न रुके-न चुप बैठे, हर जगह पहुंचे आजम
इस चुनाव में शुरू से ही चर्चा में रहे सपा के कद्दावर नेता आजम खां को चुनाव आयोग की बंदिश रोक नहीं पाई। प्रचार पर पाबंदी के बावजूद आजम न रुके और न ही चुप बैठे। सपा के लिए मुस्लिम मतों के नजरिये से महत्वपूर्ण लगभग हर चुनाव क्षेत्र में वह नजर आए और अपनों के साथ रणनीति को विस्तार दिया। अलबत्ता रैलियों और सभाओं से उन्होंने परहेज किय
लखनऊ। इस चुनाव में शुरू से ही चर्चा में रहे सपा के कद्दावर नेता आजम खां को चुनाव आयोग की बंदिश रोक नहीं पाई। प्रचार पर पाबंदी के बावजूद आजम न रुके और न ही चुप बैठे। सपा के लिए मुस्लिम मतों के नजरिये से महत्वपूर्ण लगभग हर चुनाव क्षेत्र में वह नजर आए और अपनों के साथ रणनीति को विस्तार दिया। अलबत्ता रैलियों और सभाओं से उन्होंने परहेज किया ताकि आयोग से सीधा टकराव न हो।
आखिरी चरण में उत्तर प्रदेश के कई संसदीय क्षेत्र मुस्लिम मतों के नजरिये से अहम थे। आजम खां इनमें आजमगढ़ में नजर आए और वाराणसी में भी। ज्यादातर वह हेलीकाप्टर से लखनऊ से उड़े और शाम को वापस आ गए। मुलायम के लिए आजम कई बार आजमगढ़ पहुंचे और बैठकें भी की। लोगों के बीच अपनी बात रखते रहे। उन्होंने बलिया, राबटर््सगंज, चंदौली जैसी सीटों पर भी मुस्लिम मतों को लामबंद किया।
आजम के दौरे गोपनीय ही रखे गए लेकिन जब प्रतिबंध के बावजूद बलिया में उनके संबोधन की वीडियोग्राफी कराई जाने लगी तो उन्होंने प्रशासन की टीम पर न केवल नाराजगी जताई बल्कि यहां तक कहा कि चुनाव बाद प्रदेश में हमारी ही सरकार रहनी है। वह अचानक ही किसी अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र के प्रभावशाली व्यक्ति के यहां बैठक में पहुंच जाते। खबर लगने पर भी मीडिया को वहां जाने और फोटो खींचने से सख्ती के साथ रोक दिया जाता।
उल्लेखनीय है कि आजम पर एक विवादास्पद बयान पर पहले चरण के चुनाव के बाद ही प्रतिबंध लग गया था। यानी मात्र 10 सीटों के मतदान के बाद ही। बयान पर आयोग को जवाब दिया लेकिन अंत तक अपने बयान पर आजम कायम रहे। प्रतिबंध को लेकर आयोग पर निशाना साधने के साथ आजम पूरे प्रचार के दौरान कुछ न कुछ ऐसा कहते रहे जिससे वे लगातार चर्चा में बने रहे।