति 10 हजार यात्रियों पर मासिक शिकायतों का स्तर 2 से अधिक नहीं होना चाहिए। फिलहाल भारतीय एयरलाइनों के 1.6 के औसत के मुकाबले एयर इंडिया का स्तर 2 से थोड़ा ऊपर है। लेकिन एयरलाइन को उम्मीद है कि इसी साल ये 2 से नीचे आ जाएगा।
सामान खोने के कई हैं प्रमुख कारण
विमानन मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक विमान यात्रा के दौरान सामान खोने, विलंब से प्राप्त होने या क्षतिग्रस्त होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें प्रमुख कारण फ्लाइट शेड्यूल और कनेक्शन में मिसमैच, टिकटिंग, टैगिंग व लोडिंग एरर, उपकरण विफलता, मानवीय चूक, पे लोड रेस्टि्रक्शन, मौसम की खराबी तथा कस्टम व सुरक्षा जांच संबंधी हैं। जहां डोमेस्टिक उड़ानों में फ्लाइट शेड्यूल व कनेक्शन तथा मानवीय व उपकरणों की चूक की भूमिका ज्यादा रहती है। वहीं इंटरनेशनल उड़ानों में पे लोड रेस्टि्रक्शन तथा कस्टम व सुरक्षा जांच अहम कारक होते हैं।
एयर चार्टर के तहत डोमेस्टिक उड़ानों में सामान गुम होने, विलंब से मिलने या क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में एयरलाइन द्वारा प्रति यात्री 20 हजार रुपये की क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान है। जबकि कारगो सामान के मामले में ऐसा होने पर प्रति किलोग्राम 350 रुपये के हिसाब से क्षतिपूर्ति की व्यवस्था है। दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में ये क्षतिपूर्ति क्रमश: 1131 एसडीआर और 19 एसडीआर प्रति किलोग्राम है।